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वैलेंटाइन डे यानी ईद-ए-आशिकीन !

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 14 फरवरी, 2017 08:18 PM
  • 14 फरवरी, 2017 08:18 PM
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कल रात 12 बजे मुफ्ती-ए-इश्क ने ईद-ए-आशिकीन का ऐलान कर दिया था. अब इस नए त्योहार के लिए कुछ गाइडलाइन्स भी जारी कर दी गई हैं. तो क्या हैं वो?

कल रात 12 बजे मुफ्ती-ए-इश्क ने ईद-ए-आशिकीन का ऐलान कर दिया था और सबसे कहा था हैप्पी वैलेंटाइन डे टू ऑल ऑफ यू. बहरहाल आज ईद-ए-आशिकीन की नमाज़ हर मॉल, हर मल्टीप्लेक्स, हर थियेटर, हर कॉफी हाउस में बदस्तूर हुई. देर से पहुंचने वाले पहले ही मौलाना साहब का ये ऐलान समात फरमा चुके थे कि – “अगर आप नमाज से महरूम रह जाएं तो परेशान होने और घबराने की ज़रुरत नहीं है, आप किसी अच्छे डिस्क में अपना मुसल्ला बिछा सकते हैं“. जिन्होंने नमाज़ पढ़ी उन्होंने पढ़ी जो नहीं पढ़ पाए वो दफ्तर के बाद जरूर इस पर गौर करेंगे. मित्रों कोशिश करिये ईद-ए-आशिकीन पर शहर का ट्राफिक चुस्त दुरुस्त रहे और आपकी वजह से शहर के ट्राफिक में कोई खलल न पहुंचे.

(कई बार देखा गया है कि लोगों की गर्लफ्रेंड कुछ ज्यादा ही चिपक के उनकी बाइक पर बैठती हैं जिसके चलते देखने वाले अपनी गाड़ी से कंट्रोल खो देते हैं और बड़ा एक्सीडेंट हो जाता है) ईद-ए-आशिकीन पर ज्यादा शो ऑफ न करिये बहुत अरमान मचलें तो मोमबत्ती जला के कैंडल लाइट डिनर के नाम पर पाव भाजी या भेल पूरी खा लीजियेगा. हो सकता है कुछ गैर माकूल लोगों को आपका इश्क नगवार गुजरे और वो आपको बीच सड़क मुर्गा बनवाएं, तो लड़िये झगड़ियेगा नहीं चुप-चाप मुर्गा बन जाइयेगा, क्योंकि ध्यान रहे अच्छा आशिक वही है जो पिटे और बेइज्जत किया जाएं. हां, हो सके तो पार्क में पेड़ के पीछे न ही बैठियेगा पुलिस वाले भूखे भेड़ियों की तरह और बजरंग दल और शिव सेना वाले लकड़बग्घे की तरह उन पार्क वाले पेड़ों के इर्द गिर्द बैठे हैं जैसे ही आप “Darling” के साथ वहां गए ये मारा झपट्टा और 2000 नहीं तो 500 का नोट उनकी जेब के अंदर. 

अब चूंकि ईद-ए-आशिकीन है तो अपने जेबों में छुट्टा और चिल्लर ज्यादा रखें क्या पता कब कहां किधर जरूरत पड़ जाये. याद रहे ईद ए आशिकीन वो त्योहार है जब बहुत से लोग...

कल रात 12 बजे मुफ्ती-ए-इश्क ने ईद-ए-आशिकीन का ऐलान कर दिया था और सबसे कहा था हैप्पी वैलेंटाइन डे टू ऑल ऑफ यू. बहरहाल आज ईद-ए-आशिकीन की नमाज़ हर मॉल, हर मल्टीप्लेक्स, हर थियेटर, हर कॉफी हाउस में बदस्तूर हुई. देर से पहुंचने वाले पहले ही मौलाना साहब का ये ऐलान समात फरमा चुके थे कि – “अगर आप नमाज से महरूम रह जाएं तो परेशान होने और घबराने की ज़रुरत नहीं है, आप किसी अच्छे डिस्क में अपना मुसल्ला बिछा सकते हैं“. जिन्होंने नमाज़ पढ़ी उन्होंने पढ़ी जो नहीं पढ़ पाए वो दफ्तर के बाद जरूर इस पर गौर करेंगे. मित्रों कोशिश करिये ईद-ए-आशिकीन पर शहर का ट्राफिक चुस्त दुरुस्त रहे और आपकी वजह से शहर के ट्राफिक में कोई खलल न पहुंचे.

(कई बार देखा गया है कि लोगों की गर्लफ्रेंड कुछ ज्यादा ही चिपक के उनकी बाइक पर बैठती हैं जिसके चलते देखने वाले अपनी गाड़ी से कंट्रोल खो देते हैं और बड़ा एक्सीडेंट हो जाता है) ईद-ए-आशिकीन पर ज्यादा शो ऑफ न करिये बहुत अरमान मचलें तो मोमबत्ती जला के कैंडल लाइट डिनर के नाम पर पाव भाजी या भेल पूरी खा लीजियेगा. हो सकता है कुछ गैर माकूल लोगों को आपका इश्क नगवार गुजरे और वो आपको बीच सड़क मुर्गा बनवाएं, तो लड़िये झगड़ियेगा नहीं चुप-चाप मुर्गा बन जाइयेगा, क्योंकि ध्यान रहे अच्छा आशिक वही है जो पिटे और बेइज्जत किया जाएं. हां, हो सके तो पार्क में पेड़ के पीछे न ही बैठियेगा पुलिस वाले भूखे भेड़ियों की तरह और बजरंग दल और शिव सेना वाले लकड़बग्घे की तरह उन पार्क वाले पेड़ों के इर्द गिर्द बैठे हैं जैसे ही आप “Darling” के साथ वहां गए ये मारा झपट्टा और 2000 नहीं तो 500 का नोट उनकी जेब के अंदर. 

अब चूंकि ईद-ए-आशिकीन है तो अपने जेबों में छुट्टा और चिल्लर ज्यादा रखें क्या पता कब कहां किधर जरूरत पड़ जाये. याद रहे ईद ए आशिकीन वो त्योहार है जब बहुत से लोग आपको घेरेंगे जैसे मॉल के बाहर कुछ देदे वाले हिजड़े आइस क्रीम पार्लर के सामने “कुछ दे दो बाबू जी बच्चा भूखा है” वाली गोद में बच्चा लिए महिलाऐं सिग्नल या क्रॉसिंग पर “दीदी, जोड़ा सलामत रहे” वाले बच्चे और हाँ Last but Not The Least शुगर कैंडी और गजरे वाला. ख्याल रखियेगा गर्ल फ्रेंड के सामने मिस मैनेजमेंट न होने पाये. जेब में डाइजीन, डिस्प्रीन, पुदीन हरा की टैबलेट और इनो का पैकेट रखना भी मत भूलियेगा, यदि आपकी गर्लफ्रेंड शुद्ध देसी टाइप हो तो आप हींगगोली और हाजमोला और शौधी हर्र भी रख सकते हैं, उसके कुशल पाचन के लिए. बुरे टाइम का क्या भरोसा, क्या पता कब कहां इनकी भी ज़रुरत पड़ जाये. सबसे जरूरी बात एटीएम में पैसे फुल और इमरजेंसी के तौर पर पैंट की चोर जेब में 2000 के दो नोट रख लीजियेगा काम आ सकते हैं.

बहुत दे दिया फ्री का ज्ञान, चलता हूं डिनर टाइम हो रहा है. बेबी को डिनर पे ले जाना है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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