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टेक्नोलॉजी

चीन और अमेरिका को मात देने आ रहा है मोदी का सुपर कंप्यूटर

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 25 जुलाई, 2017 09:36 PM
  • 25 जुलाई, 2017 09:36 PM
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पीएम मोदी का अब पूरा फोकस तकनीकी क्षेत्र में है. वो सुपर कंप्यूटर बनाकर चीन और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों को पछाड़ने की फिराक में हैं.

देश को सुपर पावर बनाने के लिए पीएम मोदी हर तरह की कोशिश कर रहे हैं. नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के बाद अब पीएम मोदी का पूरा फोकस अब तकनीकी क्षेत्र में है. मेक इन इंडिया के तहत अब भारत में सुपर कंप्यूटर बनाए जाएंगे.

इसके लिए सरकार ने तैयारी भी शुरू कर दी है. इस योजना का नाम सुपर कंप्यूटर्स मिशन रखा गया है. इससे वो चीन और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को मात देने की कोशिश कर रहे हैं. आखिर है क्या सुपर कंप्यूटर... काम कैसे करता है. भारत को इससे क्या फायदा होगा. आइए जानते हैं.

क्या है सुपर कंप्यूटर और क्या काम आता है

वे कंप्यूटर जिनकी मेमोरी स्टोरेज 693.5 TiB (टेबीबाइट) से ज्यादा हो और जिनके काम करने की क्षमता 17.59 पेटा फ्लॉप्स हो, उन्हें सुपर कंप्यूटर कहा जाता है. यानी सुपर कंप्यूटर दुनिया के सबसे तेज लैपटॉप से करीब 10 लाख गुना तेजी से काम कर सकता है. मॉनसून की सटीक चाल जानने के लिए वैज्ञानिक तेज गणना वाली मशीन की जरुरत होती है. अंतरिक्ष विज्ञान में भी सुपर कंप्यूटर्स बड़े काम आते हैं.

खासकर ब्रह्मांड की उत्पति से जुड़े राज खोलने के लिए वैज्ञानिक ऐसी मशीनों का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा डीएनए रिसर्च और प्रोटीन रिसर्च भी सुपर कंप्यूटर्स की मदद से नए आयाम तक पहुंची है. वैज्ञानिक मौसम में बदलाव और भूकंपों के पीछे की प्रक्रिया को समझने के लिए भी सुपर कंप्यूटर्स का इस्तेमाल करते हैं.

साथ ही, परमाणु शोध में भी सुपर कंप्यूटर्स काम आते हैं. अगर भारत में ये कंप्यूटर बन गए तो हमें किसी भी दूसरे देश की मदद नहीं चाहिए होगी और ये कंप्यूटर इस जरुरत को पूरा करेगा.

देश को सुपर पावर बनाने के लिए पीएम मोदी हर तरह की कोशिश कर रहे हैं. नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के बाद अब पीएम मोदी का पूरा फोकस अब तकनीकी क्षेत्र में है. मेक इन इंडिया के तहत अब भारत में सुपर कंप्यूटर बनाए जाएंगे.

इसके लिए सरकार ने तैयारी भी शुरू कर दी है. इस योजना का नाम सुपर कंप्यूटर्स मिशन रखा गया है. इससे वो चीन और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को मात देने की कोशिश कर रहे हैं. आखिर है क्या सुपर कंप्यूटर... काम कैसे करता है. भारत को इससे क्या फायदा होगा. आइए जानते हैं.

क्या है सुपर कंप्यूटर और क्या काम आता है

वे कंप्यूटर जिनकी मेमोरी स्टोरेज 693.5 TiB (टेबीबाइट) से ज्यादा हो और जिनके काम करने की क्षमता 17.59 पेटा फ्लॉप्स हो, उन्हें सुपर कंप्यूटर कहा जाता है. यानी सुपर कंप्यूटर दुनिया के सबसे तेज लैपटॉप से करीब 10 लाख गुना तेजी से काम कर सकता है. मॉनसून की सटीक चाल जानने के लिए वैज्ञानिक तेज गणना वाली मशीन की जरुरत होती है. अंतरिक्ष विज्ञान में भी सुपर कंप्यूटर्स बड़े काम आते हैं.

खासकर ब्रह्मांड की उत्पति से जुड़े राज खोलने के लिए वैज्ञानिक ऐसी मशीनों का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा डीएनए रिसर्च और प्रोटीन रिसर्च भी सुपर कंप्यूटर्स की मदद से नए आयाम तक पहुंची है. वैज्ञानिक मौसम में बदलाव और भूकंपों के पीछे की प्रक्रिया को समझने के लिए भी सुपर कंप्यूटर्स का इस्तेमाल करते हैं.

साथ ही, परमाणु शोध में भी सुपर कंप्यूटर्स काम आते हैं. अगर भारत में ये कंप्यूटर बन गए तो हमें किसी भी दूसरे देश की मदद नहीं चाहिए होगी और ये कंप्यूटर इस जरुरत को पूरा करेगा.

चीन और अमेरिका के पास हैं सबसे तेज सुपर कंप्यूटर

दुनिया भर में मौजूद सुपर कंप्यूटरों में सबसे तेज गणना करने वाला सुपर कंप्यूटर चीन के पास ही है. टॉप टेन सुपर कंप्यूटर की बात करें तो चीन के 'सनवे ताइहूलाइट' की गति 93 पेटाफ्लॉप्स है. दूसरे नंबर पर भी चीन का तियानहे-2 है. इसकी क्षमता भी 33.9 पेटाफ्लॉप्स है.

मालूम हो कि एक पेटाफ्लॉप्स का अर्थ है महज एक सेकेंड में 1,00,00,00,00,00,00,000 फ्लोटिंग प्वाइंट ऑपरेशंस की क्षमता. चीन में 167 सुपरकंप्यूटर हैं जबकि अमेरिका में 165 सुपरकंप्यूटर ही काम कर रहे हैं और बता दें, चीन और अमेरिका के अलावा जापानी वैज्ञानिक जल्द ही इन दोनों देशों को मात देने की तैयारी में हैं.

भारत अभी काफी पीछे

सुपर कंप्यूटर बनाने के मामले में भारत काफी पीछे है. फिलहाल भारत के पास सहस्र टी नाम का सुपर कप्यूंटर है, लेकिन इसी क्षमता महज 0.90 पेटाफ्लॉप्स है. भारत के वैज्ञानिक इन दिनों एक सुपर कंप्यूटर तैयार कर रहे हैं, जिसे इसी महीने तैयार करने की बात हो रही है. तैयार होने के बाद इस कंप्यूटर की क्षमता 10 पेटाफ्लॉप्स होगी. माना जा रहा है कि इसे दुनिया के 10 सबसे तेज सुपर कंप्यूटर्स में जगह मिल सकती है.

सरकार इस सुपर कंप्यूटर पर करीब 450 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. लेकिन चीन अब महा सुपर कंप्यूटर की तैयारी में जुट गया है और 2020 तक वो इसे लॉन्च कर देगा. चीन इससे चिकित्सा, समुद्र और मौसम के क्षेत्र में काम लेगा. इसके अलावा इसका उपयोग अंतरिक्ष शोध से जुड़े कार्यों में भी लिया जाएगा.

वैज्ञानिकों ने इस सुपर कंप्यूटर का नाम सनवे रखा है. अगर भारत को इस क्षेत्र में चीन और अमेरिका को पछाड़ना है तो और नई तकनीकों के साथ सुपर कंप्यूटर बनाने होंगे और जल्द से जल्द इन्हें लॉन्च करना होगा. नहीं तो विकसित देश और आगे निकल जाएंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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