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अलीगढ़ को हरिगढ़, फिरोजाबाद को चंद्रनगर बनाना तो ठीक है, लेकिन मैनपुरी से तो जुल्म हुआ योगी जी!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 19 अगस्त, 2021 02:09 PM
  • 19 अगस्त, 2021 02:09 PM
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यूपी में शहरों के नाम बदलने की परम परंपरा कोई आज की नहीं है और शायद इसी लिए यूपी सरकार जल्द ही अलीगढ़, फिरोजाबाद और मैनपुरी का नाम बदलेगी। ऐसे में अलीगढ़ और फिरोजाबाद का तो समझ में आता है लेकिन यूपी के सीएम बताएं मैनपुरी को किस जन्मों की सजा मिल रही है.

कुछ महीने और फिर अपने यूपी में चुनाव हो जाएंगे. चुनाव कैसे होंगे नतीजे किसके पक्ष में आएंगे ये फिर कभी बताया जाएगा लेकिन जो बात आज बताई जाएगी वो सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ से जुड़ी है उनके फेवरेट काम या कहें कि टाइम पास से जुड़ी है. मीडिया वाले भाई बंधुओं के सच्चे झूठे पर यकीन किया जाए तो एक बार फिर अपने यूपी में नेम चेंज वाली राजनीति हिलोरें मार रही है और इसी क्रम में अलीगढ़, और मैनपुरी का नाम बदलने वाला है.शहरों के नाम बदले जाएंगे ये अच्छी बात है. इस पर हैरत इसलिए भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि 'नेम चेंज' बीजेपी का पुराना एजेंडा था. और यकीन मानिए बीजेपी और स्वयं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इस खेल के स्टार परफ़ॉर्मर हैं.

बदलने को तो यूपी में 3 शहरों के नाम बदल रहे हैं लेकिन 1 शहर के साथ योगी आदित्यनाथ गजब नाइंसाफी कर रहे हैं

अलीगढ़ और फिरोजाबाद बीजेपी की हिट लिस्ट में लंबे समय से थे. ये तो कन्फर्म ही था कि आज नहीं तो कल कल नहीं तो परसों नहीं तो फिर नरसों बीजेपी इनका नाम बदलेगी. बता दें कि ताला नगरी अलीगढ़ जल्द ही हरी गढ़ हो रहा है तो वहीं फिरोजाबाद को चंद्र नगर किया जाना है.

अलीगढ़ और फिरोजाबाद के मद्देनजर 'आश्चर्य वाला क्लॉज इसलिए भी लागू नहीं होता क्योंकि ये दोनों ही शहर मुस्लिम नाम लिए हुए थे अलीगढ़ में अली था वहीं फिरोजाबाद को फिरोज शाह ने आबाद किया था. लेकिन जो बात विचलित करती है वो है मैनपुरी का नाम बदले जाने की प्लानिंग.

नहीं मतलब समाजशास्त्री से लेकर इतिहासकार और स्वयं राजनेता कोई भी भाई बंधू ये बता दे कि आखिर मैनपुरी को मैनपुरी कहने में क्या दिक्कत है? क्या इसे ये सजा फ्री में मिल रही है या फिर जो है वो सीधी और साफ पॉलिटिक्स है.

कहीं और कि क्या ही बात करें किसी मैनपुरी वाले से ही पूछ लीजिये...

कुछ महीने और फिर अपने यूपी में चुनाव हो जाएंगे. चुनाव कैसे होंगे नतीजे किसके पक्ष में आएंगे ये फिर कभी बताया जाएगा लेकिन जो बात आज बताई जाएगी वो सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ से जुड़ी है उनके फेवरेट काम या कहें कि टाइम पास से जुड़ी है. मीडिया वाले भाई बंधुओं के सच्चे झूठे पर यकीन किया जाए तो एक बार फिर अपने यूपी में नेम चेंज वाली राजनीति हिलोरें मार रही है और इसी क्रम में अलीगढ़, और मैनपुरी का नाम बदलने वाला है.शहरों के नाम बदले जाएंगे ये अच्छी बात है. इस पर हैरत इसलिए भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि 'नेम चेंज' बीजेपी का पुराना एजेंडा था. और यकीन मानिए बीजेपी और स्वयं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इस खेल के स्टार परफ़ॉर्मर हैं.

बदलने को तो यूपी में 3 शहरों के नाम बदल रहे हैं लेकिन 1 शहर के साथ योगी आदित्यनाथ गजब नाइंसाफी कर रहे हैं

अलीगढ़ और फिरोजाबाद बीजेपी की हिट लिस्ट में लंबे समय से थे. ये तो कन्फर्म ही था कि आज नहीं तो कल कल नहीं तो परसों नहीं तो फिर नरसों बीजेपी इनका नाम बदलेगी. बता दें कि ताला नगरी अलीगढ़ जल्द ही हरी गढ़ हो रहा है तो वहीं फिरोजाबाद को चंद्र नगर किया जाना है.

अलीगढ़ और फिरोजाबाद के मद्देनजर 'आश्चर्य वाला क्लॉज इसलिए भी लागू नहीं होता क्योंकि ये दोनों ही शहर मुस्लिम नाम लिए हुए थे अलीगढ़ में अली था वहीं फिरोजाबाद को फिरोज शाह ने आबाद किया था. लेकिन जो बात विचलित करती है वो है मैनपुरी का नाम बदले जाने की प्लानिंग.

नहीं मतलब समाजशास्त्री से लेकर इतिहासकार और स्वयं राजनेता कोई भी भाई बंधू ये बता दे कि आखिर मैनपुरी को मैनपुरी कहने में क्या दिक्कत है? क्या इसे ये सजा फ्री में मिल रही है या फिर जो है वो सीधी और साफ पॉलिटिक्स है.

कहीं और कि क्या ही बात करें किसी मैनपुरी वाले से ही पूछ लीजिये सारा शक सारा शुब्हा स्वयं दूर हो जाएगा. अगला भी यही कहेगा कि कुछ खा पीकर गिलास टूटा होता तो फिर भी ठीक था ये नेम चेंज साफ तौर पर उड़ता तीर है.

ख़ुद सोचिए. नहीं सोच सकते हैं तो मैनपुरी का नाम जपिये, एक बार जपिये या 100 बार जपिये. कितना सात्विक नाम है 'मैनपुरी' इसमें दूर दूर से मुसलमान नाम की बू तक नहीं है. न ही ये शहर इतना पॉपुलर है कि हम ये कह दें कि अंग्रेजों या फिर ईसाई मिशनरियों ने इसका नाम रखा था जिसे बदलकर बीजेपी इसका शुद्दीकरण करने के मूड में है.

अलीगढ़, हरिगढ़ हो फिरोजाबाद चंदद5 नहर6 बने हमें इसमें न तो कोई दिक्कत है और न ही कोई दिक्कत वाला फैक्टर हमें इसमें नजर आ रहा है. लेकिन मैनपूरी का नाम बदलने की बात कहकर बीजेपी ने साफ तौर पर हमारी भावनाओं को चुनौती दी है.

बीजेपी बिना किसी कारण के क्यों मैनपुरी के पीछे पड़ गयी हमने इस सवाल को लेकर खूब सोच विचार और गुणा गणित किया. ऐसे में मुलायम सिंह यादव के जरिये हमारी मृगतृष्णा को विराम मिला. जी हां हो सकता है इस नेम चेंज के पीछे की एक बहुत बड़ी वजह अखिलेश भइया की समाजवादी पार्टी के गॉड फादर मुलायम सिंह यादव ही हैं. अब आप अवश्य ही सवाल करेंगे कि कैसे? तो भइया इसका जवाब बहुत सिंपल है.

अगर आप भी कंफ्यूज हैं तो हम तो हैं ही आपका कन्फ्यूजन दूर करने के लिए. खुद बताइये यूपी मुलायम सिंह यादव को कैसे देखता है? याद कीजिये जवाब मिलेगा कि जिस तरह की राजनीति मुलायम ने की है और जैसे वो मुसलमानों के करीब रहे हैं उन्हें राजनीतिक पंडितों की एक बहुत बड़ी आबादी मुल्ला मुलायम कहती है.

इसलिए ये कहना हमारे लिए अतिशयोक्ति नहीं है कि मैनपुरी से लोकसभा सांसद मुल्ला मुलायम ही वो वजह हैं जिसने बीजेपी को अलीगढ़ और फिरोजाबाद की तरह मैनपुरी का भी शुद्धिकरण करने का बेशकीमती आईडिया दिया है. और ऐड तो बहुत पहले ही हमें इस बात से अवगत करा चुका है कि An Idea Can Change your life.

बताते चलें कि अपने बीजेपी वाले भाई लोग मैनपुरी को मयन नगरी करना चाहते हैं.ज़िला पंचायत की बैठक में इस प्रस्ताव को ध्वनि मत से पास करा लिया गया. अब ये सारे प्रस्ताव मुख्यमंत्री ऑफिस भेजे दिए गए हैं. कहा जा रहा है कि अब योगी आदित्यनाथ ही आउटर पर खड़ी ट्रेन को ग्रीन सिग्नल देंगे और बताएंगे कि मैनपुरी का नाम मयन नगरी होना चाहिए या नहीं होना चाहिए.

और हां अब चूंकि अलीगढ़ हरीगढ़ और फिरोजाबाद चंद्र नगर हो ही रहा है तो अगर कल की डेट में मैनपुरी, मयन ऋषि के नाम पर हो गया तो टेंशन नहीं लेना का योगी हैं तो कुछ भी मुमकिन है और मुमकिन हो भी क्यों न वोट काम से कम नाम से ज्यादा मिलता है. नाम बदलने से तो और भी ज्यादा मिलता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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