• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
टेक्नोलॉजी

मोबाइल पेमेंट से पहले इंटरनेट की बात कीजिए प्रधानमंत्री जी !

    • ऑनलाइन एडिक्ट
    • Updated: 28 नवम्बर, 2016 09:05 PM
  • 28 नवम्बर, 2016 09:05 PM
offline
3G, 4G, जियो, मोबाइल पेमेंट, कैशलेस ट्रांजेक्शन, इंटरनेट बैंकिंग आदि सब सुनने में तो अच्छा लगता है, लेकिन इस सबकी पहुंच आम जनता तक कितनी है? आखिर क्या सच है भारत में इंटरनेट का?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन है डिजिटल इंडिया, कैशलेस इकोनॉमी और कालेधन-करप्शन का खात्मा, लेकिन क्या ये वाकई इतनी जल्दी संभव है? मोदी का करंसी बैन का फैसला जो सोचकर लिया गया उस बारे में सोचकर ही मन खुश हो जाता है. आखिर कोई तो है जो काम कर रहा है, लेकिन क्या इसके लिए पूरी तैयारी नहीं होनी चाहिए थी? जो लोग मोदी के इस फैसले को सपोर्ट कर रहे हैं वो भी इस फैसले के लिए पूरी तरह से तैयार ना होने की बात कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- जब चांदनी चौक से गुजरी ड्राइवरलेस कार !

मोबाइल पेमेंट तो कर दें, लेकिन इंटरनेट का क्या?

हाल ही का एक किस्सा है. नोटबंदी के तीसरे दिन नोएडा के बड़े मॉल DLF में जाना हुआ. सोचा कैश नहीं है तो यहीं से कुछ खा लिया जाए, पेमेंट हो जाएगी. वहां ऑर्डर करने के समय पता लगा कि पूरे मॉल का सर्वर डाउन हो गया है. कारण, सभी मोबाइल पेमेंट या कार्ड पेमेंट कर रहे हैं. इतने बड़े मॉल में अगर ऐसा हो सकता है तो फिर पूरे भारत के बारे में सोच लीजिए क्या होगा?

 सांकेतिक फोटो

देखते हैं कुछ आंकड़े-

भारत के इंटरनेट यूजर्स-

IAMAI (इंटरनेट एंड मोबाइल असोसिएशन ऑफ इंडिया) की हालिया रिपोर्ट 'मोबाइल इंटरनेट इन इंडिया 2016' के डेटा के अनुसार जून 2016 तक भारत में 37 करोड़ 10 लाख (371 मिलियन) मोबाइल इंटरनेट यूजर्स थे और 2016 खत्म होते-होते 65...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन है डिजिटल इंडिया, कैशलेस इकोनॉमी और कालेधन-करप्शन का खात्मा, लेकिन क्या ये वाकई इतनी जल्दी संभव है? मोदी का करंसी बैन का फैसला जो सोचकर लिया गया उस बारे में सोचकर ही मन खुश हो जाता है. आखिर कोई तो है जो काम कर रहा है, लेकिन क्या इसके लिए पूरी तैयारी नहीं होनी चाहिए थी? जो लोग मोदी के इस फैसले को सपोर्ट कर रहे हैं वो भी इस फैसले के लिए पूरी तरह से तैयार ना होने की बात कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- जब चांदनी चौक से गुजरी ड्राइवरलेस कार !

मोबाइल पेमेंट तो कर दें, लेकिन इंटरनेट का क्या?

हाल ही का एक किस्सा है. नोटबंदी के तीसरे दिन नोएडा के बड़े मॉल DLF में जाना हुआ. सोचा कैश नहीं है तो यहीं से कुछ खा लिया जाए, पेमेंट हो जाएगी. वहां ऑर्डर करने के समय पता लगा कि पूरे मॉल का सर्वर डाउन हो गया है. कारण, सभी मोबाइल पेमेंट या कार्ड पेमेंट कर रहे हैं. इतने बड़े मॉल में अगर ऐसा हो सकता है तो फिर पूरे भारत के बारे में सोच लीजिए क्या होगा?

 सांकेतिक फोटो

देखते हैं कुछ आंकड़े-

भारत के इंटरनेट यूजर्स-

IAMAI (इंटरनेट एंड मोबाइल असोसिएशन ऑफ इंडिया) की हालिया रिपोर्ट 'मोबाइल इंटरनेट इन इंडिया 2016' के डेटा के अनुसार जून 2016 तक भारत में 37 करोड़ 10 लाख (371 मिलियन) मोबाइल इंटरनेट यूजर्स थे और 2016 खत्म होते-होते 65 मिलियन (6 करोड़ 55 लाख) इसमें और जुड़ जाएंगे. मतलब कुल 436 मिलियन (43 करोड़ 60 लाख एवरेज) भारत की जनसंख्या है 1.32 बिलियन (100 करोड़ 32 लाख) इसमें से मोबाइल इंटरनेट एक चौथाई.

58 करोड़ इंटरनेट यूजर्स के मायने क्या?

नवंबर 2015 के डेटा के हिसाब से भारत में कुल 131.49 मिलियन (13 करोड़ 14 लाख) ब्रॉडबैंड यूजर्स हैं. इनमें से कई वो भी हैं जो मोबाइल इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. यहां तक अभी कुल इंटरनेट यूजर्स का आंकड़ा आया लगभग 57 करोड़ (567.49 मिलियन). इसके अलावा, 16 मिलियन जियो यूजर्स को भी इसमें अगर जोड़ा जाए तो भी 583.49 मिलियन यूजर्स.

कुल आबादी में से 36%-45% लोगों के पास यानी 58 करोड़ 34 लाख यूजर्स के पास इंटरनेट है. ये एक एवरेज गणना है. मान लीजिए थोड़ा ऊपर नीचे होगा नंबर, लेकिन इसे आधा माना जा सकता है इसमें कोई शक नहीं.

IAMAI का डेटा

91% मोबाइल इंटरनेट यूजर्स शहरों में-

IAMAI की उसी रिपोर्ट में ये लिखा था कि जितने भी इंटरनेट यूजर्स हैं उसमें से 71 प्रतिशत शहरों में रहने वाला व्यक्ति है. इसके अलावा, फरवरी 2016 में आई एक इंटरनेट रिसर्च फर्म की रिपोर्ट के अनुसार मोबाइल पेनेट्रेशन तो गावों में है, लेकिन कुल 9% लोग ही गावों में मोबाइल इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. तो क्या 71 नहीं 91% यूजर्स सिर्फ शहरों में हैं. अब ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं.

आधी आबादी 20 फीसदी क्षेत्रफल में-

इंटरनेट या मोबाइल इंटरनेट का ज्यादातर इस्तेमाल शहरों में ही होता है, तो यह भी बताना जरूरी है कि देश की आधी आबादी देश के 20 फीसदी क्षेत्रफल में ही निवास करती है, और यहीं पर मोबाइल कंपनियां अपनी सेवाओं पर फोकस रखती हैं. यानी जैसे-जैसे आप बाकी 80 फीसदी हिस्से में जाएंगे तो वहां बेसिक टेलिफोनी वाले फीचर्स के लिए सिग्नल मिलना मुश्किल होता है. इंटरनेट तो बहुत दूर की बात है.

ये भी पढ़ें- 9 एप्स जो बैंक या ATM की लाइन में आपका टाइमपास करेंगे

जहां इंटरनेट है, वहां स्पीड एक झंझट है-

भारत में इंटरनेट स्पीड एवरेज 2.5 से 3 एमबीपीएस आती है और अच्छी स्पीड 6-7 एमबीपीएस. साउथ कोरिया में यही एवरेज स्पीड 26.7 एमबीपीएस है. जहां इंटरनेट यूजर्स के मामले में हम तीसरे नंबर पर हैं, वहीं इंटरनेट स्पीड और इंटरनेट पेनेट्रेशन के मामले में हम टॉप 10 में भी नहीं हैं. 3G, 4G, जियो, मोबाइल पेमेंट, कैशलेस ट्रांजेक्शन, इंटरनेट बैंकिंग आदि सब तो ठीक है और बल्कि यूं कहा जाए कि अच्छा है, लेकिन पीएम के इस डिजिटल इंडिया को वाकई डिजिटल बनाने के लिए इंटरनेट पर कोई काम क्यों नहीं किया जा रहा?

कैशलेस इकोनॉमी की तरफ तो हमारा भारत बढ़ रहा है, लेकिन मोबाइल इंटरनेट का क्या? जिनके पास है भी उनमें से अधिकतर को तो वॉट्सएप और फेसबुक के अलावा, कुछ चलाना भी नहीं आता. अगर लोगों के पास कैशलेस इकोनॉमी की तरफ जाने का रास्ता ही नहीं होगा तो भटकना तो पड़ेगा ही.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    मेटा का ट्विटर किलर माइक्रो ब्लॉगिंग एप 'Threads' आ गया...
  • offline
    क्या Chat GPT करोड़ों नौकरियों के लिये खतरा पैदा कर सकता है?
  • offline
    Google Bard है ही इतना भव्य ChatGPT को बुरी तरह से पिछड़ना ही था
  • offline
    संभल कर रहें, धोखे ही धोखे हैं डिजिटल वर्ल्ड में...
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲