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व्यंग्य : अब मोबाइल में रिसीवर से रेडिएशन रुकेगा, पहले नोटबंदी से कालाधन भी तो आया था

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 24 दिसम्बर, 2017 11:40 AM
  • 24 दिसम्बर, 2017 11:40 AM
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मोदी सरकार के मंत्रियों द्वारा अजीब ओ गरीब हरकतें करना कोई नई बात नहीं है. इसी क्रम में एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर ने एक ऐसी हरकत की है जिसको देखकर कोई भी आश्चर्य में पड़ जाएगा और उनकी आलोचना करेगा.

सुबह से एक तस्वीर ट्विटर की गलियों में दौड़ रही है. तस्वीर में मोदी सरकार में मानव संसाधन मंत्रालय और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन का स्वतंत्र प्रभार संभाल रहे प्रकाश जावड़ेकर हैं. जावड़ेकर संसद भवन में हैं जहां उनके एक हाथ में "एप्पल" का महंगा वाला लाल फोन और उसमें लगा एक सस्ता सा पर्पल कलर का रिसीवर है. तस्वीर में मीडिया के कैमरों से घिरे जावड़ेकर उस रिसीवर से किसी से बात करते हुए नजर आ रहे हैं और बड़े खुश हैं. पहली नजर में किसी को भी ये तस्वीर थोड़ी अटपटी लग सकती है और शायद व्यक्ति भी ये कह बैठे कि भला इतने महंगे फोन में कोई रिसीवर लगाकर इस तरह बात करता है. या ये भी हो सकता है कि व्यक्ति के दिमाग में इसी तरह के अन्य प्रश्न आएं.

जिनके दिमाग में इस तस्वीर को लेकर उथल पुथल मची हो वो जान ले उनके प्रश्नों पर खुद जावड़ेकर विराम लगा चुके हैं. शायद जावड़ेकर का मानना है कि ऐसा करते हुए हम मोबाइल से निकलने वाले खतरनाक रेडिएशन से बच सकते हैं. ज्ञात हो कि डॉक्टर हमेशा मोबाइल को ज्यादा पास न रखने की सलाह देते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि  डॉक्टर्स का मानना है कि इससे निकलने वाली तरंगें शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे व्यक्ति के डीएनए पर भी असर पड़ता है.

प्रकाश जावड़ेकर की ये अदा किसी का भी मन मोह लेने के लिए काफी है

मैं जावड़ेकर और उनकी हंसी को, उस लाल रंग के कवर वाले एप्पल के फोन को, पर्पल कलर के रिसीवर को सबको देख रहा हूं. इनको देखते देखते मैं कब अतीत में चला गया मुझे पता ही नहीं चला. अतीत में मुझे मोदी जी दिखे, 1000 और 500 के नोट दिखे, नोटबंदी दिखी, कालेधन की मोटी-मोटी गड्डियां दिखीं. मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि दाएं हाथ में मोबाइल लेकर बाएं हाथ में रिसीवर पकड़ने से मोबाइल का विकिरण शायद उतने ही प्रभावी ढंग से रुके जितना...

सुबह से एक तस्वीर ट्विटर की गलियों में दौड़ रही है. तस्वीर में मोदी सरकार में मानव संसाधन मंत्रालय और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन का स्वतंत्र प्रभार संभाल रहे प्रकाश जावड़ेकर हैं. जावड़ेकर संसद भवन में हैं जहां उनके एक हाथ में "एप्पल" का महंगा वाला लाल फोन और उसमें लगा एक सस्ता सा पर्पल कलर का रिसीवर है. तस्वीर में मीडिया के कैमरों से घिरे जावड़ेकर उस रिसीवर से किसी से बात करते हुए नजर आ रहे हैं और बड़े खुश हैं. पहली नजर में किसी को भी ये तस्वीर थोड़ी अटपटी लग सकती है और शायद व्यक्ति भी ये कह बैठे कि भला इतने महंगे फोन में कोई रिसीवर लगाकर इस तरह बात करता है. या ये भी हो सकता है कि व्यक्ति के दिमाग में इसी तरह के अन्य प्रश्न आएं.

जिनके दिमाग में इस तस्वीर को लेकर उथल पुथल मची हो वो जान ले उनके प्रश्नों पर खुद जावड़ेकर विराम लगा चुके हैं. शायद जावड़ेकर का मानना है कि ऐसा करते हुए हम मोबाइल से निकलने वाले खतरनाक रेडिएशन से बच सकते हैं. ज्ञात हो कि डॉक्टर हमेशा मोबाइल को ज्यादा पास न रखने की सलाह देते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि  डॉक्टर्स का मानना है कि इससे निकलने वाली तरंगें शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे व्यक्ति के डीएनए पर भी असर पड़ता है.

प्रकाश जावड़ेकर की ये अदा किसी का भी मन मोह लेने के लिए काफी है

मैं जावड़ेकर और उनकी हंसी को, उस लाल रंग के कवर वाले एप्पल के फोन को, पर्पल कलर के रिसीवर को सबको देख रहा हूं. इनको देखते देखते मैं कब अतीत में चला गया मुझे पता ही नहीं चला. अतीत में मुझे मोदी जी दिखे, 1000 और 500 के नोट दिखे, नोटबंदी दिखी, कालेधन की मोटी-मोटी गड्डियां दिखीं. मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि दाएं हाथ में मोबाइल लेकर बाएं हाथ में रिसीवर पकड़ने से मोबाइल का विकिरण शायद उतने ही प्रभावी ढंग से रुके जितना नोटबंदी से कालाधन प्रभावित हुआ था.

इतिहास गवाह है, नोटबंदी के दौरान कतारों में खड़े लोगों को देखकर तब मुझे यकीन हो गया था कि कालेधन पर लगाम कसने के लिए मोदी जी का ये आईडिया बहुत दमदार है .आज उन्हीं के मंत्री, प्रकाश जावड़ेकर के विकिरण रोकने के इस जुआड़ से फिर एक बार मारे खुशी के मेरी आंखें नम हो गयी हैं. मेरी ईश्वर से कामना है कि ये सभी नेता सलामत रहें और इसी तरह ये हमें तरह तरह के आश्चर्य में डालने वाले आईडिया देते रहें और हम इंडिया से न्यू इंडिया की तरफ फुल स्पीड में बढ़ते रहें.

आज प्रकाश जावड़ेकर की इस तस्वीर को देखकर मुझे वो दावे भी याद आ गए जब नोटबंदी के बाद लॉन्च हुए और अब तक लांच हो रहे 2000, 500, 200 और 50 रुपए के नोट पर तमाम "बड़े लोगों" ने कहा था कि सुरक्षा के लिहाज से ये नोट ऐसे हैं कि अगर इन्हें घर के गेट में बांध दिया जाए तो चोर चाहे कुछ भी करले मगर वो कभी आपकी साइकिल, मोटर साइकिल और फोर व्हीलर नहीं चुरा पाएगा. तब हमें इस देश के कई महत्वपूर्ण लोगों ने इस बात से भी अवगत कराया था कि इस नोट में कहीं किसी स्थान पर एक अज्ञात चिप है, चिप क्या बल्कि लोगों ने इसे डिफाल्टर लोगों के लिए फांसी का फंदा तक कहा था.

एक नागरिक के तौर पर हमें ये जानने का प्रयास करना चाहिए कि इन नेताओं के दिमाग में इस तरह के विचार आते कैसे हैं

"बड़े लोगों" ने तब बताया था कि अगर कहीं भी इस नोट से धांधली हुई या अगर कहीं भी धांधली हो रही है तो इसमें लगी चिप नजदीकी थाने में जड़े हूटर से जीपीएस की मदद से कनेक्ट हो जाएगी और बेईमान व्यक्ति तत्काल प्रभाव से गिरफ्तार कर लिया जाएगा. आज तक कितनी गिरफ्तारियां हुईं ये मीडिया वाले अंकल ने मुझे कभी बताया नहीं सो मुझे पता भी नहीं चला. गौरतलब है कि अभी कुछ दिनों पूर्व में हमने भाजपा के ही एक अन्य मंत्री गिरिराज सिंह को ये कहते सुना था कि उनकी सरकार जल्द ही 5 रुपए किलो गोबर और 10 रुपए लीटर गौ मूत्र खरीदकर हरित क्रांति और जैविक खाद के निर्माण हो बल देने वाली है.

हां तो हम बात जावड़ेकर की इस नई खोज पर कर रहे थे. जावड़ेकर के इस नए शगूफे को देखें तो मन में यही आता है कि आखिर ये नेता ऐसा कर कैसे लेते हैं? गिरिराज जैसे लोग क्यों इस बात को भूल जाते हैं कि ये एक ऐसे दौर में लोगों पर शासन कर रहे हैं जहां सोशल मीडिया पर कब राई का पहाड़ और पहाड़ की राई बना दी जाए कहा नहीं जा सकता.

बहरहाल जावड़ेकर जी हमारे मंत्री हैं उनकी बात मानना हमारा फर्ज है. मैं कोशिश करूंगा की उनके बताए मार्ग पर चलूं और मोबाइल के साथ रिसीवर का इस्तेमाल करूं. अब भले ही मुझे रिसीवर रखने के लिए जींस में दर्जी से एक एक्स्ट्रा जेब सिलवानी पड़े मैं उसे सिलवाऊंगा और दुनिया को ये बताऊंगा कि जब ये नेता हमने चुने हैं तो इनकी कही बातों पर अमल करना भी हमारा ही फर्ज है.  साथ ही मैं दुनिया को ये भी बताऊंगा कि यदि उन्होंने मेरे द्वारा चुने गए नेता के विषय में कोई बात कही या उसपर उंगली उठाई तो मैं कड़ी निंदा के स्वरुप उन्हें करारा जवाब दूंगा. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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