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E-cigarettes Ban के बाद बीड़ी ने की है मन की बात- मोदी सरकार, थैंक यू!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 18 सितम्बर, 2019 10:41 PM
  • 18 सितम्बर, 2019 10:40 PM
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E-cigarettes Ban होने से सबसे ज्यादा खुश बीड़ी है. जिसने अपनी ख़ुशी को शब्द दे दिए हैं और सरकार को एक थैंक यू नोट लिखा है जिसमें उसने बताया है कि कैसे ई सिगरेट लगातार भारतीय संस्कृति पर हमला कर उसे कमजोर कर रही थी.

डियर सरकार बहादुर

थैंक यू! फाइनली आज वो दिन आ गया जिस दिन का मैं बरसों से इंतजार कर रही थी. E-cigarettes Ban हो गई. इस खबर के बाद मुझे कितनी राहत मिली है अगर मैं लिखने बैठ जाऊं तो कसम से तुलसीदास, कबीरदास, रहीमदास, रसखान, ग़ालिब, मीर,  जौक सब मेरे आगे पानी भरेंगे. मुझे आज भी वो दिन याद है जब उस गली नंबर तीन की मोड़ वाले चौरसिया ताम्बूल केंद्र पर मेरा और इसका आमना सामना हुआ था. यही सितम्बर का महीना था. उस दिन  उमस थी और फिर दोपहर में बारिश हुई थी. बारिश की छीटें मुझपर भी आई थीं जिस कारण मैं बुरी तरह भीग गई थी. अपनी गीली पैकिंग के साथ एक कोने में पड़ी मैं कांप रही थी कि तभी अचानक सैल्समैन आया. सैल्समैन ने दुकान के मालिक कल्लू चौरसिया से कुछ बात की और थोड़ी देर बाद इसे मेरे बगल मैं बैठा दिया गया.

E-cigarette बैन पर अगर कोई सबसे ज्यादा खुश है तो और कोई नहीं बल्कि बीड़ी है

अब हम दोनों साथ थे. मैं गीले कागज की पैकिंग में थी जबकि ये किसी बादशाह की तरह चमकदार लिबाज में थी. अब क्योंकि मैं चौरसिया की दुकान पर बरसों से हूं इसलिए मैं इस ई-सिगरेट की सीनियर हुई. इसके बावजूद मैंने इसे हेलो किया और इसका हाल चल जानने के लिए इससे बातचीत शुरू की. मगर इसका एटीट्यूड ऐसा की ये सिर्फ मुझे हां हूं में जवाब दे रही थी लेकिन मैं भोली इससे लगातार बात किये जा रही थी. इसने मुझे बताया कि ये कहीं बहार से आई है और इतना बताकर फिर ये सोने चली गई. वो दिन है और आज का दिन है मैंने खुद बात न की इस घमंडी से.

अभी मेरा मालिक कल्लू किसी से बात कर रहा था कि इसके बैन होने के बाद सोशल मीडिया पर...

डियर सरकार बहादुर

थैंक यू! फाइनली आज वो दिन आ गया जिस दिन का मैं बरसों से इंतजार कर रही थी. E-cigarettes Ban हो गई. इस खबर के बाद मुझे कितनी राहत मिली है अगर मैं लिखने बैठ जाऊं तो कसम से तुलसीदास, कबीरदास, रहीमदास, रसखान, ग़ालिब, मीर,  जौक सब मेरे आगे पानी भरेंगे. मुझे आज भी वो दिन याद है जब उस गली नंबर तीन की मोड़ वाले चौरसिया ताम्बूल केंद्र पर मेरा और इसका आमना सामना हुआ था. यही सितम्बर का महीना था. उस दिन  उमस थी और फिर दोपहर में बारिश हुई थी. बारिश की छीटें मुझपर भी आई थीं जिस कारण मैं बुरी तरह भीग गई थी. अपनी गीली पैकिंग के साथ एक कोने में पड़ी मैं कांप रही थी कि तभी अचानक सैल्समैन आया. सैल्समैन ने दुकान के मालिक कल्लू चौरसिया से कुछ बात की और थोड़ी देर बाद इसे मेरे बगल मैं बैठा दिया गया.

E-cigarette बैन पर अगर कोई सबसे ज्यादा खुश है तो और कोई नहीं बल्कि बीड़ी है

अब हम दोनों साथ थे. मैं गीले कागज की पैकिंग में थी जबकि ये किसी बादशाह की तरह चमकदार लिबाज में थी. अब क्योंकि मैं चौरसिया की दुकान पर बरसों से हूं इसलिए मैं इस ई-सिगरेट की सीनियर हुई. इसके बावजूद मैंने इसे हेलो किया और इसका हाल चल जानने के लिए इससे बातचीत शुरू की. मगर इसका एटीट्यूड ऐसा की ये सिर्फ मुझे हां हूं में जवाब दे रही थी लेकिन मैं भोली इससे लगातार बात किये जा रही थी. इसने मुझे बताया कि ये कहीं बहार से आई है और इतना बताकर फिर ये सोने चली गई. वो दिन है और आज का दिन है मैंने खुद बात न की इस घमंडी से.

अभी मेरा मालिक कल्लू किसी से बात कर रहा था कि इसके बैन होने के बाद सोशल मीडिया पर खूब हो हल्ला हो रहा है. लोग इसके समर्थन और विरोध दोनों में आ रहे हैं. जिन्होंने इसका विरोध किया अच्छी बात है. जो इसका समर्थन कर रहे हैं और कह रहे हैं कि सरकार ने गलत फैसला लिया है मेरी नजर में वो देशद्रोही हैं तो बस हैं.

हो सकता है कि ई  सिगरेट के समर्थकों को देश द्रोही कहने के बाद मेरी आलोचना हो मगर मुझे इसका बिलकुल भी फर्क नहीं पड़ता. ऐसे लोग अपनी जड़ों से दूर हैं और इन्हें अपनी सभ्यता और संस्कृति से कोई मतलब नहीं है. मैं बता रही हूं इन्हें सिर्फ अंग्रेजों और अंग्रेजियत की गुलामी करनी है.

खुद एक बीड़ी और तम्बाकू से बनी होने के बावजूद मैं इस फैसले पर देश की सरकार के साथ हूं. इस घमंडी को तो बहुत पहले ही बैन हो जाना था.

आपने ये फैसला अब लिया है तो ये कहना मेरे लिए अतिश्योक्ति नहीं है कि एक बार फिर से मेरे अच्छे दिन आए हैं. जो लोग मुझे इग्नोर कर रहे थे, जिन्हें मुझसे अचानक से नफ़रत हो गई थी अब वो लोग मुझे दोबारा अपनाएंगे. अच्छा हां इन सब का एक फायदा ये भी है कि वो लोग जो अपनी सभ्यता संस्कृति भूल बैठे थे वापस अपनी जड़ों की तरफ, अपने देश की तरफ लौटेंगे. इसलिए एक मुश्किल वक़्त में इस अहम् फैसले के लिए थैंक यू सो मच.

आपकी,

स्‍वदेशी देशी बीड़ी

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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