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बहरीन को बिहार समझ रहा खालिद अब कोरोना के नियम कभी नहीं भूलेगा!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 18 जून, 2021 11:20 AM
  • 18 जून, 2021 11:20 AM
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बहरीन में रह रहे एक बिहार के भाई को कोरोना के नियम तोडना महंगा नहीं, बहुत महंगा पड़ गया है. खालिद नाम के व्यक्ति को न केवल जुर्माना देना पड़ा है बल्कि तीन साल की सजा भी हुई है. अब बीच बचाव के लिए उस व्यक्ति के परिजनों को MHA और केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की लल्लो चप्पो करनी पड़ रही है.

अच्छा हम भारतीयों का ठीक है. पान पुड़िया खाओ फिर सड़क पर पिच्च से थूक दो. इसी तरह खुले में 'वो' करने में जो आनंद है, आए हाए उसकी कल्पना तो शब्दों में कई ही नहीं जा सकती. सड़क पर केले का छिलका और चिप्स के पैकेट फेंक देने से लेकर नैनीताल, शिमला, मनाली की सुंदर वादियों में शराब की बोतलें, बियर के खाली केन फेंक देने तक नियम कानून तोड़ने में हम भारतीयों का किसी से कोई मुकाबला नहीं है. कोरोना काल में हुए लॉक डाउन को ही देख लीजिए हिंदुस्तानी आदमी जनता है कि रोड पर निकलेंगे तो मार लाठी पुलिसवाले तशरीफ़ नीली कर देंगे मगर उसे डेयरिंग दिखानी है तो दिखानी है. मजाल है कोई रोक ले. जिक्र नियम कानून तोड़ने का हुआ है तो फर्स्ट, सेकंड, थर्ड, फोर्थ आने का कॉम्पटीशन यूपी, बिहार, दिल्ली, हरियाणा के बीच हो होता है. बाकी राज्य सीधे हैं. इन्हें खेलते हुए देखते हैं तो ताली बजाते हैं. लेकिन ये खेल उधर बाहर गांव बहरीन में रह रहे एक बिहार के भाई को महंगा नहीं, बहुत महंगा पड़ गया है. उसने कोविड प्रोटोकॉल तोड़ा मगर वो वो भूल गया कि वो बहरीन है, बिहार नहीं. बेचारे की लंका लग गयी और अब बीच बचाव के लिए उस व्यक्ति के परिजनों को MHA की लल्लो चप्पो करनी पड़ रही.

कोरोना के नियम तोड़ने वाले खालिद को समझना चाहिए था वो बहरीन में है बिहार में नहीं

तो भइया बात कुछ यूं है कि हैदराबाद के एक व्यक्ति ने हुकूमत ए बहरीन पर ज्यादती का आरोप लगाया है. व्यक्ति का आरोप है कि उसके भाई को 3 साल की सजा हुई है और ये सजा सिर्फ इसलिये हुई क्योंकि उसके भाई ने बहरीन के कोरोना नियमों का उल्लंघन किया है.मामले में दिलचस्प ये कि बहरीन में पकड़े गए उस भोले से व्यक्ति के परिजन ट्विटर पर विदेश मंत्रालय के साथ ट्वीट- ट्वीट खेल रहे हैं ताकि अपनी, हम सब की फॉरेन मिनिस्ट्री फौरन कुछ करे और उसे वापस सर ज़मीन...

अच्छा हम भारतीयों का ठीक है. पान पुड़िया खाओ फिर सड़क पर पिच्च से थूक दो. इसी तरह खुले में 'वो' करने में जो आनंद है, आए हाए उसकी कल्पना तो शब्दों में कई ही नहीं जा सकती. सड़क पर केले का छिलका और चिप्स के पैकेट फेंक देने से लेकर नैनीताल, शिमला, मनाली की सुंदर वादियों में शराब की बोतलें, बियर के खाली केन फेंक देने तक नियम कानून तोड़ने में हम भारतीयों का किसी से कोई मुकाबला नहीं है. कोरोना काल में हुए लॉक डाउन को ही देख लीजिए हिंदुस्तानी आदमी जनता है कि रोड पर निकलेंगे तो मार लाठी पुलिसवाले तशरीफ़ नीली कर देंगे मगर उसे डेयरिंग दिखानी है तो दिखानी है. मजाल है कोई रोक ले. जिक्र नियम कानून तोड़ने का हुआ है तो फर्स्ट, सेकंड, थर्ड, फोर्थ आने का कॉम्पटीशन यूपी, बिहार, दिल्ली, हरियाणा के बीच हो होता है. बाकी राज्य सीधे हैं. इन्हें खेलते हुए देखते हैं तो ताली बजाते हैं. लेकिन ये खेल उधर बाहर गांव बहरीन में रह रहे एक बिहार के भाई को महंगा नहीं, बहुत महंगा पड़ गया है. उसने कोविड प्रोटोकॉल तोड़ा मगर वो वो भूल गया कि वो बहरीन है, बिहार नहीं. बेचारे की लंका लग गयी और अब बीच बचाव के लिए उस व्यक्ति के परिजनों को MHA की लल्लो चप्पो करनी पड़ रही.

कोरोना के नियम तोड़ने वाले खालिद को समझना चाहिए था वो बहरीन में है बिहार में नहीं

तो भइया बात कुछ यूं है कि हैदराबाद के एक व्यक्ति ने हुकूमत ए बहरीन पर ज्यादती का आरोप लगाया है. व्यक्ति का आरोप है कि उसके भाई को 3 साल की सजा हुई है और ये सजा सिर्फ इसलिये हुई क्योंकि उसके भाई ने बहरीन के कोरोना नियमों का उल्लंघन किया है.मामले में दिलचस्प ये कि बहरीन में पकड़े गए उस भोले से व्यक्ति के परिजन ट्विटर पर विदेश मंत्रालय के साथ ट्वीट- ट्वीट खेल रहे हैं ताकि अपनी, हम सब की फॉरेन मिनिस्ट्री फौरन कुछ करे और उसे वापस सर ज़मीन ए बिहार बुला ले.

बहरीन में ये मैटर 34 साल के मोहम्मद खालिद के साथ हुआ है .खालिद बिहार का है और पिछले 8 साल से बहरीन में रह रहा है. नियम कानून के मद्देनजर बहरीन बिहार जैसा नहीं है. वहां लॉक डाउन है तो है. परिंदा भी पर नहीं मार सकता. खालिद बाहर निकला. उसकी पहचान हुई फिर जो हुआ उसका जिक्र हम ऊपर तो कर ही चुके हैं.

खालिद के भाई ने ट्विटर ट्विटर खेलते हुए बताया है कि हुकूमत ने उसके भाई पर 5 हजार बहरीनी दिनार यानी करीब 9.72 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. साथ ही उसको सजा भी हुई है जिसकी अवधि एक या दो नहीं बल्कि पूरे 3 साल है.

आजकल नेताओं तक अपनी बात पहुंचाने के लिए ट्विटर एक अच्छा माध्यम है. यूं भी जब सुष्मा स्वराज ज़िंदा थीं और विदेश मंत्री थीं उन्होंने अपनी कार्यप्रणाली से देश की जनता को संदेश दिया था कि जिसका कोई नहीं होता उसका विदेश मंत्रालय होता है. और जब कोई विदेश में रहे और वहां किसी मुसीबत में रहे तो ये कहीं ज्यादा होता है. ये बात खालिद के भाई अमजद उल्लाह खान को याद आ गई और उन्होंने ट्वीट करना शुरू कर दिया.

केंद्रीय विदेश मंत्री जयशंकर को टैग करते हुए अमजद ने सारी बातें डिटेल में बताई हैं. अमजद ने लिखा है कि, 'बिहार के मोहम्मद खालिद कोरोना संक्रमित होने पर बहरीन में 15 दिनों तक क्वॉरंटीन रहे. 15 दिन पूरे होने के बाद वह खाना खरीदने के लिए अपनी बिल्डिंग के नीचे उतरे. तभी एक स्थानीय निवासी ने उनके हाथ पर इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकर देखा (बहरीन में ट्रेकर का सीन ये है कि वहां जो भी कोरोना संक्रमित पाया जाता है पूरी ईमानदारी के साथ डिवाइस की मदद से उसकी ट्रेकिंग होती है और जो पकड़ा जाता है तो फिर ... खालिद का मामला तो हमने देखा ही है) और उसने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर सर्कुलेट कर दिया.

कहानी बस इतनी ही है. इसके बाद जो है वो फ़साना है. भले हो खालिद का भाई विदेश मंत्री से मदद की गुहार लगा रहा हो लेकिन पीली चीज हर बार सोना नहीं निकलती. गलती खालिद की थी उसे लगा होगा कि यहां भी बिहार जैसा ही होगा और वो कुछ तूफानी कर बैठा और बात थाना, पुलिस, कोर्ट, कचहरी तक आ गई.

बाहर किसी भी दूसरे मुल्क में रहने वाले किसी भी हिंदुस्तानी को बस इतनी सी बात समझनी चाहिए कि हर बार फैंटम नहीं बना जाता. डोगा पूरी मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी करता है और नियम तोड़ने वालों को सबक सिखाता है.

हो सकता है कि इतनी बातों के बाद यहां हिंदुस्तान में बैठा कोई दूसरा खालिद आहत हो जाए और बहरीन वाले खालिद ने जो किया उसे जस्टिफाई करने लग जाए तो हम बस इतना ही कहेंगे कि यहां अपने देश में नियम कानूनों का उल्लंघन भले ही चलता हो लेकिन वहां उधर बाहर गांव यानी विदेश ये सब चीजें नाकाबिल ए बर्दाश्त है. उनके अपने आदमी करेंगे तो भले ही बच जाएं लेकिन कोई इंडियन करे और बचे No, Never

बाकी हमें किसी और से ज्यादा हैरत तो खालिद पर है. खालिद 8 साल बहरीन रहा. 8 साल बहुत होते हैं किसी को ये बताने के लिए कि नियम क़ानून और सजा किस चिड़िया के नाम हैं.

अंत में बस इतना ही कि किसी भी सरकार द्वारा बनाए गए नियमों पर जैसा रवैया हम भारतीयों का होता है खालिद ने जो किया वो अंजाने में तो नहीं ही किया. इस मामले में भले ही विदेश मंत्रालय हस्तक्षेप कर दे और खालिद को बचा ले लेकिन उसे सबक तो मिल ही गया है कि भले भले ही ब से बिहार और बहरीन दोनों हों मगर ये अलग हैं और इन दो देशों के नियम और कानून को एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. वहां जेल भी होती है और जुर्माना देना पड़ता है सो अलग.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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