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'टीपू' अखिलेश यादव से ग्लैमर में कम नहीं है हरियाणा का गधा 'टिप्पू'

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 09 जून, 2017 07:36 PM
  • 09 जून, 2017 07:36 PM
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यूपी चुनाव में गधों का मजाक उड़ाया गया था. लीजिए, अब गधा कम्‍युनिटी से जवाब आया है. हरियाणा का 'टिप्पू' सबसे महंगा गधा बताया जा रहा है. उसके मालिक का दावा है कि वे उसे 10 लाख से कम कीमत पर नहीं बेचेंगे.

उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए अभी कुछ ही दिन हुए हैं. चुनाव पूर्व प्रदेश में गधों का बोलबाला था. गधों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इतना जज्बाती हो गए थे कि उन्होंने सदी के महानायक अमिताभ बच्चन तक से कह डाला था कि वो 'गुजरात के गधों' का प्रचार बंद करें. अखिलेश के इस बयान पर कठोर कदम उठाते हुए भाजपा ने इस कथन की कड़े शब्दों में निंदा की थी. टीपू के द्वारा इस बयान को दिए हुए लम्बा वक्त हो चुका है. लोग टीपू और गधों दोनों को भूल चुके हैं.

गधा एक सामाजिक प्राणी है इसके महत्त्व को न तो भूला जा सकता है और न ही भुलाया जा सकता है. गधा इतना सामाजिक और भोला भाला है कि इस बेचारे को देखकर मशहूर व्यंगकार हरिशंकर परसाई तक भावुक हो गए. गधे को देखते हुए उन्होंने कहा था कि 'पर बेचारा गधा भी कैसा तिरस्कृत जानवर है, इसकी सहनशीलता, सीधापन और गंभीर उदासी तो इस अपमान का कारण नहीं है ? उसका भोलापन ही शायद उसे 'मूर्ख' विशेषण दिलवाता हो.

परसाई ने जो कहा वो चिंतन का विषय है मगर आज हम जो आपको बताने जा रहे है वो अवश्य ही आपको अचरज में डाल देगा और आप भी शायद कह बैठें 'काश, मैं भी गधा ही होता. आज हम आपको मिलवा रहे हैं टिप्पू से. आगे बढ़ने से पहले हमारे लिए आपको ये बताना बेहद ज़रूरी है कि टिप्पू अखिलेश यादव नहीं हैं. जिन्होंने पिछली शिकस्त के बाद किसी ज्योतिषी से मिलकर अपने टीपू के बीच आधा प लगवा लिया है बल्कि टिप्पू हरियाणा का जीता जागता और सचमुच का गधा है.

भारत का सबसे महंगा गधा है टिप्पू

गली से लेकर मुहल्ले तक, चौक से लेके चौबारे तक इस देश में गधों की भरमार है. मगर जो बात टिप्पू को सबसे खास और बाकी गधों से अलग बनाती है वो हैं इसका दाम. कहा जा रहा है कि 'टिप्पू' नाम का ये गधा कोई मामूली नहीं बल्कि देश में अब तक का 'सबसे महंगा गधा' है. हरियाणा स्थित...

उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए अभी कुछ ही दिन हुए हैं. चुनाव पूर्व प्रदेश में गधों का बोलबाला था. गधों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इतना जज्बाती हो गए थे कि उन्होंने सदी के महानायक अमिताभ बच्चन तक से कह डाला था कि वो 'गुजरात के गधों' का प्रचार बंद करें. अखिलेश के इस बयान पर कठोर कदम उठाते हुए भाजपा ने इस कथन की कड़े शब्दों में निंदा की थी. टीपू के द्वारा इस बयान को दिए हुए लम्बा वक्त हो चुका है. लोग टीपू और गधों दोनों को भूल चुके हैं.

गधा एक सामाजिक प्राणी है इसके महत्त्व को न तो भूला जा सकता है और न ही भुलाया जा सकता है. गधा इतना सामाजिक और भोला भाला है कि इस बेचारे को देखकर मशहूर व्यंगकार हरिशंकर परसाई तक भावुक हो गए. गधे को देखते हुए उन्होंने कहा था कि 'पर बेचारा गधा भी कैसा तिरस्कृत जानवर है, इसकी सहनशीलता, सीधापन और गंभीर उदासी तो इस अपमान का कारण नहीं है ? उसका भोलापन ही शायद उसे 'मूर्ख' विशेषण दिलवाता हो.

परसाई ने जो कहा वो चिंतन का विषय है मगर आज हम जो आपको बताने जा रहे है वो अवश्य ही आपको अचरज में डाल देगा और आप भी शायद कह बैठें 'काश, मैं भी गधा ही होता. आज हम आपको मिलवा रहे हैं टिप्पू से. आगे बढ़ने से पहले हमारे लिए आपको ये बताना बेहद ज़रूरी है कि टिप्पू अखिलेश यादव नहीं हैं. जिन्होंने पिछली शिकस्त के बाद किसी ज्योतिषी से मिलकर अपने टीपू के बीच आधा प लगवा लिया है बल्कि टिप्पू हरियाणा का जीता जागता और सचमुच का गधा है.

भारत का सबसे महंगा गधा है टिप्पू

गली से लेकर मुहल्ले तक, चौक से लेके चौबारे तक इस देश में गधों की भरमार है. मगर जो बात टिप्पू को सबसे खास और बाकी गधों से अलग बनाती है वो हैं इसका दाम. कहा जा रहा है कि 'टिप्पू' नाम का ये गधा कोई मामूली नहीं बल्कि देश में अब तक का 'सबसे महंगा गधा' है. हरियाणा स्थित सोनीपत के नयाबास में रहने वाले 'टिप्पू' के मालिक 40 वर्षीय राज सिंह ने 'टिप्पू' को बेचने की कीमत 10 लाख रुपए लगाई है.

राज सिंह ने डंके की चोट पर ये ऐलान किया है कि उनके पास 5 लाख रुपए में 'टिप्पू' को खरीदने की पेशकश आ भी चुकी है जिसे उनके द्वारा अस्वीकार कर दिया गया है.

ब्रीडिंग के कारोबार से जीवन यापन करने वाले राज सिंह के अनुसार, 'टिप्पू कोई साधारण गधा नहीं है. ये आम गधों के मुकाबले कद में सात इंच लंबा है और इसका प्रयोग केवल ब्रीडिंग के लिए किया जाता है. राज सिंह ने ये भी बताया है कि कुछ दिन पूर्व रोहतक के बेरी पशु मेले में उत्तर प्रदेश के एक ब्रीडर ने इसे खरीदने के लिए 5 लाख रुपए की बोली लगाई थी लेकिन उन्होंने इसे बेचने से मना कर दिया. राज का तर्क है कि टिप्पू सबसे जुदा और सबसे बड़ा गधा है, और इसलिए वो इसे 10 लाख से कम कीमत पर नहीं बेचेंगे.

खाने पीने के शौकीन हैं टिप्पू

बात अगर भारत के इस सबसे महंगे गधे पर हों तो ऐसी कई बातें हैं जो इसे औरों से अलग बनाती हैं. टिप्पू हर दिन 5 किलोग्राम काला चना, 4 लीटर दूध और 20 किलो हरा चारा हजम कर जाता है. खाने के बाद मियां 'टिप्पू' मीठा ज़रूर खाते हैं और लड्डू इनका सबसे पसंदीदा डिजर्ट है. टिप्पू के मालिक के अनुसार 'टिप्पू' का एक दिन का खर्च 1000 रुपए है.

सेहत के लिए हैं धीर गंभीर

जी हां बिल्कुल सही सुना आपने टिप्पू अपनी सेहत के लिए बड़े गंभीर हैं. इनका शुगर, बीपी, कॉलेस्ट्रोल मेंटेन रहे इसके लिए ये सुबह और शाम वॉक पर जाना खासा पसंद करते हैं, टिप्पू के मालिक के अनुसार टिप्पू को सुबह शाम सैर करते कि आदत है जिसे ये पूरी तरह एन्जॉय करता है. राज सिंह बताते हैं कि सैर से आने के बाद इन्हें पंखे की ठंडी हवा में आराम करना भी खूब भाता है जिसके लिए 'टिप्पू' के तबेले में उसे गर्मी से बचाने के लिए हर वक्त पंखा और कूलर चलता रहता है.

10,000 में मिलती हैं टिप्पू की विशेष सेवाएं

जी हां बिल्कुल सही सुना आपने, अपनी 'विशेष सेवाओं' के लिए टिप्पू 10,000 रुपए चार्ज करते हैं. राज सिंह के अनुसार गधे की अच्‍छी नस्‍ल तैयार कराना ही उनके परिवार का पेशा है. इस ब्रीडिंग के लिए हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक से ब्रीडर 'टिप्पू' की 'सेवाएं' लेने ग्राहक आते हैं और उनके द्वारा एक बार 'टिप्पू' की सेवाएं लेने के लिए 10,000 रुपए लिए जाते हैं.

जल्द बनाएंगे 20 लाख का गधा

टिप्पू के मालिक राज सिंह के अनुसार अब उनका इरादा एक 'सुपर गधा' विकसित करने का है जो 'टिप्पू' से भी ऊंचा और कद काठी में मजबूत होगा. जिसे ये आगे जाकर 20 लाख रुपए में बेच सकें.

गौरतलब है कि अभी कुछ दिन पूर्व हरियाण का युवराज चर्चा में था जिसके मालिक ने उसकी कीमत 1 करोड़ रुपए रखी थी और अब टिप्पू ने लोगों को हैरत में डाल दिया है. साथ ही युवराज और टिप्पू ने लोगों को ये बता दिया है कि भले ही इस देश में लोगों के अच्छे दिन आए हों या न आए हों मगर जानवरों के तो आ ही गये हैं.                      

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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