• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
स्पोर्ट्स

गोल्फ के 'टाइगर' हमारे देश में हैं और हम टाइगर वुड्स को देखते रहे

    • सुशील कुमार
    • Updated: 13 अप्रिल, 2017 09:52 PM
  • 13 अप्रिल, 2017 09:52 PM
offline
भारत के सबसे महान गोल्फर रोहताश जिन्होंने सौ से ज्यादा टूर्नामेंट्स जीते हैं जबकि अमेरिकन पीजीए में सबसे ज्यादा 82 टूर्नामेंट जीतने का रिकॉर्ड सबसे सैम स्नीड के नाम है. स्नीड गोल्फ की हॉल ऑफ फेम में सुशोभित हैं और रोहताश को कोई अवार्ड तक नहीं मिला.

आया अप्रैल और आगमन हुआ अमेरिकन वसंत और ऑगस्टा मास्टर्स गोल्फ टूर्नामेंट के साथ ही पूरे वर्ष के पीजेए गोल्फ प्रोफेशनल टूर का. भारत में भी इसके समकक्ष पीजीटीआई टूर है पर दोनों में अंतर दोनों देशों की अर्थव्यवस्था जैसा ही है. एक बहुत ही अमीर और एक गरीब क्योंकि इंडियन टूर की सर्वश्रेष्ठ और मूल्यवान चैंपियनशिप द इंडियन ओपन कुछ साल पहले यूरोपियन टूर का हिस्सा हो गई है.

अगर गोल्फ के इतिहास पर नजर डालें तो विकसित और विकासशील देशों की गोल्फ प्रगति मिलती-जुलती रही है. औद्योगिक क्रांति पहले ब्रिटेन में आई और वहीं सबसे पहले गोल्फ टूर आया. वही पैटर्न अमेरिका में पचास के दशक से पहले दोहराया गया और उसके बाद एशिया में खासकर जापान, कोरिया, थाईलैंड और अब चीन तथा भारत में इस खेल का महत्व बढ़ रहा है. भारत में प्रोफेशनल टूर पर वर्षों तक सिर्फ कैडीज ने ही अपनी धाक जमाई. 70 से 90 के दशक तक गोल्फ टूर पर रोहताश और अली शेर जैसे खिलाड़ियों का ही प्रभुत्व रहा और अली शेर ने पहली बार इंडियन ओपन 1991 में जीतकर भारतीय खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को मजबूत किया.

अली शेर ने पहली बार 1991 में इंडियन ओपन जीता

और यह दौर चलता रहा जब कोलकाता के अली (फीरोज, बासद, रफीक) बंधुओं के प्रभुत्व को मुकेश कुमार और विजय कुमार जैसे खिलाड़ियों ने चुनौती दी और इसी दौरान गौरव घई, ज्योति रंधावा, अर्जुन अटवाल, अर्जुन मुंडी और जीव मिल्खा सिंह(मिल्खा सिंह के बेटे) जैसे खिलाड़ी उभरकर आए और उनके कारण इंडियन टूर भी वर्ग विभाजन की वजह से विभाजित तो हुआ लेकिन पीजीटीआई ज्यादा पैसा और टूनामेंट्स लेकर आया. यह वर्ग विभाजन...

आया अप्रैल और आगमन हुआ अमेरिकन वसंत और ऑगस्टा मास्टर्स गोल्फ टूर्नामेंट के साथ ही पूरे वर्ष के पीजेए गोल्फ प्रोफेशनल टूर का. भारत में भी इसके समकक्ष पीजीटीआई टूर है पर दोनों में अंतर दोनों देशों की अर्थव्यवस्था जैसा ही है. एक बहुत ही अमीर और एक गरीब क्योंकि इंडियन टूर की सर्वश्रेष्ठ और मूल्यवान चैंपियनशिप द इंडियन ओपन कुछ साल पहले यूरोपियन टूर का हिस्सा हो गई है.

अगर गोल्फ के इतिहास पर नजर डालें तो विकसित और विकासशील देशों की गोल्फ प्रगति मिलती-जुलती रही है. औद्योगिक क्रांति पहले ब्रिटेन में आई और वहीं सबसे पहले गोल्फ टूर आया. वही पैटर्न अमेरिका में पचास के दशक से पहले दोहराया गया और उसके बाद एशिया में खासकर जापान, कोरिया, थाईलैंड और अब चीन तथा भारत में इस खेल का महत्व बढ़ रहा है. भारत में प्रोफेशनल टूर पर वर्षों तक सिर्फ कैडीज ने ही अपनी धाक जमाई. 70 से 90 के दशक तक गोल्फ टूर पर रोहताश और अली शेर जैसे खिलाड़ियों का ही प्रभुत्व रहा और अली शेर ने पहली बार इंडियन ओपन 1991 में जीतकर भारतीय खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को मजबूत किया.

अली शेर ने पहली बार 1991 में इंडियन ओपन जीता

और यह दौर चलता रहा जब कोलकाता के अली (फीरोज, बासद, रफीक) बंधुओं के प्रभुत्व को मुकेश कुमार और विजय कुमार जैसे खिलाड़ियों ने चुनौती दी और इसी दौरान गौरव घई, ज्योति रंधावा, अर्जुन अटवाल, अर्जुन मुंडी और जीव मिल्खा सिंह(मिल्खा सिंह के बेटे) जैसे खिलाड़ी उभरकर आए और उनके कारण इंडियन टूर भी वर्ग विभाजन की वजह से विभाजित तो हुआ लेकिन पीजीटीआई ज्यादा पैसा और टूनामेंट्स लेकर आया. यह वर्ग विभाजन भी भारतीय समाज की तरह गोल्फ टूर में भी है. इसी की वजह से अशोक कुमार, विजय कुमार और मुकेश कुमार अमूमन मीडिया से कतराते रहे लेकिन अब एसएस चौरसिया और राशिद खान जैसे खिलाडिय़ों ने इस शीशे की दीवार को थोड़ा सा पार किया है पर उन्हें अभी बहुत दूर जाना है.

अब आइए ऑगस्टा की विशेष वर्ण व्यवस्था के बारे में जानें. अमेरिकी संविधान में व्यक्तिगत अधिकारों की व्यवस्था के बावजूद अश्वेत लोगों को 1990 तक और महिलाओं को 2013 तक क्लब की मेंबरशिप की मनाही थी. और टाइगर वुड्स के बाद ही सीरियस मायनों में अश्वेत लोगों ने गोल्फ को अपनाया. तो अमेरिकन पीजीए और भारतीय गोल्फ टूर में कुछ अजीब समानता थीं- वहां श्वेत ही क्लब और पीजीए टूर के मालिक थे, भारत में क्लब की मिलकियत तो मालदारों के हाथ में थी पर प्रोफेशनल टूर वर्षों तक कैड़ियों के हाथों में ही रहा.

जीवन की विडंबना भी देखिए. भारत के सबसे महान गोल्फर रोहताश हैं, जिन्होंने सौ से ज्यादा टूर्नामेंट्स जीते हैं जबकि अमेरिकन पीजीए में सबसे ज्यादा 82 टूर्नामेंट जीतने का रिकॉर्ड सबसे सैम स्नीड के नाम है. वहां स्नीड गोल्फ की हॉल ऑफ फेम में सुशोभित हैं और अपने रोहताश को न तो अर्जुन अवार्ड मिला है न ही कोई पद्म पुरस्कार. अब आप इसे क्या कहेंगे? इस वर्ग या वर्ण विभाजन का कारण है कि पत्रकारिता में इस खेल का बहुत कम कवरेज है जबकि इस खेल के इंडियन टूर में ज्यादातर गैर अंग्रेजी भाषी खिलाड़ी हैं. मैं भी अंग्रेजी में ही लिखता हूं पर रोहताश के साथ बर्ताव को देखकर सोचा कि इस बात को दूर तक पहुंचाऊं.

अली शेर से पहले इंडियन ओपन ज्यादातर विदेशियों ने ही जीता और इस टूर्नामेंट में बहुत नामी गिरामी खिलाड़ी भी अमेरिकन और यूरोपियन टूर में नाम कमाने से पहले खेले- जैसे पीटर थॉमसन, तीन बार के मेजर चैंपियन पेन स्टीवर्ट और पैडरेग हैरिंगटन.

ऑगस्टा क्लब की खासियत है कि यहां हर कोई टिकट लेकर मास्टर्स देखने नहीं आ सकता. यहां के मेंबर्स जो पैट्रन कहलाते हैं, वही आ सकते हैं या आपको निमंत्रित कर सकते हैं. यहां मोबाइल फोन की मनाही है और आप दौड़ नहीं सकते हैं. यहां और मेजर्स की तरह ‘इन द होल’ की चीत्कार आप नहीं सुनेंगे.

जैसे कि टेनिस में चार बड़े टूर्नामेंट स्लैम खेलते हैं उसी तरह गोल्फ में भी चार मेजर टूर्नामेंट्स हैं. इसके अलावा, टेनिस में एक वर्ष में चारों का जीतना ग्रैंड स्लैम कहलाता है, उसी तरह गोल्फ में भी है. टेनिस में रॉड लेवर, मार्गरेट कोर्ट और स्टेफी ग्राफ ने यह माइलस्टोन जीता है और गोल्फ में सिर्फ बॉबी जोन्स ने जीता है पर एक एमेच्योर की भूमिका में. (टाइगर वुड्स ने किया तो पर कैलेंडर स्लैम नहीं बल्कि ये चारों खिताब एक के बाद एक जीते.) गोल्फ में भी महान खिलाड़ी का दर्जा प्राप्त करने के लिए चारों टूर्नामेंट का जीतना जरूरी है. जोर्न बोर्ग कभी यूएस ओपन और इवान लेंड्ल हजार कोशिशों के बावजूद विंबल्डन नहीं जीत पाए. रोरी भी सिर्फ मास्टर्स और मिकलसन सिर्फ यूएस ओपन में जीतने के लिए हरदम आतुर हैं ताकि वह करियर ग्रैंड स्लैम पूरा कर सकें. केवल जीन साराजेन, बेन होगान, गैरी प्लेयर, जैक निकलौस और टाइगर वुड्स ने करियर ग्रैंड स्लैम जीता है.

गोल्फ में बाकी तीन मेजर्स अलग-अलग जगह होते हैं पर मास्टर्स सिर्फ एक है जो हर साल ऑगस्टा में ही होता है. ऑगस्टा में जहां तक नजर जाए सिर्फ हरियाली ही हरियाली है. यहां सोमवार की सुबह चार दिन के बाद टूर्नामेंट खत्म हुआ और आखिरी शॉट और आखिरी होल पर भी चैंपियन निर्धारित नहीं हुआ. 288 होल खेलने के बाद एक ही होल खेलकर स्पेन के सर्जियो गार्सिया विजयी बने. उन्हें 74 मेजर, चार रनर अप और 22 टॉप के बाद यह खुशनसीबी हासिल हुई. इंग्लैंड के जस्टिन रोज रनर अप या दूसरे स्थान पर रहे. पिछले साल के चैंपियन डैनी विलेट तो दो दिन या दो राउंड के बाद फाइनल खेलने के काबिल भी नहीं हुए. गोल्फ की यही खासियत है कि 288 में से अगर 144 खेलने के बाद आप एक भी डॉलर कमाने के काबिल नहीं होते. अमेरिकी खिलाड़ी जॉर्डन स्पीथ पिछले साल के मास्टर्स में 12वीं होल में अविश्वसनीय तरीके से पानी में शॉट मारे और एक ही होल में तीन स्ट्रोक लीड खो दी और इस तरह डैनी विलेट से हार गए. इस साल भी चौथे राउंड में फिर 12वीं होल में पानी में गए. इसके बावजूद वे 11वें स्थान पर रहे. दुनिया का एक नंबर का खिलाड़ी डस्टिन जॉनसन एक दिन पहले ही अपने घर की सीढिय़ों पर फिसलकर चोटिल हो गया था और वे खेल में भाग न ले सके.

सर्जियो गार्सिया 

एक तरह से औसतन 288 शॉट्स चार राउंड खेलने के बावजूद गोल्फ में एक ही शॉट आपको चैंपियन बना सकती है. गोल्फ इतिहास में बेन होगन की 1950 यूएस ओपन की ‘एक आयरन’ शॉट इतिहास की अमिट शॉट है क्योंकि 16 महीने पहले ही वे एक कार दुर्घटना में मरते-मरते बचे थे, जस्टिन रोजन ने उसी मेरियन कोर्स में 4 आयरन से यूएस ओपन जीती, इसी तरह जैक निकलौस ने 1972 में 1 आयरन शॉट से पेबल बीच यूएस ओपन जीती. टॉम वाटसन ने 1982 में पेबल बीच में एक अद्भुत चिप-इन से जैक निकलौस को हराया. वाइ.ई.यांग ने 219 यार्ड्स की शॉट 18 होल पर मार कर टाइगर वुड्स को 2009 में हराया. उसी तरह इस साल गार्सिया की 13 होल पर जंगल जाने के बाद भी स्कोर को बचाया और फिर आखिरी होल तक पहुंचते-पहुंचते उसका आत्मविश्वास आसमान को छूने लगा. इसी तरह जस्टिन रोज का एक एक्स्ट्रा शॉट का 17 होल पर खोना उन्हें बहुत महंगा पड़ा. लेकिन यही तो इस खेल की खूबसूरती है.

सर्जियो की शादी इस साल जुलाई में होगी और वह लडक़ी इस मामले में खुशकिस्मत है कि उसका पति मास्टर्स है. एक बार मास्टर्स बनने के बाद सर्जियो हमेशा मास्टर्स रहेंगे.

2016 में भारत के अनिर्बान लाहिड़ी चारों राउंड खेले थे. पहले, जीव मिल्खा सिंह ने 2007 में मास्टर्स खेला और वे पीजीए टूर्नामेंट में नौवें टाइड पोजिशन पर भी आए. अर्जुन अटवाल ने 2011 में खेला है. भारत के खिलाड़ी उभरकर आ रहे हैं और कुछ वर्षों के बाद इस खेल में उनकी स्पष्ट मौजूदगी देखने को मिल सकती है.

ये भी पढ़ें-

दूधवाले के बेटे का कमाल, क्या भारत में बदल रही है गोल्फ की तस्वीर..

मिलिए 'लेडी खली' से... WWE में पहली भारतीय महिला

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    महेंद्र सिंह धोनी अपने आप में मोटिवेशन की मुकम्मल दास्तान हैं!
  • offline
    अब गंभीर को 5 और कोहली-नवीन को कम से कम 2 मैचों के लिए बैन करना चाहिए
  • offline
    गुजरात के खिलाफ 5 छक्के जड़ने वाले रिंकू ने अपनी ज़िंदगी में भी कई बड़े छक्के मारे हैं!
  • offline
    जापान के प्रस्तावित स्पोगोमी खेल का प्रेरणा स्रोत इंडिया ही है
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲