• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
ह्यूमर

नीबुहवा बाबा की कहानी में छुपा है बाबागिरी का बिजनेस मॉडल

    • पीयूष द्विवेदी
    • Updated: 27 अगस्त, 2017 08:32 PM
  • 27 अगस्त, 2017 08:32 PM
offline
बाबागिरी एकलौता ऐसा सोर्स ऑफ इनकम है, जहां बाईज्जत मोटीकमाई होती है. भक्त लोग चरण स्पर्श के साथ चढ़ावा भी चढ़ाते हैं, और साथ ही, अगर किसी ने बाबा कुछ कहने की हिम्मत की, तो भक्त लोग उसकी ऐसी वाट लगाते हैं कि आगे से वो कहना ही भूल जाता है.

एक बालक था. बालक बेरोजगार था. बहुत प्रयास किया, पर सही रोजगार नहीं मिला. अंततः थक हारकर वो जुगाड़ू बाबा की शरण में गया. उसने जुगाड़ू बाबा को अपना दुखड़ा सुनाया. उसका दुखड़ा सुनकर जुगाड़ू बाबा ने उसे दो मिर्च, एक काला धागा और एक नींबू दिया और बोले, ‘इनको गूंथ और बेच’. बालक बोला, ‘बाबा! ये क्या रोजगार है?’

बालक की बात सुनकर ऐसे मुस्कुराये जुगाड़ू बाबा, जैसे बालक ने कोई बचकानी बतिया दी हो. बोले, ‘बालक ! तू अभी अनुभवहीन है, तुझे इस संसार का कुछ नहीं पता है, इसीलिए ऐसी बेतुकी बात पूछ रहा है. इस महान हिपोक्रेट भारतवर्ष में सिर्फ तीन चीजें चलती हैं- नेतागिरी, दादागिरी और बाबागिरी. नेतागिरी और दादागिरी में तो फिर भी रिस्क है, लफड़ा होने, जेल जाने का डर है, पर बाबागिरी एकलौता ऐसा सोर्स ऑफ इनकम है, जहां बाईज्जत मोटीकमाई होती है. भक्त लोग चरण स्पर्श के साथ चढ़ावा भी चढ़ाते हैं, और साथ ही, बाबा लोगों को कोई कुछ कह भी नहीं सकता. अगर किसी ने कुछ कहने की हिम्मत की, तो भक्त लोग उसकी ऐसी वाट लगाते हैं कि आगे से वो कहना ही भूल जाता है. कुल मिलकर पूरा सेफ रास्ता है मोटी कमाई का. इसलिए हे बालक ! तू सभी सोच को त्याग और लग जा नींबू कि बाबागिरी में.'

जुगाडू बाबा के इस उपदेश से बालक को कुछ अक्ल आई. वो बोला, ‘बाबा, आपने मेरी आंखें खोल दीं, मैं समझ गया कि बाबागिरी सबसे बेहतर व्यापर है, सबसे अच्छी नौकरी है, और सबसे अच्छा पद भी बाबागिरी ही है. कुल मिलकर इस देश में मोटी कमाई का सबसे बेहतर साधन बाबागिरी ही है, पर बाबाएक संदेह है कि क्या नींबू की बाबागिरी चलेगी.‘

बाबा बोले, ‘कितनी बार कहूं कि यहां सिर्फ बाबागिरी चलती है. नींबू हो या टमाटर, बाबागिरी जुड़ जाने पर सब चलेगा.'

बालक जुगाड़ू बाबा का चरण-वंदन करके चला गया, और फिर, कुछ दिनों बाद,...

एक बालक था. बालक बेरोजगार था. बहुत प्रयास किया, पर सही रोजगार नहीं मिला. अंततः थक हारकर वो जुगाड़ू बाबा की शरण में गया. उसने जुगाड़ू बाबा को अपना दुखड़ा सुनाया. उसका दुखड़ा सुनकर जुगाड़ू बाबा ने उसे दो मिर्च, एक काला धागा और एक नींबू दिया और बोले, ‘इनको गूंथ और बेच’. बालक बोला, ‘बाबा! ये क्या रोजगार है?’

बालक की बात सुनकर ऐसे मुस्कुराये जुगाड़ू बाबा, जैसे बालक ने कोई बचकानी बतिया दी हो. बोले, ‘बालक ! तू अभी अनुभवहीन है, तुझे इस संसार का कुछ नहीं पता है, इसीलिए ऐसी बेतुकी बात पूछ रहा है. इस महान हिपोक्रेट भारतवर्ष में सिर्फ तीन चीजें चलती हैं- नेतागिरी, दादागिरी और बाबागिरी. नेतागिरी और दादागिरी में तो फिर भी रिस्क है, लफड़ा होने, जेल जाने का डर है, पर बाबागिरी एकलौता ऐसा सोर्स ऑफ इनकम है, जहां बाईज्जत मोटीकमाई होती है. भक्त लोग चरण स्पर्श के साथ चढ़ावा भी चढ़ाते हैं, और साथ ही, बाबा लोगों को कोई कुछ कह भी नहीं सकता. अगर किसी ने कुछ कहने की हिम्मत की, तो भक्त लोग उसकी ऐसी वाट लगाते हैं कि आगे से वो कहना ही भूल जाता है. कुल मिलकर पूरा सेफ रास्ता है मोटी कमाई का. इसलिए हे बालक ! तू सभी सोच को त्याग और लग जा नींबू कि बाबागिरी में.'

जुगाडू बाबा के इस उपदेश से बालक को कुछ अक्ल आई. वो बोला, ‘बाबा, आपने मेरी आंखें खोल दीं, मैं समझ गया कि बाबागिरी सबसे बेहतर व्यापर है, सबसे अच्छी नौकरी है, और सबसे अच्छा पद भी बाबागिरी ही है. कुल मिलकर इस देश में मोटी कमाई का सबसे बेहतर साधन बाबागिरी ही है, पर बाबाएक संदेह है कि क्या नींबू की बाबागिरी चलेगी.‘

बाबा बोले, ‘कितनी बार कहूं कि यहां सिर्फ बाबागिरी चलती है. नींबू हो या टमाटर, बाबागिरी जुड़ जाने पर सब चलेगा.'

बालक जुगाड़ू बाबा का चरण-वंदन करके चला गया, और फिर, कुछ दिनों बाद, एक दिन एक और बाबा पैदा हुए. ये बाबा, लोगों को समस्या-समाधान हेतु नींबू और मिर्च काले धागे में गूथ देते. किसी को घर के उत्तर में टांगना होता, तो किसी को पूरब में, और मजे की बात तो ये है कि लोगों को इन से लाभ भी पहुंचा, कतारें बढ़ने लगीं और अब तो ये वास्तुशास्त्र के विशेषज्ञ कहे जाने लगे हैं.

वर्षों बीत गए.....! बाबा अभी प्रत्यक्षतः एक छोटे से घर में रहते हैं, उसी छोटे से घर में उनके कई कोठियों और बैंक खातों के कागजात, एक छोटे से संदूक में अप्रत्यक्षतः रखे हैं और हां अब उनका एक नया नाम भी पड़ गया है- निबुहवा बाबा.

ये भी पढ़ें-

राम रहीम को सजा जो भी मिले, उसका सलाखों के पीछे पहुंचना भी कोई मामूली बात नहीं

कहानी, गुरमीत राम रहीम के इंसा और इंसा से शैतां बनने की


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    टमाटर को गायब कर छुट्टी पर भेज देना बर्गर किंग का ग्राहकों को धोखा है!
  • offline
    फेसबुक और PubG से न घर बसा और न ज़िंदगी गुलज़ार हुई, दोष हमारा है
  • offline
    टमाटर को हमेशा हल्के में लिया, अब जो है सामने वो बेवफाओं से उसका इंतकाम है!
  • offline
    अंबानी ने दोस्त को 1500 करोड़ का घर दे दिया, अपने साथी पहनने को शर्ट तक नहीं देते
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲