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वो Dhoni हैं इसलिए टमाटर बो रहे हैं, हम आम आदमियों के अपने पुदीने हैं!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 04 दिसम्बर, 2020 12:39 PM
  • 04 दिसम्बर, 2020 12:39 PM
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Team India के पूर्व कप्‍तान महेंद्र सिंह धोनी (mahendra singh dhoni) का संन्‍यास के बाद अपना पूरा फोकस खेती किसानी पर है. धोनी ने अभी हाल ही में डेयरी फार्म के साथ-साथ ऑर्गेनिक खेती का काम भी शुरू किया है. तस्वीर इंटरनेट पर वायरल हैं जिसे देश के आम आदमी को सिर्फ तस्वीरों की तरह ही लेना चाहिए.

शौक बड़ी चीज़ है और बड़ी चीजें बड़े लोगों पर ही अच्छी लगती है. आम आदमी का क्या है? आम आदमी के जीवन में दो घंटे लाइन में लगने के बाद नल में से गंदा काला पानी आने से लेकर, 5 रुपए में एक डंठल हरी धनिया मिलने , दूध के पैकेट में क्रीम न निकलने, ऑफिस देर से पहुंचने तक एक के बाद एक चुनौतियां हैं. विरला ही वो आम आदमी होता है जो शौक की चिड़िया पालता है वरना तो जरूरत की जोंक है ही उसका खून पीने को. कभी बच्चों की फीस, कभी बीवी / गर्लफ़्रेंड का मेक अप नहीं तो फिर अस्पताल, माता पिता सास ससुर की ख्वाइशें. आम आदमी क्या ख़ाक शौक पाल पाएगा? जैसी स्थिति है आम आदमियों की शरीर के वो छिद्र जिनसे हेल्थ बैलेंस रखने के लिए पसीना आता है वो दिन भी जल्द ही आएगा जब ते छिद्र फूट फूट के दहाड़-दगड़ के रोएंगे. शौक बनाम आम आदमी ये तमाम विचार या ये कहें कि ये दुख उस वक़्त आउट ऑफ कंट्रोल हो गया जब इंटरनेट पर वायरल एक तस्वीर देखी. तस्वीर टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni Farm House Pics) की थी. माही क्रिकेट से रिटायर (Mahendra Singh Dhoni Retirement) हो चुके हैं और जैसे उनके हाव भाव हैं भाई अपना किसान (Faremr) है, जो इन दिनों आर्गेनिक टमाटरों, फूल गोभी, पत्ता गोभी, ब्रोकली की खेती कर रहा है. कड़कनाथ मुर्गों के चूजे पाल रहा है और फार्म से निकली सब्जियों को मंडी में बेच रहा है.

खेती किसानी में लिप्त टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी

अच्छा चूंकि सब्जी टीम इंडिया के कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी के खेत की है लोग पांच की जगह 10 रुपए देकर इन्हें खरीद रहे हैं. और जो बेचारे नहीं खरीद पा रहे हैं, वो ये कहते हुए मंडी से वापस आ जा रहे हैं कि, धोनी भाई ने बोया है तो कुछ सोच समझकर ही बोया है. टेस्ट में इनका शायद ही कोई तोड़ हो.

बात बाकी ये है कि...

शौक बड़ी चीज़ है और बड़ी चीजें बड़े लोगों पर ही अच्छी लगती है. आम आदमी का क्या है? आम आदमी के जीवन में दो घंटे लाइन में लगने के बाद नल में से गंदा काला पानी आने से लेकर, 5 रुपए में एक डंठल हरी धनिया मिलने , दूध के पैकेट में क्रीम न निकलने, ऑफिस देर से पहुंचने तक एक के बाद एक चुनौतियां हैं. विरला ही वो आम आदमी होता है जो शौक की चिड़िया पालता है वरना तो जरूरत की जोंक है ही उसका खून पीने को. कभी बच्चों की फीस, कभी बीवी / गर्लफ़्रेंड का मेक अप नहीं तो फिर अस्पताल, माता पिता सास ससुर की ख्वाइशें. आम आदमी क्या ख़ाक शौक पाल पाएगा? जैसी स्थिति है आम आदमियों की शरीर के वो छिद्र जिनसे हेल्थ बैलेंस रखने के लिए पसीना आता है वो दिन भी जल्द ही आएगा जब ते छिद्र फूट फूट के दहाड़-दगड़ के रोएंगे. शौक बनाम आम आदमी ये तमाम विचार या ये कहें कि ये दुख उस वक़्त आउट ऑफ कंट्रोल हो गया जब इंटरनेट पर वायरल एक तस्वीर देखी. तस्वीर टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni Farm House Pics) की थी. माही क्रिकेट से रिटायर (Mahendra Singh Dhoni Retirement) हो चुके हैं और जैसे उनके हाव भाव हैं भाई अपना किसान (Faremr) है, जो इन दिनों आर्गेनिक टमाटरों, फूल गोभी, पत्ता गोभी, ब्रोकली की खेती कर रहा है. कड़कनाथ मुर्गों के चूजे पाल रहा है और फार्म से निकली सब्जियों को मंडी में बेच रहा है.

खेती किसानी में लिप्त टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी

अच्छा चूंकि सब्जी टीम इंडिया के कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी के खेत की है लोग पांच की जगह 10 रुपए देकर इन्हें खरीद रहे हैं. और जो बेचारे नहीं खरीद पा रहे हैं, वो ये कहते हुए मंडी से वापस आ जा रहे हैं कि, धोनी भाई ने बोया है तो कुछ सोच समझकर ही बोया है. टेस्ट में इनका शायद ही कोई तोड़ हो.

बात बाकी ये है कि जैसे अपने तो अपने होते हैं. ठीक वैसे ही गोभी भी गोभी होती है फिर क्या वो धोनी के खेत की या हमारे खेत की. धोनी ने ये सब मजबूरी में नहीं शुरू किया है इसलिए इस बोआई गुड़ाई में उन्हें मजा भी खूब आ रहा है. आप और हम होते तो दो दिन का शौक़ होता फिर वापस ठंडे बस्ते में चला जाता.

जो बात हरिराम नाई ने अंग्रेजों के जमाने के जेलर को नहीं बताई वो ये कि अपने धोनी भाई के खेत के टमाटर झारखंड के कूचा ओ बाजार में पूरे 40 रुपए किलो बिक रहे हैं.

मुद्दा धोनी के खेत के 40 रुपए किलो के टमाटर नहीं हैं. बिल्कुल नहीं हैं. हरगिज़ नहीं हैं मुद्दा खुद धोनी हैं. भगवान श्री राम ही जानें कि आखिर धोनी के किसान बनने का असल मकसद क्या था? लेकिन अब चूंकि भाई अपना किसान है तो है. उसे कोई मतलब नहीं कि वहां उधर दिल्ली में किसान कृषि बिल को लेकर धरने पर हैं और पुलिस से लाठी, गोली, वाटर कैनन का पानी खा रहे हैं. न ही धोनी को एमएसपी से कोई मतलब है इनके खेत के टमाटर तो 40 रुपए किलो बिक ही रहे हैं. अगर कल को ये 50 रुपए, 60 या 70 भी बेचें तो लोग लाइन लगाकर खरीदेंगे.

ऐसा है गुरु की इस लेख की शुरुआत में हमने आम आदमी और उसकी चुनैतियों का जिक्र किया था. साथ ही हमने शौक की भी बात की थी. मैटर ये है कि धोनी को खेती किसानी का चस्का इसलिए लगा क्यों कि उनके पास पैसा था. अपना तो ऐसा है कि पैसा एक निश्चित तारीख को आता है फिर कुछ खर्चे होते हैं और एक निर्धारित तारीख आते आते मामला ठन-ठन गोपाल हो जाता है.

ऐसी स्थिति में क्या हम खाक शौक करेंगे और मान लो खून बेचकर, गुर्दा गिरवी रखकर ऐसा कुछ कर भी लिया तो अपने सगे वाले रिश्तेदार अड़ंगा डाल देंगे. इतने ताने सुनने को मिल जाएंगे कि बहरे इंसान तक के कान के बाल जल जाएं. हो ये भी सकता है कि हमें नीचा दिखाने के लिए रिश्तेदार हमसे पहले मंडी पहुंच जाएं और 40 की जगह 50 रुपए किलो पर टमाटर लें और चूंकि हमें अपने टमाटर भी मंडी में बेचने हैं वो रिश्तेदार किसी दूसरे ग्राहक को 50 रुपए किलो का टमाटर 30 रुपए में पकड़ा दें.

हो सकता है धोनी के फैंस इस तस्वीर को देखकर खुश हो रहे हों मगर वाक़ई ये वो स्टंट है जो एक्सपर्ट की देखरेख में किया जाता है. यदि आपने ऐसा किया तो जहां सावधानी हटेगी वहीं दुर्घटना घटेगी. मितरों फिर बता रहे हैं नोट कर लीजिए गांठ बांध लीजिए वो धोनी हैं इसलिए टमाटर वो रहे हैं. हम और आप आम आदमी हैं. हमारे सामने चुनैतियों का पहाड़ और उस पहाड़ तक पहुंचने के लिए जटिलताओं का जंगल हैं.

तस्वीर है तस्वीर को तस्वीर की तरह लीजिए धोनी और उनकी हरकतों से दिल लगाने की कोई ज़रूरत नहीं है. और हां मरहूम शायर मोहसिन नक़वी काफी पहले ही इस बात को कहकर चले गए हैं कि

'मोहसिन,' ग़रीब लोग तो तिनकों का ढ़ेर हैं,

मलबे में, दब गए, कभी पानी में बह गए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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