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दुनिया की पहली 'इस्लामिक' एयरलाइन...हिजाब में होंगी एयर होस्टेस!

    • आईचौक
    • Updated: 22 दिसम्बर, 2015 11:42 AM
  • 22 दिसम्बर, 2015 11:42 AM
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मलेशिया के 'रयानी एयर' ने इस खास एयरलाइन की शुरुआत की है. आप इसे इस्लामिक एयरलाइन इसलिए कह सकते हैं क्योंकि इसमें सफर के दौरान आपको इस्लामी तहजीब ही देखने को मिलेगी और सब कुछ शरिया कानून के मुताबिक.

इसकी जरूरत दुनिया को है या नहीं. ये बहस का मुद्दा हो सकता है लेकिन ये दिलचस्प है. दुनिया का पहला 'इस्लामिक एयरलाइंस' मलेशिया में 20 दिसंबर से शुरू हो गया. कुछ लोग इसे अच्छी पहल मान रहे होंगे. लेकिन क्या वाकई ये एक बेहतर पहल है या धर्म को एक बार फिर इस्तेमाल करने की कोशिश?

'इस्लामिक एयरलाइंस' में सब कुछ शरिया के मुताबिक

मलेशिया के 'रयानी एयर' ने इस खास एयरलाइन की शुरुआत की है. आप इसे इस्लामिक एयरलाइन इसलिए कह सकते हैं क्योंकि इसमें सफर के दौरान आपको इस्लामी तहजीब ही देखने को मिलेगी और सब कुछ शरिया कानून के मुताबिक. मसलन, उड़ान के दौरान जो भोजन आपको दिया जाएगा उसमें हलाल मीट ही होगा. शराब नहीं दी जाएगी. इसके अलावा एयरलाइंस में काम करने वाली एयर होस्टेस के लिए जरूरी है कि वो हिजाब पहने. उड़ान से पहले नमाज भी पढ़ी जाएगी. यह पहली दफा नहीं है जब शरिया के तहत किसी एयरलाइंस ने काम करने की घोषणा की है.

कुछ दिनों पहले ब्रिटेन की फिरनास एयरवेज भी अगले साल से इस तरह की उड़ान सेवा शुरू करने की बात कह चुकी है. और फिर एयरलाइंस ही क्यों बाजार की मांग को देखते हुए तमाम दूसरी ऐसी सेवाएं भी धड़ल्ले से शुरू हो रही हैं. दो साल पहले फिलीपींस के शेयर बाजार में वहां की मुस्लिम समुदाय को निवेश करने के लिए प्रेरित करने के लिहाज से ऐसे कंपनियों की सूची जारी करने की बात की गई जिसमें शरिया के कानून के तहत लोग अपने पैसे का निवेश कर सकते हैं.

फिर ब्रिटेन में उच्च शिक्षा के लिए सरकार ने वहां के मुस्लिम युवकों को शरिया-आधारित एजुकेशन लोन देने की बात कही. क्योंकि ज्यादातर मुस्लिम युवक उच्च शिक्षा में होने वाले खर्च के कारण आगे की पढ़ाई बंद कर देते हैं. वहां Department for Business, Innovation & Skills (BIS) की नई नीति के अनुसार अब लोन के ब्याज लौटाने की जगह मुस्लिम युवक उस पैसे को किसी दान के रूप में उक्त खाते में जमा कराएंगे. इसी तरह शरिया के कानूनों के तहत होटल और तमाम दूसरी सेवाओं के बाजार में आने की बात हो रही...

इसकी जरूरत दुनिया को है या नहीं. ये बहस का मुद्दा हो सकता है लेकिन ये दिलचस्प है. दुनिया का पहला 'इस्लामिक एयरलाइंस' मलेशिया में 20 दिसंबर से शुरू हो गया. कुछ लोग इसे अच्छी पहल मान रहे होंगे. लेकिन क्या वाकई ये एक बेहतर पहल है या धर्म को एक बार फिर इस्तेमाल करने की कोशिश?

'इस्लामिक एयरलाइंस' में सब कुछ शरिया के मुताबिक

मलेशिया के 'रयानी एयर' ने इस खास एयरलाइन की शुरुआत की है. आप इसे इस्लामिक एयरलाइन इसलिए कह सकते हैं क्योंकि इसमें सफर के दौरान आपको इस्लामी तहजीब ही देखने को मिलेगी और सब कुछ शरिया कानून के मुताबिक. मसलन, उड़ान के दौरान जो भोजन आपको दिया जाएगा उसमें हलाल मीट ही होगा. शराब नहीं दी जाएगी. इसके अलावा एयरलाइंस में काम करने वाली एयर होस्टेस के लिए जरूरी है कि वो हिजाब पहने. उड़ान से पहले नमाज भी पढ़ी जाएगी. यह पहली दफा नहीं है जब शरिया के तहत किसी एयरलाइंस ने काम करने की घोषणा की है.

कुछ दिनों पहले ब्रिटेन की फिरनास एयरवेज भी अगले साल से इस तरह की उड़ान सेवा शुरू करने की बात कह चुकी है. और फिर एयरलाइंस ही क्यों बाजार की मांग को देखते हुए तमाम दूसरी ऐसी सेवाएं भी धड़ल्ले से शुरू हो रही हैं. दो साल पहले फिलीपींस के शेयर बाजार में वहां की मुस्लिम समुदाय को निवेश करने के लिए प्रेरित करने के लिहाज से ऐसे कंपनियों की सूची जारी करने की बात की गई जिसमें शरिया के कानून के तहत लोग अपने पैसे का निवेश कर सकते हैं.

फिर ब्रिटेन में उच्च शिक्षा के लिए सरकार ने वहां के मुस्लिम युवकों को शरिया-आधारित एजुकेशन लोन देने की बात कही. क्योंकि ज्यादातर मुस्लिम युवक उच्च शिक्षा में होने वाले खर्च के कारण आगे की पढ़ाई बंद कर देते हैं. वहां Department for Business, Innovation & Skills (BIS) की नई नीति के अनुसार अब लोन के ब्याज लौटाने की जगह मुस्लिम युवक उस पैसे को किसी दान के रूप में उक्त खाते में जमा कराएंगे. इसी तरह शरिया के कानूनों के तहत होटल और तमाम दूसरी सेवाओं के बाजार में आने की बात हो रही है.

जाहिर तौर पर बाजार है और ये उसी को भुनाने की कोशिश भी. और वैसे भी धर्म कुछ भी कहे...बाजार हर धर्म में अपना रास्ता खोज ही लेता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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