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भारत में A Suitable Boy और तुर्की में Ethos: नेटफ्लिक्स का एजेंडा सेट है, जहां रहो बवाल कराओ!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 27 नवम्बर, 2020 10:14 PM
  • 27 नवम्बर, 2020 10:14 PM
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भारत में मीरा नायर (Mira Nair) की वेब सीरीज 'A Suitable Boy' पर बॉयकॉट नेटफ्लिक्स (Boycott Netflix) के जरिये लगी आग अभी ठंडी भी नहीं हुई है और वहां उधर टर्की में नेटफ्लिक्स की एक और सीरीज 'Ethos' ने तूफान ला दिया है और वहां भी बॉयकॉट नेटफ्लिक्स का शोर सातवें आसमान पर पहुंच गया है.

'पड़ी लकड़ी उठाना' देश का तो पता नहीं लेकिन लखनऊ और आस पास में बात बेबात इस मुहावरे का भरसक इस्तेमाल किया जाता है. तो गुरु बात कुछ यूं है कि दुनिया में दो तरह के लोग हैं एक वो जो कुल्हाड़ी में पैर मरते हैं दूसरे वो जो कुल्हाड़ी न होने पर बाजार जाते हैं . कुल्हाड़ी खरीदते हैं . उसकी धार चेक करते हैं. धार होने के बावजूद उसपर लुहार से दोबारा धार लगवाते हैं. घर लाते हैं सही एंगल पर फिट कर उसपर बिल्कुल सही एंगल से पैर मारते हैं और ख़ुद को घायल करते हैं. अब इन तमाम बातों को OTT प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स के मद्देनजर देखिए. इन दिनों नेटफ्लिक्स का एक ही शगल हो गया है "पड़ी लकड़ी उठाना' या फिर पैर पर कुल्हाड़ी नहीं बल्कि कुल्हाड़ी पर पैर मारना. ऐसा क्यों है? बात यदि वजह की हो तो एकमात्र कारण इसका कंटेंट हैं. भारत में मीरा नायर की वेब सीरीज 'A Suitable Boy' पर बॉयकॉट नेटफ्लिक्स (A Suitable Boy Boycott Netflix) के जरिये लगी आग अभी ठंडी भी नहीं हुई है और वहां उधर टर्की (Turkey) में नेटफ्लिक्स की एक और सीरीज 'Ethos' ने तूफान ला दिया है और वहां भी बॉयकॉट नेटफ्लिक्स (Boycott Netflix) का शोर सातवें आसमान पर पहुंच गया है.

भारत में A Suitable Boy के बाद टर्की में भी Ethos के चलते नेटफ्लिक्स की आलोचना हो रही है

वेब सीरीज के मद्देनजर जैसे हालात टर्की में हैं यदि नेटफ्लिक्स का कोई भाई वहां गया तो अंडे, टमाटर, जूते, लाठी, डंडे जिसको जो मिलेगा उससे वो वो चीज खाएगा. बता दें कि ये महान कार्य किया है  Berkun Oya ने बेरकुन राइटर डायरेक्टर हैं जिन्होंने Ethos नामक पंछी को परवाज के लिए पंख दिए हैं और जैसा जनता का रुख है टर्की में उनकी ये अदा लोगों को बिल्कुल भी रास नहीं आई है.

8 भागों में बनी इस सीरीज में तमाम करैक्टर हैं जिन्होंने इस्तांबुल की वो झलकी पेश...

'पड़ी लकड़ी उठाना' देश का तो पता नहीं लेकिन लखनऊ और आस पास में बात बेबात इस मुहावरे का भरसक इस्तेमाल किया जाता है. तो गुरु बात कुछ यूं है कि दुनिया में दो तरह के लोग हैं एक वो जो कुल्हाड़ी में पैर मरते हैं दूसरे वो जो कुल्हाड़ी न होने पर बाजार जाते हैं . कुल्हाड़ी खरीदते हैं . उसकी धार चेक करते हैं. धार होने के बावजूद उसपर लुहार से दोबारा धार लगवाते हैं. घर लाते हैं सही एंगल पर फिट कर उसपर बिल्कुल सही एंगल से पैर मारते हैं और ख़ुद को घायल करते हैं. अब इन तमाम बातों को OTT प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स के मद्देनजर देखिए. इन दिनों नेटफ्लिक्स का एक ही शगल हो गया है "पड़ी लकड़ी उठाना' या फिर पैर पर कुल्हाड़ी नहीं बल्कि कुल्हाड़ी पर पैर मारना. ऐसा क्यों है? बात यदि वजह की हो तो एकमात्र कारण इसका कंटेंट हैं. भारत में मीरा नायर की वेब सीरीज 'A Suitable Boy' पर बॉयकॉट नेटफ्लिक्स (A Suitable Boy Boycott Netflix) के जरिये लगी आग अभी ठंडी भी नहीं हुई है और वहां उधर टर्की (Turkey) में नेटफ्लिक्स की एक और सीरीज 'Ethos' ने तूफान ला दिया है और वहां भी बॉयकॉट नेटफ्लिक्स (Boycott Netflix) का शोर सातवें आसमान पर पहुंच गया है.

भारत में A Suitable Boy के बाद टर्की में भी Ethos के चलते नेटफ्लिक्स की आलोचना हो रही है

वेब सीरीज के मद्देनजर जैसे हालात टर्की में हैं यदि नेटफ्लिक्स का कोई भाई वहां गया तो अंडे, टमाटर, जूते, लाठी, डंडे जिसको जो मिलेगा उससे वो वो चीज खाएगा. बता दें कि ये महान कार्य किया है  Berkun Oya ने बेरकुन राइटर डायरेक्टर हैं जिन्होंने Ethos नामक पंछी को परवाज के लिए पंख दिए हैं और जैसा जनता का रुख है टर्की में उनकी ये अदा लोगों को बिल्कुल भी रास नहीं आई है.

8 भागों में बनी इस सीरीज में तमाम करैक्टर हैं जिन्होंने इस्तांबुल की वो झलकी पेश की है जिसने टर्की में लोगों को ये कहने पर मजबूर कर दिया कि 'हाय रब्बा ये क्या हो गया?' कुल मिलाकर टर्की में जनता इस सीरीज के मद्देनजर प्रोड्यूसर डायरेक्टर से जवाब मांग रही है मगर वो तमाम लोग गूंगा गुड़ खाए बैठे हैं और मामला पूरी तरह साइलेंट हैं.

आगे कुछ बात करें इससे पहले बताते चलें कि वहां उधर टर्की में भी सारा टंटा धार्मिक भावना वाला है. सीरीज में मुख्य किरदारों में हिजाब लगाती एक मरियम नाम की लड़की है जो एक दिन अपने कमरे में बेहोश हो जाती है. उसे एक मनोचिकित्सक के पास ले जाया जाता है और वहीं इस बात का खुलासा होता है कि उसका नाम मरियम किन परिस्थियों में रखा गया. यहां जो बातें दिखाई गईं हैं वही सारे बवाल की जड़ है.

कहानी में ऐसा बहुत कुछ दिखा और बता दिया गया है 'जो मौजूदा वक्त के लिहाज से सही नहीं है और समाज को आहत कर गया है.बाकी ये आहत है बड़ा कमाल शब्द. जब बात इसके अंतर्गत आती है तो भारत से लेकर टर्की तक सभी एक जैसे हो जाते हैं.

जहां जहां भी लोग फ़िल्म या वेब सीरीज के चलते आहत हुए हैं यदि उसकी कंबाइंड स्टडी की जाए और फिर एक रिसर्च पेपर निकाला जाए तो मालूम चलेगा कि कोई तो चुल है जिसके चलते भारत से लेकर विदेशों तक निर्माता निर्देशक धर्म का पुट डालते हैं और तिल का ताड़ कर देते हैं.

बात चूंकि नेटफ्लिक्स की चली है तो ये बताना भी बहुत ज़रूरी है कि अभी क्या भारत में अपनी वेब सीरीज 'A Suitable Boy में हिंदू लड़की द्वारा मुस्लिम युवक को मंदिर परिसर में किस दिलाकर इसने गाली कम खाई थी जो बची खुची गाली खाने ये तुर्की पहुंच गए. हो न हो लेकिन कोई फ़कीरी तो है इसमें जिसके चलते ये गाली गलौज और ट्रोलिंग की कोई परवाह नहीं करता.

बहरहाल भारत में A Suitable Boy, तुर्की में Ethos नेटफ्लिक्स का एजेंडा क्लियर है. जिस देश में रहना है बवाल करते रहना है. और चूंकि बात लोगों के खफा होने से जुड़ी है तो हम जौन एलिया के एक शेर के साथ अपनी बात को विराम देंगे कि

किस से इज़हार-ए-मुद्दआ कीजे

आप मिलते नहीं हैं क्या कीजे

हो न पाया ये फ़ैसला अब तक

आप कीजे तो क्या किया कीजे

आप थे जिस के चारा-गर वो जवां 

सख़्त बीमार है दुआ कीजे

एक ही फ़न तो हम ने सीखा है

जिस से मिलिए उसे ख़फ़ा कीजे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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