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'KOOजीवी' हो जाने पर मिलेगी मन की शांति, और भी कई फायदे!

    • आईचौक
    • Updated: 14 फरवरी, 2021 10:11 PM
  • 14 फरवरी, 2021 10:11 PM
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रोजमर्रा की जिंदगी से तंग आकर लोग पहाड़ों पर घूमने निकल जाते हैं. दिमागी और शारीरिक सुकून पाने का शानदार तरीका KOO के आने से पहले यही माना जाता था. लेकिन, KOO की एंट्री ने इसे दूसरे नंबर पर धकेल दिया है. लोग शांति की खोज में अब हिमालय पर नहीं जाएंगे. बल्कि, KOO पर आएंगे.

'सुल्तान' फिल्म में जिस तरह से सलमान खान अपने प्रतिद्वंदियों को पटक-पटक कर धोते हैं. ठीक उसी तरह का माहौल भारत सरकार और ट्विटर के बीच बना हुआ है. इसे सरल शब्दों में यूं कहा जा सकता है कि ट्विटर और भारत सरकार के बीच अब बस घूंसा-लात होना ही बाकी रह गया है. सरकार ने कड़े शब्दों में ट्विटर को समझा दिया है कि भारत में रहना होगा, तो संविधान-संविधान कहना होगा. ट्विटर और भारत सरकार के बीच ये सारी तनातनी किसान आंदोलन को लेकर बनी थी. आंदोलन को पवित्र बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंदोलनजीवियों से बचकर रहने की सलाह भी दी थी. इस तमाम खींचतान का देसी स्टार्टअप KOO (कू) एप को बहुत फायदा मिला है. सरकार के मंत्रियों से लेकर आम आदमी तक अब इसकी ओर रुख कर रहे हैं. इसे प्ले स्टोर से एक मिलियन से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया. मैंने भी KOO एप पर अकाउंट बना ही लिया है और इसके फायदों को आनंद ले रहा हूं. KOO एप के फायदे आपको KOOजीवी होने पर दिखेंगे.

रोजमर्रा की जिंदगी से तंग आकर लोग पहाड़ों पर घूमने निकल जाते हैं. दिमागी और शारीरिक सुकून पाने का शानदार तरीका KOO के आने से पहले यही माना जाता था. लेकिन, KOO की एंट्री ने इसे दूसरे नंबर पर धकेल दिया है. लोग शांति की खोज में अब हिमालय पर नहीं जाएंगे. बल्कि, KOO पर आएंगे. इस देसी एप पर अकाउंट बनाने के साथ ही आपको अन्य लोगों को फॉलो करने का ऑप्शन दिखाई देगा. बस इसी जगह से शुरू होता है, KOOजीवी होने का फायदा. KOO पर किसी को फॉलो किए बिना आप अपने हिसाब से शांतिपूर्ण माहौल बना सकते हैं. ऐसे में किसान आंदोलन, चीन, पाकिस्तान, कश्मीर, सांप्रदायिकता, टुकड़े-टुकड़े और भी न जाने क्या-क्या की सोशल मीडिया पर होने वाली बहस से मिलने वाले मेंटल प्रेशर (मानसिक दबाव) से बचने का सबसे अच्छा तरीका ये KOOजीवी होना.

सोशल मीडिया पर तकरीबन...

'सुल्तान' फिल्म में जिस तरह से सलमान खान अपने प्रतिद्वंदियों को पटक-पटक कर धोते हैं. ठीक उसी तरह का माहौल भारत सरकार और ट्विटर के बीच बना हुआ है. इसे सरल शब्दों में यूं कहा जा सकता है कि ट्विटर और भारत सरकार के बीच अब बस घूंसा-लात होना ही बाकी रह गया है. सरकार ने कड़े शब्दों में ट्विटर को समझा दिया है कि भारत में रहना होगा, तो संविधान-संविधान कहना होगा. ट्विटर और भारत सरकार के बीच ये सारी तनातनी किसान आंदोलन को लेकर बनी थी. आंदोलन को पवित्र बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंदोलनजीवियों से बचकर रहने की सलाह भी दी थी. इस तमाम खींचतान का देसी स्टार्टअप KOO (कू) एप को बहुत फायदा मिला है. सरकार के मंत्रियों से लेकर आम आदमी तक अब इसकी ओर रुख कर रहे हैं. इसे प्ले स्टोर से एक मिलियन से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया. मैंने भी KOO एप पर अकाउंट बना ही लिया है और इसके फायदों को आनंद ले रहा हूं. KOO एप के फायदे आपको KOOजीवी होने पर दिखेंगे.

रोजमर्रा की जिंदगी से तंग आकर लोग पहाड़ों पर घूमने निकल जाते हैं. दिमागी और शारीरिक सुकून पाने का शानदार तरीका KOO के आने से पहले यही माना जाता था. लेकिन, KOO की एंट्री ने इसे दूसरे नंबर पर धकेल दिया है. लोग शांति की खोज में अब हिमालय पर नहीं जाएंगे. बल्कि, KOO पर आएंगे. इस देसी एप पर अकाउंट बनाने के साथ ही आपको अन्य लोगों को फॉलो करने का ऑप्शन दिखाई देगा. बस इसी जगह से शुरू होता है, KOOजीवी होने का फायदा. KOO पर किसी को फॉलो किए बिना आप अपने हिसाब से शांतिपूर्ण माहौल बना सकते हैं. ऐसे में किसान आंदोलन, चीन, पाकिस्तान, कश्मीर, सांप्रदायिकता, टुकड़े-टुकड़े और भी न जाने क्या-क्या की सोशल मीडिया पर होने वाली बहस से मिलने वाले मेंटल प्रेशर (मानसिक दबाव) से बचने का सबसे अच्छा तरीका ये KOOजीवी होना.

सोशल मीडिया पर तकरीबन हर व्यक्ति या ग्रुप किसी न किसी विचारधारा से जुड़ा ही रहता है.

एंड्राइड मोबाइल की पहुंच हर हाथ में होने के बाद वैसे भी अधिकतर लोग फ्री डेटा के साथ दिन से लेकर रात तक जब मौका मिले अपनी आंखें फोड़ते रहते हैं. जब आपकी फीड बिना किसी को फॉलो किए खाली रहेगी, तो आप अपने परिवार को अच्छे से समय दे पाएंगे. ट्विटर और फेसबुक की आभासी दुनिया से दूर एक असली दुनिया, जो यकीनी तौर पर केवल आपकी है, उसे समय देना मुझे पसंद आ रहा है. सोशल मीडिया पर तकरीबन हर व्यक्ति या ग्रुप किसी न किसी विचारधारा से जुड़ा ही रहता है. तमाम तरह की विचारधाराओं से जुड़े ग्रुप कभी रिंकू शर्मा की हत्या तो, कभी APA के तहत जेल में बंद लोगों के लिए आभासी झगड़ा करते रहते हैं. इस हिंसा से बचने का सबसे अचूक तरीका है, KOO. 'एजेंडा सेटिंग थ्योरी' के लिए सोशल मीडिया सबसे सटीक टूल है. ऐसे में इस नए एप पर जाकर आप इससे भी बचा जा सकता है.

ट्विटर के 'व्हॉट्स हैपनिंग' और फेसबुक के 'राइट समथिंग हियर' के चक्कर में फंसे लोगों को सुबह की गुड मॉर्निंग और रात को गुड नाइट करने से आराम मिलेगा. रोज फोटो डालकर खुद को खुश दिखाने और बड़े-बड़े विचारों को लिखकर अपने ज्ञान का प्रदर्शन करने के दबाव से दूर रहेंगे. Kooजीवी हो जाने पर बेमतलब की शायरियां, फॉरवर्डेड मैसेज, बड़ी-बड़ी हस्तियों के सुविचार आदि भी आपका कुछ बिगाड़ नहीं सकेंगे. चैटिंग के जरिये लोगों की केयर करने की बजाय आप उनके घर जाने का समय निकाल पाएंगे. सोशल मीडिया की बहसों से कभी न निकलने वाले हल को लेकर आपके ज्ञानचक्षु भी खुल सकते हैं. शायद आप जिन चीजों के लिए सोशल मीडिया पर आंदोलन चला रहे हैं, उसके लिए जमीनी स्तर पर कुछ काम कर सकें. ऑनलाइन फ्रॉड से बचने जैसे कुछ छोटे-मोटे फायदे और भी है.

इन तमाम फायदों का लुत्फ उठाने के लिए आपको केवल एक ही चीज करनी है और वो है KOO पर आने के बाद किसी को फॉलो न करना. यहां कोई अगर आप को फॉलो कर रहा है, तो आप को परेशान होने की जरूरत नहीं है. आप खुद पर नियंत्रण रखते हुए थोड़ी सी शांति बनाए रखेंगे, तो इसके लॉन्ग टर्म फायदे आपको मिलते रहेंगे. हालांकि, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि आपको ये फायदे पसंद न आएं. ये 'स्वान्त: सुखाय' वाले फायदे हैं. मेरे लिए कारगर है और हो सकता है कि आप के लिए भी फायदेमंद साबित हो जाएं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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