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पढ़िए आईफोन के जन्म की सीक्रेट कहानी, वो 10 साल का हो गया है

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 26 जून, 2017 04:53 PM
  • 26 जून, 2017 04:53 PM
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न छुट्टियां मिलती थीं और न बाहर जाने की इजाजत और तो और कईयों की तो शांदियां तक टूट गईं. कुछ ऐसी है आईफोन को जन्‍म देने वालों की कहानी...

आज से दस साल पहले किसी को नहीं पता था कि एक ऐसा फोन आएगा जिससे लोगों की क्लास का पता चल सके. आईफोन ने लोगों की जिंदगी बदल दी. स्टीव जॉब्स के एक आईडिया से लोगों को महंगे फोन का चस्‍का लगा और लोगों के हाथों में आईफोन आ गया. लेकिन क्या आपको पता है आईफोन बनाने के लिए एपल को क्या-क्या करना पड़ा. ये सारे खुलासे हुए ब्रायन मर्चेंट की लिखी एक किताब में जिसका नाम है 'द वन डिवाइस: द सीक्रेट हिस्ट्री ऑफ द आईफोन'.

स्टीव जॉब्स ने कैसे बनाया आईफोन

दुनिया ने पहली बार टच से काम करने वाला कोई डिवाइस देखा था जो अच्छी तरह से इंटीग्रेटेड भी था. आईफोन को किस कदर गोपनीयता के साथ तैयार किया गया था, यह एक दिलचस्प कहानी है. स्टीव जॉब्स ने स्कॉट फोर्स्टाल से एक टीम बनाने को कहा, जिसे आईफोन बनाने का काम सौंपा जाना था. लेकिन एक शर्त थी कि टीम में से कोई भी व्यक्ति एपल से बाहर का नहीं लिया जाएगा.

वह इंजीनियरों और टीम के संभावित सदस्यों को नहीं बता सकते थे कि वे लोग किस चीज पर काम करने वाले हैं. उन्हें बस इतना बताया गया था कि यह एक 'अद्भुत नया प्रॉडक्ट' होगा. उनसे कहा गया कि उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी, अपनी रातें कुर्बान करनी होंगी और बरसों तक वीकेंड पर भी काम करना होगा. अगर इसके लिए तैयार हैं, तभी टीम का हिस्सा बनने के बारे में सोचें. यही नहीं, आईफोन बनाने के लिए कई लोगों की शादीशुदा जिंदगी बर्बाद हो गई. लेकिन स्टीव जॉब्स ने आईफोन के लिए कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं किया.

एपल आईफोन को तैयार करने के इस काम को सीक्रेट तौर पर 'प्रोजेक्ट पर्पल' का नाम दिया गया. इससे जुड़ी टीम ने अमेरिकी शहर...

आज से दस साल पहले किसी को नहीं पता था कि एक ऐसा फोन आएगा जिससे लोगों की क्लास का पता चल सके. आईफोन ने लोगों की जिंदगी बदल दी. स्टीव जॉब्स के एक आईडिया से लोगों को महंगे फोन का चस्‍का लगा और लोगों के हाथों में आईफोन आ गया. लेकिन क्या आपको पता है आईफोन बनाने के लिए एपल को क्या-क्या करना पड़ा. ये सारे खुलासे हुए ब्रायन मर्चेंट की लिखी एक किताब में जिसका नाम है 'द वन डिवाइस: द सीक्रेट हिस्ट्री ऑफ द आईफोन'.

स्टीव जॉब्स ने कैसे बनाया आईफोन

दुनिया ने पहली बार टच से काम करने वाला कोई डिवाइस देखा था जो अच्छी तरह से इंटीग्रेटेड भी था. आईफोन को किस कदर गोपनीयता के साथ तैयार किया गया था, यह एक दिलचस्प कहानी है. स्टीव जॉब्स ने स्कॉट फोर्स्टाल से एक टीम बनाने को कहा, जिसे आईफोन बनाने का काम सौंपा जाना था. लेकिन एक शर्त थी कि टीम में से कोई भी व्यक्ति एपल से बाहर का नहीं लिया जाएगा.

वह इंजीनियरों और टीम के संभावित सदस्यों को नहीं बता सकते थे कि वे लोग किस चीज पर काम करने वाले हैं. उन्हें बस इतना बताया गया था कि यह एक 'अद्भुत नया प्रॉडक्ट' होगा. उनसे कहा गया कि उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी, अपनी रातें कुर्बान करनी होंगी और बरसों तक वीकेंड पर भी काम करना होगा. अगर इसके लिए तैयार हैं, तभी टीम का हिस्सा बनने के बारे में सोचें. यही नहीं, आईफोन बनाने के लिए कई लोगों की शादीशुदा जिंदगी बर्बाद हो गई. लेकिन स्टीव जॉब्स ने आईफोन के लिए कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं किया.

एपल आईफोन को तैयार करने के इस काम को सीक्रेट तौर पर 'प्रोजेक्ट पर्पल' का नाम दिया गया. इससे जुड़ी टीम ने अमेरिकी शहर क्यूपरटीनो की एक इमारत को ले लिया और उसे लॉक कर दिया. पहला फ्लोर बैज रीडर और कैमरों से भरा था.

किसी को नहीं पता था कि ऊपर क्या काम चल रहा है. लोग वहीं रहते थे, अंदर ही काम करते थे. और तो और ओवरवर्क से लोगों की हालत तक खराब हो गई थी. लेकिन स्टीव जॉब्स चाहते थे कि किसी भी हालत में इसकी गोपनीयता बनाए रखी जाए.

एक मजेदार बात यह थी कि एपल ने अलग-अलग समूहों के लोगों को अलग अलग कोड नाम दिए थे. इससे यह सुनिश्चित किया गया था कि लोगों को यह ना पता चले कि दूसरा व्यक्ति भी उसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. एपल ने इस प्रोजेक्ट के लिए हजार इंजीनियरों की टीम जुटाई थी. इन्हें तीन साल के मिशन से जोड़ा गया था, जिसका नाम 'प्रोजेक्ट पर्पल 2' रखा गया था. इन्हीं के बदौलत 29 जून 2007 को पहला आईफोन दुनिया में लांच किया गया. टीम ने ऐसी डिजाइन बनाई जो एक दशक बाद भी लगभग वैसी ही है.

साल 2007: इस साल कंपनी ने अपना पहला हैंडसेट 3.5 इंच मल्टी टच के साथ पेश किया था. इसे 4/8/16 जीबी की इंटरनल मैमोरी दी गई थी. 2 मेगापिक्‍सेल के रियर कैमरे के साथ इसमें लीथियम-ऑयान बैटरी दी गई थी.

साल 2008: इस बार कंपनी ने 3जी नेटवर्क पर चलने वाला आईफोन 3जी पेश किया. इसे लोकेशन ट्रैकिंग और नेविगेशन करने में सक्षम बनाया गया. इस फोन के साथ ही एप स्टोर भी पेश किया गया था.

साल 2009: नाम दिया गया आईफोन 3जीएस. इसमें 3 एमपी का रियर कैमरा और 256 एमबी रैम दी गई थी. 3.5 इंच स्क्रीन के साथ इसमें ली-ऑन बैटरी दी गई है.

साल 2010: स्टेनलैस स्टील फ्रेम और नए डिजाइन के साथ कंपनी ने आईफोन 4 लॉन्च किया. यह पहला आईफोन था जब कंपनी ने फोन में CDMA सपोर्ट दिया.

साल 2011: आईफोन 4s को स्टीव जॉब्स की मृत्यु से एक दिन पहले पेश किया गया था. इस फोन के साथ सिरी और क्लाउड स्टोरेज iCloud को भी लॉन्च किया गया था. इस फोन में 3.5 इंच की स्क्रीन दी गई है. साथ ही 8 एमपी कैमरा और 512 एमबी रैम दी गई है. यह फोन 1432 एमएएच बैटरी से लैस है.

साल 2012: इस साल आईफोन 5 लॉन्च किया गया. इसका डिजाइन बाकी से थोड़ा अलग था. इस फोन के साथ चार्जिंग के लिए लाइटनिंग कंडक्टर पेश किए गए थे. इसमें 4 इंच की स्क्रीन दी गई है.

साल 2013: इस साल एक साथ दो आईफोन लॉन्च किए गए. पहला आईफोन 5एस और दूसरा 5सी. 5एस की बात करें तो इसमें 64-बिट प्रोसेसर दिया गया था. साथ ही यह फोन बेहतर कैमरा क्वालिटी, टच आईडी फिंगरप्रिंट स्कैनर और फिटनेस ट्रैकर से लैस है. वहीं, 5सी में 4 इंच की स्क्रीन, 8 एमपी कैमरा और 1 जीबी रैम दी गई.

साल 2014: आईफोन 6 और 6 प्लस हैंडसेट लॉन्च किए गए. आईफोन 6 में 4.7 इंच की स्क्रीन दी गई. साथ ही इसमें 8 एमपी का कैमरा और 1 जीबी रैम दी गई है. फोन को पावर देने के लिए 1810 एमएएच की बैटरी दी गई है. वहीं, आईफोन 6 प्लस में 5.5 इंच स्क्रीन, 8 एमपी कैमरा और 1 जीबी रैम दी गई है. फोन को पावर देने के लिए 2915 एमएएच की बैटरी दी गई.

साल 2015: इस साल रोज गोल्ड कलर वेरिएंट के साथ आईफोन 6एस और 6एस प्लस लॉन्च किया गया. 6एस में 4.7 इंच की स्क्रीन, 12 एमपी कैमरा, 2 जीबी रैम और 1715 एमएएच बैटरी दी गई है. वहीं, 6एस प्लस में 5.5 इंच की स्क्रीन, 12 एमपी कैमरा, 2 जीबी रैम और 2750 एमएएच बैटरी दी गई है.

साल 2016: इस साल आईफोन 7 और 7 प्लस लॉन्च किया गया था. इसमें से 3.5 एमएम हैडफोन जैक को हटा दिया गया है. यह फोन वॉटर रेजिस्टेंट है. साथ ही 7 प्लस में ड्यूल कैमरा और ऑप्टिकल जूम दिया गया है. कुल मिलाकर स्टीव जॉब्स ने बड़े ही रहस्यमयी तरीके से आईफोन को तैयार किया. जिसने मोबाइल फोन की दुनिया को ही बदल कर रख दिया.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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