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दुख की घड़ी में ताकत ढूंढ लेने वाले ये सितारे मिसाल हैं

    • आईचौक
    • Updated: 09 अप्रिल, 2017 08:04 PM
  • 09 अप्रिल, 2017 08:04 PM
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आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स से खेल रहे ऋषभ पंत ने ऐसा किया जिससे उनकी चर्चा हर जगह हो रही है.

कहा जाता है कि बाधाएं और गंभीर समस्याएं किसके सामने नहीं आती. लेकिन, जो उन मुश्किल चुनौतियों से लड़कर विजय पाकर सबके लिए प्रेरणा बन जाए वो ही सबसे बड़ा हीरो साबित होता है. जी हां, हम बात कर रहे हैं युवा बल्लेबाज ऋषभ पंत की. जिन्होंने पिता के देहांत के दो दिन बाद ग्राउंड पर उतरकर एक मिसाल पेश की.

आईपीएल-10 में दिल्ली डेयरडेविल्स मैच खेलने नहीं उतरी थी, उसके पहले ही दिल्ली की टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत के पिता का देहात हो गया. 19 साल के ऋषभ पंत अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हुए. लेकिन ऋषभ ने खेल के प्रति अपना समर्पण दिखाया और अगले ही दिन टीम के साथ वापस जुड़ गए. बैंगलोर के खिलाफ अपने पहले ही मैच में ऋषभ ने कमाल की अर्धशतकीय पारी खेली.

पंत ने 36 गेंदों पर तीन चौके और चार छक्कों की मदद से 57 रनों की पारी खेली. हालांकि उनकी ये साहासिक पारी दिल्ली को जीत तो नहीं दिला पाई मगर पंत की इस पारी ने सबका दिल जरुर जीत लिया. इस मैच में पंत दिल्ली के अकेले बल्लेबाज रहे जो बैंगलोर के खिलाफ मुकाबले में लोहा लेते नजर आए. बैंगलोर को इस मुकाबले में 15 रनों की जीत मिली. दिल्ली की टीम 158 रनों के जवाब में 9 विकेट पर 142 रन ही बना सकी.

ऋषभ के पिता का देहांत

5 अप्रैल को ऋषभ के पिता राजेंद्र पंत का उत्तराखंड के रुड़की में कार्डिएक अटैक के कारण देहांत हो गया. वह 53 साल के थे. रात 9 बजे जब उन्हें पत्नी सरोज पंत ने खाने के लिए उठाने की कोशिश की तो वह नहीं उठे. आनन-फानन में उन्हें रुड़की रेलवे रोड स्थित एक निजी हॉस्पिटल में ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पिता के मौत की खबर मिलते ही रिषभ आईपीएल छोड़ घर वापस चले गए. पंत गुरुवार को अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हुए. इस बीच ऐसी भी खबरें थीं कि पंत इस बहुत...

कहा जाता है कि बाधाएं और गंभीर समस्याएं किसके सामने नहीं आती. लेकिन, जो उन मुश्किल चुनौतियों से लड़कर विजय पाकर सबके लिए प्रेरणा बन जाए वो ही सबसे बड़ा हीरो साबित होता है. जी हां, हम बात कर रहे हैं युवा बल्लेबाज ऋषभ पंत की. जिन्होंने पिता के देहांत के दो दिन बाद ग्राउंड पर उतरकर एक मिसाल पेश की.

आईपीएल-10 में दिल्ली डेयरडेविल्स मैच खेलने नहीं उतरी थी, उसके पहले ही दिल्ली की टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत के पिता का देहात हो गया. 19 साल के ऋषभ पंत अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हुए. लेकिन ऋषभ ने खेल के प्रति अपना समर्पण दिखाया और अगले ही दिन टीम के साथ वापस जुड़ गए. बैंगलोर के खिलाफ अपने पहले ही मैच में ऋषभ ने कमाल की अर्धशतकीय पारी खेली.

पंत ने 36 गेंदों पर तीन चौके और चार छक्कों की मदद से 57 रनों की पारी खेली. हालांकि उनकी ये साहासिक पारी दिल्ली को जीत तो नहीं दिला पाई मगर पंत की इस पारी ने सबका दिल जरुर जीत लिया. इस मैच में पंत दिल्ली के अकेले बल्लेबाज रहे जो बैंगलोर के खिलाफ मुकाबले में लोहा लेते नजर आए. बैंगलोर को इस मुकाबले में 15 रनों की जीत मिली. दिल्ली की टीम 158 रनों के जवाब में 9 विकेट पर 142 रन ही बना सकी.

ऋषभ के पिता का देहांत

5 अप्रैल को ऋषभ के पिता राजेंद्र पंत का उत्तराखंड के रुड़की में कार्डिएक अटैक के कारण देहांत हो गया. वह 53 साल के थे. रात 9 बजे जब उन्हें पत्नी सरोज पंत ने खाने के लिए उठाने की कोशिश की तो वह नहीं उठे. आनन-फानन में उन्हें रुड़की रेलवे रोड स्थित एक निजी हॉस्पिटल में ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पिता के मौत की खबर मिलते ही रिषभ आईपीएल छोड़ घर वापस चले गए. पंत गुरुवार को अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हुए. इस बीच ऐसी भी खबरें थीं कि पंत इस बहुत बड़े हादसे के बाद पहला मैच मिस कर सकते हैं लेकिन बाएं हाथ के इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने टीम के साथ जुड़कर मैदान पर उतरने का फैसला किया. 

पिता का सपना

ऋषभ पंत की सफलता के पीछे उनके पिता राजेंद्र पंत का सबसे बड़ा हाथ रहा है. ऋषभ पंत के क्रिकेट के शौक को देखते हुए उन्होंने बचपन से ही खेल के लिए प्रोत्साहित किया था. ऋषभ के शौक को देखते हुए उनके पिता ने महंगे-महंगे बैट भी खरीद कर दिए क्योंकि वह खुद भी क्रिकेटर रह चुके थे और वह चाहते थे की उनका बेटा भारतीय टीम में शामिल होकर देश का नाम रोशन करे. अभी ऋषभ बुलंदियों को छूने ही लगा था कि उसके पिता अपने अधूरे सपने दिल में लिए इस दुनिया को अलविदा कह गए.

ऋषभ पंत का कारनामा

दिल्ली के युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने झारखंड के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच में केवल 48 गेंदों पर शतक ठोककर भारत की तरफ से प्रथम श्रेणी मैचों में सबसे तेज शतक बनाने वाले बल्लेबाज बने थे. पंत ने तमिलनाडु के पूर्व बल्लेबाज वीबी चंद्रशेखर और असम के बल्लेबाज राजेश बोरा का 28 साल पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ा था. वैसे पंत ने रणजी ट्रॉफी में ही दिल्ली की ओर से खेलते हुए महाराष्ट्र के खिलाफ तिहरा शतक भी बनाया है. उस मैच में उन्होंने 42 चौके और नौ छक्कों की मदद से 308 रन बनाए थे. इस रणजी सीजन में दिल्ली के होनहार बल्लेबाज़ ऋषभ पंत ने 8 मैचों की 12 पारियों में 972 रन बनाए थे.

 ऋषभ पंत ट्रेनिंग के दौरानपंत ने गुरुद्वारे में रहकर खेला क्रिकेट

क्रिकेट के प्रति जनून और अपने सपने को सच करने के लिए ऋषभ ने बहुत संघर्ष किया है. उनके पिता राजेंद्र पंत ने बताया था कि ट्रेनिंग के लिए ऋषभ को रुड़की से दिल्ली आना पड़ता था. दिल्ली के सोनेट क्लब के कोच तारक सिन्हा ने क्रिकेटरों के लिए एक कैंप रखा था और इस कैंप में भाग लेने के लिए ऋषभ रुड़की से दिल्ली आते थे. इस दौरान वे गुरुद्वारे में रहते थे और वहीं लंगर खाते थे. कड़ी मेहनत की बदौलत ऋषभ ने दिल्‍ली की रणजी टीम में जगह बनाई और फिर जूनियर वर्ल्‍डकप शानदार प्रदर्शन की बदौलत टीम इंडिया में भी स्‍थान बनाने में कामयाब हुए. पंत ने एकमात्र टी20 मैच इंग्‍लैंड के खिलाफ बेंगलुरू में ही खेला था और वे पांच रन बनाकर नाबाद रहे थे. यही नहीं, विराट कोहली और सचिन तेंदुलकर जैसे क्रिकेटरों के साथ भी ऐसे ही हालातों का सामना करना पड़ा था.

सचिन और कोहली के साथ भी हो चुकी है ऐसी घटना

19 मई 1999 में सचिन तेंदुलकर के पिता का देहांत हुआ था, उस वक्त क्रिकेट वर्ल्डकप चल रहा था. पिता के अंतिम संस्कार के बाद सचिन ने वर्ल्ड कप खेला और केन्या के खिलाफ शानदार सेंचुरी लगाई थी. ऐसा ही विराट कोहली के साथ हुआ जब 2006 में वो दिल्ली की रणजी टीम में खेलते थे. तब टूर्नामेंट के बीच में ही विराट के पिता प्रेम कोहली का ब्रेन स्ट्रोक की वजह से देहांत हो गया. उस समय विराट की उम्र 18 वर्ष थी. उनके पिता एक फौजदारी वकील थे. कोहली पिता के अंतिम संस्कार के बाद मैदान पर उतरे और कर्नाटक के खिलाफ मैच में 90 रनों की शानदार पारी खेली थी. ये तो रही क्रिकेटर्स की बात कुछ दिन पहले ऐसी ही खबर आई थी जहां एक टीवी रिपोर्टर ने अपनी ही पति की मौत की खबर लाइव बुलेटिन के दौरान पढ़ी थी. 

छत्तीसगढ़ में रायपुर में एक प्राइवेट न्यूज चैनल की एंकर को ब्रेकिंग न्यूज में अपने ही पति की मौत की खबर पढ़नी पड़ी. जानकारी के मुताबिक बुलेटिन के समय फोनो पर बातचीत में उसे अहसास हुआ कि रिपोर्टर जिस कार का जिक्र कर रहा है और जिन लोगों की मौत हुई है उसमें उसमें उसके पति भी शामिल थे. जिसके बाद भी उन्होंने पूरा बुलेटिन खत्म किया. उनका ये वीडियो काफी वायरल हो रहा है.

(कंटेंट: मोनू चहल, इंटर्न @ ichowk.in )

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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