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रोहित वेमुला के लिए मुंह काला करके रहती है यह युवती!

    • आईचौक
    • Updated: 05 अप्रिल, 2016 06:09 PM
  • 05 अप्रिल, 2016 06:09 PM
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अपना रंग-रूप निखारने के लिए लड़कियां क्या नहीं करतीं...जहां हर लड़की चाहती है कि वो आकर्षक और सुंदर दिखे, वहीं केरल की इस लड़की को आप क्या कहेंगे जो अपने रंग को खुद ही काला कर रही है?

कोच्चि की रहने वाली एक आर्टिस्ट पी एस जया आजकल आने जाने वाले लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच लेती हैं. ऐसा नहीं हैं कि वो बहुत खूबसूरत हैं कि लोग उन्हें देखते रह जाते हैं, असल में जया का रंग जरूरत से ज्यादा काला है. लेकिन यहां खास बात ये हैं कि ये रंग उन्हें ईश्वर ने नहीं दिया बल्कि अपना रंग उन्होंने खुद ही काला किया है.

 

काले रंग को लोग पसंद नहीं करते और अपने देखने के तरीके से ही वो अपनी नापसंद बता भी देते हैं. हमारा समाज है ही ऐसा. सिर्फ रंग ही नहीं धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव होना भारत में सामान्य सी बात है. रोहित वेमुला भी इसी भेदभाव का शिकार हुआ और उसने आत्महत्या कर ली.

ये भी पढ़ें- अश्वेत खिलाड़ी के समर्थन में पूरी टीम ही हो गई 'काली'!

 

जया खुद दलित नहीं हैं लेकिन रोहित वेमुला की मौत के बाद, जया ने अपने शरीर को 100 दिनों तक काला करके रंगभेद और जातिभेद का विरोध करने का निर्णय लिया. 27 जनवरी से जया हर रोज इसी तरह खुद को काले रंग में रंग देती हैं. और ऐसे ही लोगों के बीच जाती हैं.

कोच्चि की रहने वाली एक आर्टिस्ट पी एस जया आजकल आने जाने वाले लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच लेती हैं. ऐसा नहीं हैं कि वो बहुत खूबसूरत हैं कि लोग उन्हें देखते रह जाते हैं, असल में जया का रंग जरूरत से ज्यादा काला है. लेकिन यहां खास बात ये हैं कि ये रंग उन्हें ईश्वर ने नहीं दिया बल्कि अपना रंग उन्होंने खुद ही काला किया है.

 

काले रंग को लोग पसंद नहीं करते और अपने देखने के तरीके से ही वो अपनी नापसंद बता भी देते हैं. हमारा समाज है ही ऐसा. सिर्फ रंग ही नहीं धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव होना भारत में सामान्य सी बात है. रोहित वेमुला भी इसी भेदभाव का शिकार हुआ और उसने आत्महत्या कर ली.

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जया खुद दलित नहीं हैं लेकिन रोहित वेमुला की मौत के बाद, जया ने अपने शरीर को 100 दिनों तक काला करके रंगभेद और जातिभेद का विरोध करने का निर्णय लिया. 27 जनवरी से जया हर रोज इसी तरह खुद को काले रंग में रंग देती हैं. और ऐसे ही लोगों के बीच जाती हैं.

 

जया कहती हैं- 'रोहित वेमुला की मौत के बाद लोगों ने दलित मुद्दे पर खुले तौर पर बहस छेड़ दी. जब लोग काले इंसान को देखते हैं, वो यही समझते हैं कि ये समाज के किसी छोटे तबके से होगा. महिला के तौर पर मैंने इस असमानता को पहले कभी महसूस नहीं किया.'

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70 दिनों से जया ऐसी ही हैं, और 100 दिन पूरे होने के बाद वो भारतनाट्यम की योजना बना रही हैं जिसे वो काले रंग में ही प्रस्तुत करेंगी. वो कहती हैं- 'प्रस्तुति के दौरान हम गोरा लगने के लिए मेकअप का इस्तेमाल करते हैं. शायद मैं अपनी प्रस्तुति से उसी को बदल दूं'. जया एक पेंटर हैं और एक स्कूल में नृत्य की शिक्षा देती हैं.

 असल में ऐसी दिखती हैं जया

जया की सोच इतनी सुंदर है कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनका रंग गोरा है या काला. उनके जज्बे का सलाम !

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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