• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

खुद को डायन क्यों कहती है ये महिला?

    • आईचौक
    • Updated: 04 फरवरी, 2016 10:41 AM
  • 04 फरवरी, 2016 10:41 AM
offline
ऐसे देश में जहां डायन का खिताब देने पर महिलाओं के साथ अत्याचार होता है, उसी देश में एक महिला फख्र से खुद को डायन कहती है.

हम उस में रहते देश है जहां महिलाएं देवी भी कहते हैं और उन्हें डायन भी घोषित कर दिया जाता है. झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा से तो 'डायन' या 'टोनही' बताकर महिलाओं की बेरहम हत्‍याओं के मामले भी अकसर सामने आते हैं. गाय ने दूध देना बंद कर दिया, कुँए में पानी सूख गया, किसी बच्चे की मौत हो गई, कोई बीमार पड़ गया, जैसी छोटी-छोटी बातों के लिए औरत को जिम्मेदार बताकर डायन करार दिया जाता है.

सिर्फ इतना नहीं, उनके साथ जो सुलूक किया जाता है उसे सुनकर रौंगटे खड़े हो जाते हैं. उनके साथ यौन अत्याचार, मुंडन कर देना, आँखें फोड़ देना, जबान काट लेना, निर्वस्त्र कर देना, कुछ के मुंह में मल-मूत्र तक ठूँस देना, यहां तक कि हत्या भी.

 

ऐसे देश में जहां डायन का खिताब देने पर महिलाओं के साथ ये सलूक होता है, उसी देश में एक महिला फख्र से खुद को डायन कहती है. ये हैं इप्सिता रॉय चक्रवर्ती. एक कुलीन परिवार में जन्मी और पली बढ़ी इप्सिता की मां एक शाही खानदान से थीं और पिता डिप्लोमैट. जब वो कनाडा रहती थीं, उन्होंने वहां प्राचीन संस्कृतियों और पौराणिक मान्यताओं की पढ़ाई की और फिर विक्का धर्म अपनाया. शादी के बाद वो भारत लौट आईं. 1986 में इप्सिता ने खुद को डायन घोषित कर दिया था.

विक्का धर्म एक नया धार्मिक आंदोलन है जिसकी स्थापना 19वीं सदी में इंग्लैंड के गेराल्ड गार्डनर ने की थी. 1954 में विक्का धर्म के बारे में लोगों को बताया गया. ये डायन के सताये हुए लोगों के परीक्षण के दौरान शुरू किया गया था. इसमें लोगों को भूत प्रेत जैसी बातों से विश्वास खत्म करने के लिए कहा जाता था. इस प्रथा को इप्सिता भारत लेकर आईं.

हम उस में रहते देश है जहां महिलाएं देवी भी कहते हैं और उन्हें डायन भी घोषित कर दिया जाता है. झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा से तो 'डायन' या 'टोनही' बताकर महिलाओं की बेरहम हत्‍याओं के मामले भी अकसर सामने आते हैं. गाय ने दूध देना बंद कर दिया, कुँए में पानी सूख गया, किसी बच्चे की मौत हो गई, कोई बीमार पड़ गया, जैसी छोटी-छोटी बातों के लिए औरत को जिम्मेदार बताकर डायन करार दिया जाता है.

सिर्फ इतना नहीं, उनके साथ जो सुलूक किया जाता है उसे सुनकर रौंगटे खड़े हो जाते हैं. उनके साथ यौन अत्याचार, मुंडन कर देना, आँखें फोड़ देना, जबान काट लेना, निर्वस्त्र कर देना, कुछ के मुंह में मल-मूत्र तक ठूँस देना, यहां तक कि हत्या भी.

 

ऐसे देश में जहां डायन का खिताब देने पर महिलाओं के साथ ये सलूक होता है, उसी देश में एक महिला फख्र से खुद को डायन कहती है. ये हैं इप्सिता रॉय चक्रवर्ती. एक कुलीन परिवार में जन्मी और पली बढ़ी इप्सिता की मां एक शाही खानदान से थीं और पिता डिप्लोमैट. जब वो कनाडा रहती थीं, उन्होंने वहां प्राचीन संस्कृतियों और पौराणिक मान्यताओं की पढ़ाई की और फिर विक्का धर्म अपनाया. शादी के बाद वो भारत लौट आईं. 1986 में इप्सिता ने खुद को डायन घोषित कर दिया था.

विक्का धर्म एक नया धार्मिक आंदोलन है जिसकी स्थापना 19वीं सदी में इंग्लैंड के गेराल्ड गार्डनर ने की थी. 1954 में विक्का धर्म के बारे में लोगों को बताया गया. ये डायन के सताये हुए लोगों के परीक्षण के दौरान शुरू किया गया था. इसमें लोगों को भूत प्रेत जैसी बातों से विश्वास खत्म करने के लिए कहा जाता था. इस प्रथा को इप्सिता भारत लेकर आईं.

 

विक्का यानी 'बुद्धिमानों की कला', इप्सिता इसे ‘study of comparative belief systems’  या तुलनात्मक विश्वास का अध्ययन भी कहती हैं. इप्सिता का कहना है कि लोग किसी भी औरत को डायन बताकर कैसे जला या मार सकते हैं, जबकि चुडैल और डायन जैसा कुछ होता ही नहीं है. ऐसी ही बुरी प्रथाओं और धारणाओं को खत्म करने के लिए इप्सिता ने 2006 में विकेन ब्रिगेड बनाई. उन्होंने कुछ छात्रों को इकट्ठा किया और उन्हें विक्का के कुछ पुराने तरीके सिखाए. अब वो और उनकी टीम अंधविश्वास उन्मूलन और ‘डायन’ शब्द के साथ जुड़े हुए कलंक को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए काम कर रहे हैं. ये विक्का समाज के लोग रहस्य और विज्ञान और पूर्व और पश्चिम की गूढ़ परंपराओं को एक साथ लाते हैं.

 

इप्सिता ने 'स्पिरिट्स आई हैव नोन' 'सेक्रेड ईविल' और 'बिलव्ड विच' नाम की तीन किताबें लिखी हैं. उनकी बेटी दीप्ता चक्रवर्ती ने भी अपनी मां से विक्का की शिक्षा ली है और वो भी इसी दिशा में काम कर रही हैं. 

                                                          अपनी बेटी दीप्ता के साथ इप्सिता

डायन घोषित महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों का विरोध करने और लोगों के अंधविश्वास को खत्म करने के लिए अगर ये महिला खुद को डायन कहती है, तो ऐसी डायन की जरूरत तो पूरे भारत को है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲