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मूर्ख नहीं हूं कि एक गुटखे के बदले तुम्हें वोट दे दूं

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 07 फरवरी, 2017 08:19 PM
  • 07 फरवरी, 2017 08:19 PM
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हम यूपी वाले गुटखे से कितना प्रेम करते हैं ये बात कोई समझे ना समझे मगर देश की अग्रणी पॉलिटिकल पार्टी बड़े ही बेहतर ढंग से जानती है. तभी तो बीजेपी उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनज़र लोगों को मुफ्त का गुटखा खिलाकर वोट की अपील कर रही है.

मैं उत्तर प्रदेश से हूं, हां वही मुलायम और योगी का उत्तर प्रदेश, माया और अखिलेश का उत्तर प्रदेश, प्रियंका और राहुल का उत्तर प्रदेश. खैर, अगर मैं इन सबसे अपने आपको कम्पेयर करूं तो मुझे लगता है ये सभी फेक हैं. असली उत्तर प्रदेश मैं हूं. मुझसे ही उत्तर प्रदेश है. शायद उपरोक्त दो लाइनों के बाद आप कन्फ्यूज हो गए हों तो आपके कन्फ्यूजन को विराम देते हुए मैं इतना ही कहुंगा कि मैं इतना उत्तर प्रदेश से हूं कि अब तो इस बात की गवाही मेरे दांत भी चीख चीख कर देते हैं.

हां, सही सुना आपने मैं उत्तर प्रदेश से कितनी शिद्दत और मुहब्बत से जुड़ा हूं इसको बताने के लिए मेरे दांत ही काफी हैं. हां, उत्तर प्रदेश के एक आदर्श नागरिक की तरह मैं बड़े सलीक़े के साथ और पूरा सम्मान देते हुए दबा के “मसाला” खाता हूं. आपने पिक्चर हॉल में सलीमे के बीच में मुकेश को देखा होगा, वो भी उत्तर प्रदेश से था और वो भी मसाला खाता था.

बहरहाल, जो जानते हैं वो जानते हैं जो नहीं जानते वो जान लें हमारे सूबे में मसाला “गुटखे” को कहते हैं. हमारे प्रदेश में बच्चा बड़ा बाद में होता है वो मसाला दबाना पहले सीख जाता है. और राज्यों में छोटे बच्चे, बड़ी शरारत करते हैं हमारे वाले में केस दूसरा है, वो छोटे बच्चे अपने मुंह से एक दूसरे से बड़ी पिचकारी मारने के लिए शर्तें लगाते हैं. हमारे सूबे में गुटखे वाले लोगों का अपना ही रुबाब है. सरकारी ऑफिस, बैंक, पार्क, सिनेमा हॉल, मॉल मल्टीप्लेक्स रेलवे/बस स्टेशन यहां तक कि एयरपोर्ट, आप कहीं भी चले जाएं आपको हर कोना गुटखे की पीक से रंगा हुआ मिलेगा. हम यूपी वाले वहीं गुटखा थूकना अपनी शान समझते हैं जहां लिखा हो कि यहां गुटखा थूकना मना है.

हमारे सूबे में गुटखे की कितनी वैल्यू है और लोग उसका कितना सम्मान करते हैं कभी आपको ये देखना हो तो आप लखनऊ, कानपुर,...

मैं उत्तर प्रदेश से हूं, हां वही मुलायम और योगी का उत्तर प्रदेश, माया और अखिलेश का उत्तर प्रदेश, प्रियंका और राहुल का उत्तर प्रदेश. खैर, अगर मैं इन सबसे अपने आपको कम्पेयर करूं तो मुझे लगता है ये सभी फेक हैं. असली उत्तर प्रदेश मैं हूं. मुझसे ही उत्तर प्रदेश है. शायद उपरोक्त दो लाइनों के बाद आप कन्फ्यूज हो गए हों तो आपके कन्फ्यूजन को विराम देते हुए मैं इतना ही कहुंगा कि मैं इतना उत्तर प्रदेश से हूं कि अब तो इस बात की गवाही मेरे दांत भी चीख चीख कर देते हैं.

हां, सही सुना आपने मैं उत्तर प्रदेश से कितनी शिद्दत और मुहब्बत से जुड़ा हूं इसको बताने के लिए मेरे दांत ही काफी हैं. हां, उत्तर प्रदेश के एक आदर्श नागरिक की तरह मैं बड़े सलीक़े के साथ और पूरा सम्मान देते हुए दबा के “मसाला” खाता हूं. आपने पिक्चर हॉल में सलीमे के बीच में मुकेश को देखा होगा, वो भी उत्तर प्रदेश से था और वो भी मसाला खाता था.

बहरहाल, जो जानते हैं वो जानते हैं जो नहीं जानते वो जान लें हमारे सूबे में मसाला “गुटखे” को कहते हैं. हमारे प्रदेश में बच्चा बड़ा बाद में होता है वो मसाला दबाना पहले सीख जाता है. और राज्यों में छोटे बच्चे, बड़ी शरारत करते हैं हमारे वाले में केस दूसरा है, वो छोटे बच्चे अपने मुंह से एक दूसरे से बड़ी पिचकारी मारने के लिए शर्तें लगाते हैं. हमारे सूबे में गुटखे वाले लोगों का अपना ही रुबाब है. सरकारी ऑफिस, बैंक, पार्क, सिनेमा हॉल, मॉल मल्टीप्लेक्स रेलवे/बस स्टेशन यहां तक कि एयरपोर्ट, आप कहीं भी चले जाएं आपको हर कोना गुटखे की पीक से रंगा हुआ मिलेगा. हम यूपी वाले वहीं गुटखा थूकना अपनी शान समझते हैं जहां लिखा हो कि यहां गुटखा थूकना मना है.

हमारे सूबे में गुटखे की कितनी वैल्यू है और लोग उसका कितना सम्मान करते हैं कभी आपको ये देखना हो तो आप लखनऊ, कानपुर, उन्नाव या फिर बाराबंकी, फैजाबाद आने और आकार देखने के लिए स्वतंत्र हैं. हम यूपी वाले गुटखे से कितना प्रेम करते हैं ये बात कोई समझे ना समझे मगर देश की अग्रणी पॉलिटिकल पार्टी बड़े ही बेहतर ढंग से जानती है. ये शायद हम यूपी वालों का गुटखे के प्रति प्रेम ही है जिसके चलते बीजेपी उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनज़र लोगों को मुफ्त का गुटखा खिलाकर वोट की अपील कर रही है.

गौरतलब है कि 2017 चुनावों के मद्देनज़र उत्तर प्रदेश में वोटर्स को आकर्षित करने के लिए बीजेपी द्वारा लोगों को खूब मुफ्त का गुटखा खिलाया जा रहा है. खबरों की मानें तो बांटे जाने वाले पाउच पर बीजेपी का चुनाव निशान कमल छपा है. जिसमें बीजेपी को वोट देने की अपील की गई है. इस खबर से जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण सूबे के मतदाताओं में खुशी की लहार है तो इससे बाकी के प्रमुख राजनैतिक दलों के माथे पर चिंता की बड़ी बड़ी लकीरें हैं.

सूत्रों की मानें तो इस खबर के बाद यूपी के मुख्य मंत्री इतने बेचैन हो उठे कि उन्होंने एक खैनी बनाने वाली कंपनी को ओपन लेटर लिख साइकिल मार्का खैनी बनाने की मांग कर डाली. सुनने में तो यहां तक आ रहा है कि कांग्रेस और बसपा भी इस दिशा पर काम करते हुए अपने अपने मीडिया प्रभारियों से बीड़ी सिगरेट की कंपनियों को खुला खत लिखवा रहे हैं कि वो बदलाव की इस बयार में उनका साथ दें. सुनने में यहां तक आ रहा है कि यदि बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, तम्बाकू, खैनी के बल पर ये पार्टियां जीत जाती हैं तो वो भविष्य में 80 सी के तहत इन्हें टैक्स में बड़ी छूट देंगी.

अंत में बस इतना ही इतना सब कुछ सुनने और जानने के बाद मेरी वो कोने में कहीं किनारे बैठी भावना आहत हो गयी है. आहत इसलिए कि वहां मेरे सूबे में मुफ्त का गुटखा और खैनी बंट रहा है और यहां दूर देश बैठा मैं उस गुटखे और खैनी पर ज्ञान बघार रहा हूं. काश मैं भी इस चुनाव में यूपी होता क्या पता दो चार बोरा गुटखा या 10–12 किलो खैनी ही कोई मुफ्त में दे जाता. यूं भी मुफ़्त का तो फिनायल भी अच्छा है फिर तो ये पौष्टिक गुटखा है. हां वही गुटखा जिसे हमारे सूबे के बच्चे बड़े चाव से खाते हैं और जिसके आगे दूध, फल, मेवे चॉकलेट सब फेल हैं.        

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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