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चोरी करने के लिए मॉडर्न चोर 90 लाख रु तक का निवेश भी करता है!

    • आईचौक
    • Updated: 05 मार्च, 2021 04:48 PM
  • 05 मार्च, 2021 04:48 PM
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आज के समय में जिसके पास पैसा बहुत ज्यादा वह उसे कहीं न कहीं इन्वेस्ट करने की सोचता है. हेयर ट्रांसप्लांट करने वाले इन डॉक्टर साहब ने भी कई लोगों की बंजर जमीन पर लहलहाती 'फसल' उगाने के सहारे करोड़ों रुपये बना लिए थे. अब इन रुपयों को ठिकाने भी लगाना था. वरना इनकम टैक्स और भी न जाने कौन-कौन से टैक्स भरने पड़ते.

ठगी, चोरी, धोखाधड़ी और जालसाजी पर हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मों में हजारों फिल्में बनी हैं. भारत में 'नटवरलाल' सरीखे ठग भी पाए गए, जिन्होंने ताजमहल, लाल किला छोड़िए देश की संसद तक बेच डाला था. ऐसे हुनरमंद चोरों की दुनियाभर में कमी नही है. हॉलीवुड की एक मशहूर 'ओशंस' फ्रेंचाइजी की तीन फिल्में चोरी के तरीकों और ठगी के नायाब नुस्खों से भरी पड़ी है. चोरों की नजरों से देखा जाए, तो 'चोरी करना' एक कला है. चोरी करने से पहले तमाम जानकारी इकट्ठा करना, प्लान बनाना, चोरी को अंजाम देना और सबसे आखिर में चोरी के माल को ठिकाने लगाना, इतना सब कुछ करना कला से कम माना भी नहीं जा सकता है. पुराने वाले चोरों का जमाना कब का लद चुका है, आजकल के चोर मॉडर्न हो गए हैं. चोरी करने वालों में अब अमीर-गरीब का भेद भी खत्म हो गया है. कार से चलने वाले लोग भी चोरी करते हुए पकड़े जाते हैं. कुल मिलाकर चोरी एक ऐसा धंधा बन गया है, जो केवल हुनर को सलाम करता है, फिर चाहे वह अमीर हो या गरीब.

कमाल होती है चोरी से पहले की प्लानिंग और प्लॉटिंग

चोरी करने के लिए कितनी प्लानिंग और प्लॉटिंग करनी पड़ती है, अगर आप सुन लेंगे तो सिर पकड़कर बैठ जाएंगे. हाल ही में राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक कमाल की चोरी की घटना हुई. चोरों ने एक डॉक्टर साहब के घर के नीचे सुरंग खोदकर करीब 400 किलो चांदी पार कर दी. आप सोच रहे होंगे कि इसमें कौन सी बड़ी बात है, अमूमन चोर सुरंग खोदकर ऐसी चोरियों को अंजाम देते रहते हैं. आप जानकर दंग रह जाएंगे कि चोरों ने चोरी के लिए उस घर के बगल में पहले 90 लाख रुपये का प्लॉट खरीदा था. रकम सुनकर झटका लगा क्या? अगर हां, तो ये रकम बिल्कुल सही है. आजकल के समय में व्यापार कोई भी हो, सभी महंगे हो गए हैं. पान मसाला और सिगरेट का खोखा खोलने भी जाएंगे, तो कम से कम एक लाख रुपये तो लग ही जाएंगे. इन दोनों ही चीजों के दर्जनों ब्रांड आते हैं, तो इतना पैसा केवल इन्हें खरीदने में लग जाएगा. उस पर मोहल्ले के रजऊवा और गुड्डूआ जैसे लोगों को उधार भी देना पड़ेगा. साल भर से पहले तकादा कर लिया, तो कूटे अलग जाओगे. इसका भी करीब एक लाख रुपया जोड़ लो, तो करीब दो लाख रुपया पान वाला खोखा लगाने में खर्च है.

ठगी, चोरी, धोखाधड़ी और जालसाजी पर हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मों में हजारों फिल्में बनी हैं. भारत में 'नटवरलाल' सरीखे ठग भी पाए गए, जिन्होंने ताजमहल, लाल किला छोड़िए देश की संसद तक बेच डाला था. ऐसे हुनरमंद चोरों की दुनियाभर में कमी नही है. हॉलीवुड की एक मशहूर 'ओशंस' फ्रेंचाइजी की तीन फिल्में चोरी के तरीकों और ठगी के नायाब नुस्खों से भरी पड़ी है. चोरों की नजरों से देखा जाए, तो 'चोरी करना' एक कला है. चोरी करने से पहले तमाम जानकारी इकट्ठा करना, प्लान बनाना, चोरी को अंजाम देना और सबसे आखिर में चोरी के माल को ठिकाने लगाना, इतना सब कुछ करना कला से कम माना भी नहीं जा सकता है. पुराने वाले चोरों का जमाना कब का लद चुका है, आजकल के चोर मॉडर्न हो गए हैं. चोरी करने वालों में अब अमीर-गरीब का भेद भी खत्म हो गया है. कार से चलने वाले लोग भी चोरी करते हुए पकड़े जाते हैं. कुल मिलाकर चोरी एक ऐसा धंधा बन गया है, जो केवल हुनर को सलाम करता है, फिर चाहे वह अमीर हो या गरीब.

कमाल होती है चोरी से पहले की प्लानिंग और प्लॉटिंग

चोरी करने के लिए कितनी प्लानिंग और प्लॉटिंग करनी पड़ती है, अगर आप सुन लेंगे तो सिर पकड़कर बैठ जाएंगे. हाल ही में राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक कमाल की चोरी की घटना हुई. चोरों ने एक डॉक्टर साहब के घर के नीचे सुरंग खोदकर करीब 400 किलो चांदी पार कर दी. आप सोच रहे होंगे कि इसमें कौन सी बड़ी बात है, अमूमन चोर सुरंग खोदकर ऐसी चोरियों को अंजाम देते रहते हैं. आप जानकर दंग रह जाएंगे कि चोरों ने चोरी के लिए उस घर के बगल में पहले 90 लाख रुपये का प्लॉट खरीदा था. रकम सुनकर झटका लगा क्या? अगर हां, तो ये रकम बिल्कुल सही है. आजकल के समय में व्यापार कोई भी हो, सभी महंगे हो गए हैं. पान मसाला और सिगरेट का खोखा खोलने भी जाएंगे, तो कम से कम एक लाख रुपये तो लग ही जाएंगे. इन दोनों ही चीजों के दर्जनों ब्रांड आते हैं, तो इतना पैसा केवल इन्हें खरीदने में लग जाएगा. उस पर मोहल्ले के रजऊवा और गुड्डूआ जैसे लोगों को उधार भी देना पड़ेगा. साल भर से पहले तकादा कर लिया, तो कूटे अलग जाओगे. इसका भी करीब एक लाख रुपया जोड़ लो, तो करीब दो लाख रुपया पान वाला खोखा लगाने में खर्च है.

चांदी में इनवेस्ट करने का सुझाव भी चोरी की साजिश रचने वाले शख्स ने ही इन डॉक्टर साहब को दिया था.

बॉलीवुड फिल्मों का पुराना वाला चोर हो चुका है गायब

आज के समय में जिसके पास पैसा बहुत ज्यादा वह उसे कहीं न कहीं इन्वेस्ट करने की सोचता है. हेयर ट्रांसप्लांट करने वाले इन डॉक्टर साहब ने भी कई लोगों की बंजर जमीन पर लहलहाती 'फसल' उगाने के सहारे करोड़ों रुपये बना लिए थे. अब इन रुपयों को ठिकाने भी लगाना था. वरना इनकम टैक्स और भी न जाने कौन-कौन से टैक्स भरने पड़ते. डॉक्टर साहब ने दिमाग लगाया और करोड़ों की चांदी खरीद डाली. चांदी में इनवेस्ट करने का सुझाव भी चोरी की साजिश रचने वाले शख्स ने ही इन डॉक्टर साहब को दिया था. चोरी के मुख्य साजिशकर्ता पेशे से एक सर्राफा व्यापारी बताए जा रहे हैं. मतलब चोरी के धंधे में भी इतना कंपटीशन बढ़ गया है, विश्वास ही नहीं होता कि यहां चोरी जैसे अपराध की बात हो रही है. बॉलीवुड फिल्मों में भी अब चोर मैले-कुचैले कपड़ों में स्टेशन पर जेब काटता नजर नहीं आता है. वह अमेरिका के बैंक लूटता है, म्यूजियम से कीमती चीजें चोरी करता दिखता है. महंगी बाइक और कारों से चलता है.

चोरी करना भी एक स्किल है

वैसे चोरी करना अपराध की श्रेणी में आता है और इसके लिए कानून के हिसाब से सजा भी दी जाती है. चोरी करने को कला यूं ही नहीं कहा जाता है. इसे करने के लिए जो तिकड़म भिड़ाई जाती है, वही इसे कला बनाता है. आपको पता ही होगा कि भाजपा विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल ने भी 'स्किल' से जुड़े एक सेमिनार में चोरी करने और जेब काटने को कला बताया था. उन्होंने कहा था कि यह हुनर सबमें नहीं मिलता है. खैर, चोरी काफी मेहनत का काम है. बंजर जमीन पर 'फसल' उगाने वाले डॉक्टर साहब के यहां चोरी करने वाले आरोपितों ने तीन महीने में 15 फुट गहरी और 20 फुट लंबी सुरंग खोदी थी. लेकिन, अगर ये बेचारे इतनी मेहनत अगर कहीं और कर लेते, तो IAS-PCS बन गए होते.

पूरी तरह से बदल गया चोरी का अंदाज

2021 आते-आते जमाना काफी बदला चुका है और चोरी के अंदाज भी बदल चुके हैं. एक झटके में लोगों के गले से सोने की चेन छिनने से लेकर लूट करते समय लोगों की हत्या कर देने तक अपराध ने नया रूप धर लिया है. चोरों ने अपनी कार्यशैली में काफी बदलाव किए हैं, जिसकी वजह से लोगों की जान सांसत में रहती है. वैसे चोर डंके की चोट पर चोरी करते हैं, पुलिस पकड़ सके तो पकड़ ले. लेकिन, गरीब आदमी हाड़-तोड़ मेहनत कर को-ऑपरेटिव बैंक में अपनी जिंदगी भर की कमाई जमा करता है, अचानक से रिजर्व बैंक फैसला सुना देता है कि फलाने बैंक से अब केवल 2000 रुपया एक महीने में निकाला जा सकेगा. इस चोरी का हिसाब कोई नहीं देता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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