• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
स्पोर्ट्स

जानिए, धोनी का इस्तीफा क्यों एक साजिश है

    • जगत सिंह
    • Updated: 09 जनवरी, 2017 07:28 PM
  • 09 जनवरी, 2017 07:28 PM
offline
धोनी ने अचानक यह फैसला क्यों किया अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन समझा जा रहा है कि उन्होंने 2019 वर्ल्ड कप से पहले यह पद छोड़ दिया है ताकि नए कप्तान को पर्याप्त समय मिले. फिर भी सवाल ये है कि आखिर धोनी पर दबाव किसने बनाया?

331 मैचों में भारतीय टीम का नेतृत्व करने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने बुधवार 4 जनवरी को वन-डे और टी20 की कप्तानी से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, वह एक विकेटकीपर-बल्लेबाज के तौर पर खेलते रहेंगे. बीसीसीआई ने बुधवार रात ट्वीट करके यह जानकारी दी थी, लेकिन खबरों के मुताबिक 'महेंद्र सिंह धोनी ने भारतीय वनडे और टी20 टीम की कप्तानी छोड़ने का फैसला अचानक नहीं लिया बल्कि उन पर ऐसा करने के लिए दबाव बनाया गया था. इसके लिए क्रिकेट बोर्ड ने पहले उनके टेस्ट क्रिकेट से कप्तानी नहीं करने पर जोर दिया और बाद में उनपर क्रिकेट के छोटे फॉर्मेट से भी कप्तान के तौर पर इस्तीफे का दबाव बनाया.

 धोनी ने अपने परफेक्ट स्कोर का ध्यान किए बिना ही कप्तानी छोड़ दी

धोनी का करियर बहुत अद्भुत और शानदार रहा है. कप्तान के रूप में बड़े-बड़े नेतृत्वकर्ताओं के लिए धोनी से सीखने को कई चीजें हैं. धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने आईसीसी द्वारा आयोजित तीन मुख्य टूर्नामेंटों में जीत दर्ज की है. 2007 में धोनी के नेतृत्व में भारत ने टी20 विश्वकप, 2011 में एकदिवसीय विश्वकप और 2013 में आईसीसी चैम्पियन्स ट्रॉफी आदि खिताब जीते हैं.

धोनी की 9 साल की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट ने सारे खुशनुम़ा दौर देखे. भारतीय टीम को टेस्ट में पहली बार नंबर एक टीम बनाना आसान बात नहीं थी. धोनी कप्तान के तौर पर जीत मिलने पर सबसे पीछे और हार मिलने पर सबसे आगे खड़े रहते थे. टीम जब जीत का जश्न मनाती थी तो धोनी तस्वीरों में हमेशा आखिरी में खड़े मिले वहीं, हार के बाद आलोचना होने पर एक साहसी कप्तान की तरह सबसे आगे आकर अपने साथी खिलाड़ियों का बचाव करते थे.

ये भी पढ़ें-

331 मैचों में भारतीय टीम का नेतृत्व करने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने बुधवार 4 जनवरी को वन-डे और टी20 की कप्तानी से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, वह एक विकेटकीपर-बल्लेबाज के तौर पर खेलते रहेंगे. बीसीसीआई ने बुधवार रात ट्वीट करके यह जानकारी दी थी, लेकिन खबरों के मुताबिक 'महेंद्र सिंह धोनी ने भारतीय वनडे और टी20 टीम की कप्तानी छोड़ने का फैसला अचानक नहीं लिया बल्कि उन पर ऐसा करने के लिए दबाव बनाया गया था. इसके लिए क्रिकेट बोर्ड ने पहले उनके टेस्ट क्रिकेट से कप्तानी नहीं करने पर जोर दिया और बाद में उनपर क्रिकेट के छोटे फॉर्मेट से भी कप्तान के तौर पर इस्तीफे का दबाव बनाया.

 धोनी ने अपने परफेक्ट स्कोर का ध्यान किए बिना ही कप्तानी छोड़ दी

धोनी का करियर बहुत अद्भुत और शानदार रहा है. कप्तान के रूप में बड़े-बड़े नेतृत्वकर्ताओं के लिए धोनी से सीखने को कई चीजें हैं. धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने आईसीसी द्वारा आयोजित तीन मुख्य टूर्नामेंटों में जीत दर्ज की है. 2007 में धोनी के नेतृत्व में भारत ने टी20 विश्वकप, 2011 में एकदिवसीय विश्वकप और 2013 में आईसीसी चैम्पियन्स ट्रॉफी आदि खिताब जीते हैं.

धोनी की 9 साल की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट ने सारे खुशनुम़ा दौर देखे. भारतीय टीम को टेस्ट में पहली बार नंबर एक टीम बनाना आसान बात नहीं थी. धोनी कप्तान के तौर पर जीत मिलने पर सबसे पीछे और हार मिलने पर सबसे आगे खड़े रहते थे. टीम जब जीत का जश्न मनाती थी तो धोनी तस्वीरों में हमेशा आखिरी में खड़े मिले वहीं, हार के बाद आलोचना होने पर एक साहसी कप्तान की तरह सबसे आगे आकर अपने साथी खिलाड़ियों का बचाव करते थे.

ये भी पढ़ें- क्या तीन साल बाद मिले इस मौके को भुना पाएंगे युवराज?

विराट कोहली ने एकदिवसीय और टी20 प्रारूपों की भारतीय टीम की कप्तानी मिलने के बाद कहा “मैं इस बात को लेकर खुश हूं कि वे फ्री होकर क्रिकेट खेलेंगे. उन्हें हम शुरुआत में नजर आने वाले आक्रामक धोनी के रूप में देख पाएंगे. जब तक उन्हें लगे, क्रिकेट को एंजॉय करना चाहिए क्योंकि उन्होंने देश के लिए काफी भार अपने कंधों पर लिया है तथा अब एंजॉय करने का उनका समय है."

कोहली ने कहा “मेरे लिए वे हमेशा मेरे कप्तान रहेंगे क्योंकि मैंने अपना करियर उनकी कप्तानी में ही शुरू किया है. उन्होंने नेतृत्व मुझे सौंपा है और वे हमेशा मेरे कप्तान रहेंगे, मुझे अवसर प्रदान करने, मुझे क्रिकेटर के रूप में विकसित होने के लिए पर्याप्त समय देने, और टीम से बाहर होने से बचाने के लिए हमेशा सम्माननीय रहेंगे." 'धोनी की जगह लेना बड़ी चुनौती है'- विराट ने कहा, "ये एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. आप धोनी का नाम लेते हैं तो आपके दिमाग में पहला शब्द गूंजता है कैप्टन."

धोनी ने जब टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया तो वह देश की तरफ से 100 टेस्ट मैच खेलने से केवल दस टेस्ट दूर थे लेकिन उन्होंने अपनी दिल की आवाज सुनी और उस पर विश्वास किया. वहीं, वनडे में भी वह 199 मैचों की कप्तानी कर चुके थे चाहते तो 200 का आंकड़ा छू सकते थे लेकिन ऐसा नहीं किया क्योंकि वह जानते थे कि विराट कोहली पद संभालने के लिए तैयार हैं और फैसला लेना का यही सही समय है.

 विराट पूरी तरह से तैयार हैं इसमें कोई शक नहीं, लेकिन धोनी का एकदम से रिजाइन करना किसी की समझ में नहीं आया

धोनी ने अचानक यह फैसला क्यों किया अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन समझा जा रहा है कि उन्होंने 2019 वर्ल्ड कप से पहले यह पद छोड़ दिया है ताकि नए कप्तान को पर्याप्त समय मिले.

एक खबर आई 6 जनबरी को कि झारखंड राज्य सरकार ने महेंद्र सिंह धोनी को ब्रांड एम्बेसडर बनाया है. धोनी अब जल्द ही ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट यानि मोमेंटम झारखंड के लिए प्रचार करते नजर आएंगे, जिससे थोड़ा सुकून मिलता है.

बात भले ही कोई भी हो, बढ़ती उम्र की या फिर कप्तानी के दायित्व से मुक्त करने की, लेकिन अगर इसके पीछे कोई साजिश तो नहीं इसके लिए कई सवाल खड़े हैं. अगर ऐसा है तो वाकई क्रिकेट और जेंटलमैन गेम की स्पिरिट को हुआ है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    महेंद्र सिंह धोनी अपने आप में मोटिवेशन की मुकम्मल दास्तान हैं!
  • offline
    अब गंभीर को 5 और कोहली-नवीन को कम से कम 2 मैचों के लिए बैन करना चाहिए
  • offline
    गुजरात के खिलाफ 5 छक्के जड़ने वाले रिंकू ने अपनी ज़िंदगी में भी कई बड़े छक्के मारे हैं!
  • offline
    जापान के प्रस्तावित स्पोगोमी खेल का प्रेरणा स्रोत इंडिया ही है
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲