film review of Lipstick under my burkha

'लिपस्टिक...' देखकर यही लगा कि सेक्स मर्दों की बपौती नहीं है

आईचौक | September 07,2017

समाज में जो दिखेगा, वही कहानी की शक्ल इख़्तियार करेगा. ऐसे में लाज़मी है ऐसी फिल्मों से पहलाज निहलानी या वैसी सोच रखनेवाले तो डरेंगे ही.

समाज में जो दिखेगा, वही कहानी की शक्ल इख़्तियार करेगा. ऐसे में लाज़मी है ऐसी फिल्मों से पहलाज निहलानी या वैसी सोच रखनेवाले तो डरेंगे ही.

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