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तेजी से फैल रही है ये नई बीमारी, जान लीजिए इसके लक्षण

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 04 फरवरी, 2017 03:26 PM
  • 04 फरवरी, 2017 03:26 PM
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क्या आपको पता है इस खतरनाक बीमारी के बारे में जो तेजी से फैल रही है और आप इसका शिकार कभी भी हो सकते हैं. इस बीमरी के लक्षण सभी बहुत बाद में पता चलते हैं और ये बीमारी कुछ ऐसी है कि किसी लत की तरह आपको अपनी जकड़ में ले लेती है.

अचानक ऑफिस में लैंडलाइन की घंटी बजती है. नीचे कोई मिलने आया है. काम के चक्कर में फोन देखना भूल गई थी साइलेंट मोड पर रखा फोन 12 मिस्ड कॉल्स दिखा रहा था. नीचे जाने पर उस आदमी ने एक पार्सल हाथ में थमा दिया और पैसे लेकर चलता बना. पार्सल खोलते ही ये समझ आता है कि मैं भी उस बीमारी का शिकार हो चुकी हूं जिसके लाखों मरीज हैं और आए दिन इसका शिकार हो रहे हैं.

क्या आपको पता है इस खतरनाक बीमारी के बारे में जो तेजी से फैल रही है और आप इसका शिकार कभी भी हो सकते हैं. इस बीमारी के लक्षण सभी बहुत बाद में पता चलते हैं और ये बीमारी कुछ ऐसी है कि किसी लत की तरह आपको अपनी जकड़ में ले लेती है. इसकी लत लगने से कोई पति अपनी पत्नी को नहीं रोक सकता, कोई ब्वॉयफ्रेंड अपनी गर्लफ्रेंड का हाथ नहीं पकड़ सकता. कब कौन क्या खरीद ले कुछ नहीं कहा जा सकता. जी मैं बात कर रही हूं ऑनलाइन शॉपिंग एडिक्शन की.

कहीं आप भी तो इसकी चपेट में नहीं?

ऑनलाइन शॉपिंग एडिक्शन कुछ ऐसा है कि लोग ये नहीं सोचते कि उन्हें इसकी जरूरत भी है या नहीं. फ्री, 25% ऑफ, 50% डिस्काउंट, 10% कैशबैक जैसे शब्द तो जैसे अमृत का काम करते हैं.

- क्या आपने भी कभी ऐसा कुछ मंगवाया है जिसे देखकर लगे कि इसे क्यों खरीद लिया?

- न्यू इयर सेल, क्रिसमस ऑफर, रिपब्लिक डे सेल और सीजन एंड सेल, क्या डेढ़ महीने के अंदर आई इन सभी सेल में आपने कुछ ना कुछ ऑर्डर किया है?

- ऐसा कभी लगा हो कि फलां चीज कब ऑर्डर कर दी है पता भी नहीं?

- खाली समय में आप भी ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स को ब्राउज करते हैं?

- कभी घर वालों या दोस्तों से शॉपिंग छुपानी पड़ी है क्योंकि आपको पता है आपने एक बार फिर फिजूल खर्ची कर दी है.

- क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड का नंबर आपको याद हो गया है?

- जो चीज...

अचानक ऑफिस में लैंडलाइन की घंटी बजती है. नीचे कोई मिलने आया है. काम के चक्कर में फोन देखना भूल गई थी साइलेंट मोड पर रखा फोन 12 मिस्ड कॉल्स दिखा रहा था. नीचे जाने पर उस आदमी ने एक पार्सल हाथ में थमा दिया और पैसे लेकर चलता बना. पार्सल खोलते ही ये समझ आता है कि मैं भी उस बीमारी का शिकार हो चुकी हूं जिसके लाखों मरीज हैं और आए दिन इसका शिकार हो रहे हैं.

क्या आपको पता है इस खतरनाक बीमारी के बारे में जो तेजी से फैल रही है और आप इसका शिकार कभी भी हो सकते हैं. इस बीमारी के लक्षण सभी बहुत बाद में पता चलते हैं और ये बीमारी कुछ ऐसी है कि किसी लत की तरह आपको अपनी जकड़ में ले लेती है. इसकी लत लगने से कोई पति अपनी पत्नी को नहीं रोक सकता, कोई ब्वॉयफ्रेंड अपनी गर्लफ्रेंड का हाथ नहीं पकड़ सकता. कब कौन क्या खरीद ले कुछ नहीं कहा जा सकता. जी मैं बात कर रही हूं ऑनलाइन शॉपिंग एडिक्शन की.

कहीं आप भी तो इसकी चपेट में नहीं?

ऑनलाइन शॉपिंग एडिक्शन कुछ ऐसा है कि लोग ये नहीं सोचते कि उन्हें इसकी जरूरत भी है या नहीं. फ्री, 25% ऑफ, 50% डिस्काउंट, 10% कैशबैक जैसे शब्द तो जैसे अमृत का काम करते हैं.

- क्या आपने भी कभी ऐसा कुछ मंगवाया है जिसे देखकर लगे कि इसे क्यों खरीद लिया?

- न्यू इयर सेल, क्रिसमस ऑफर, रिपब्लिक डे सेल और सीजन एंड सेल, क्या डेढ़ महीने के अंदर आई इन सभी सेल में आपने कुछ ना कुछ ऑर्डर किया है?

- ऐसा कभी लगा हो कि फलां चीज कब ऑर्डर कर दी है पता भी नहीं?

- खाली समय में आप भी ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स को ब्राउज करते हैं?

- कभी घर वालों या दोस्तों से शॉपिंग छुपानी पड़ी है क्योंकि आपको पता है आपने एक बार फिर फिजूल खर्ची कर दी है.

- क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड का नंबर आपको याद हो गया है?

- जो चीज आपने खरीदी है उसे कई बार गिफ्ट करना पड़ा है क्योंकि आपको उसकी जरूरत नहीं?

- सेल देखकर खुद को रोक नहीं पाते?- क्या आपका मेल बॉक्स भी प्रमोश्नल ईमेल्स से भरा रहता है?

अगर इन सभी सवालों के जवाब हां हैं तो आपको भी ये बीमारी लग चुकी है. आप भले ही कितना भी मना कर लें पर ये बीमारी तो यकीनन आपको जकड़ चुकी है. ऑनलाइन शॉपिंग हो या ऑनलाइन विंडो शॉपिंग इसके परिणाम बुरे ही होते हैं. जरा सोचिए सैलरी का 10 से 20% हिस्सा अगर फालतू ऑनलाइन शॉपिंग में जा रहा है तो क्या ये सही है. पैसे खर्च करने के लिए आजकल स्मार्टफोन में 75 तरीके के एप्स मौजूद हैं. फिर फिजूलखर्ची तो होगी ही.

जरूरत हो या ना हो अगर ऑनलाइन शॉपिंग एप्स आपके फोन में हैं तो नोटिफिकेशन देखकर खुद को रोकना बहुत मुश्किल हो जाता है. ये वो दौर होता है जनाब जब ठंड में भी शॉर्टस और टैंक टॉप ऑर्डर कर दिए जाते हैं क्योंकि स्क्रीन पर दिखने वाली मॉडल को ठंड नहीं लग रही थी. डरते-डरते जब वो सुबह आया हुआ पार्सल पीजी में गया तो रूममेट को देखकर ऐसा लगा जैसे साक्षात टीपू सुल्तान अपनी तलवार लिए मुझपर चढ़ाई करने आ रहे हों. ऐसा डर तो ट्रंप के राज में भी लोगों को नहीं लग रहा होगा जैसा मुझे रूम पहुंचने पर लगा. उस पार्सल ने छुपे हुए बम का काम किया और रात के खाने में सिर्फ तीखे-ताने ही मिले. बार-बार उस पार्सल को देखकर लग रहा था जैसे गलती नहीं गुनाह कर दिया हो.

मॉल में जाकर शॉपिंग करने से, भीड़ भाड़ वाली लाइन से बचते हुए, पसंद की चीज डिस्काउंट पर खरीदने का सुख क्या होता है ये कोई मुझसे पूछे. हालांकि, इसका दुष्प्रभाव क्या होता है ये मेरे क्रेडिट कार्ड के बिल से पूछिए. शॉपिंग एडिक्शन छुड़वाने के लिए कसमें खिलवाई गईं, मैंने भी अपने स्मार्टफोन पर हाथ रखकर कसम खाई की अगले एक महीने तक कोई ऑनलाइन शॉपिंग नहीं होगी. दोस्तों ने इस अवधी को बढ़ाकर तीन महीने कर दिया है. सभी तरह से ऑनलाइन शॉपिंग एप्स फोन से हटाए गए और अब उम्मीद है कि इस बीमारी से निजात पाने की ओर मैं बढ़ चली हूं. उम्मीद है कि आप भी इस बीमारी से दूर ही रहेंगे. अगर आपकी अल्मारी नए कपड़ों से भरी हुई है और घर में डस्टबीन के पास सिर्फ पार्सल के खाली डब्बे पड़े हुए हैं तो सोचने की जरूरत है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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