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समाज

कौन है आतंकियों का HELPER

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 09 अगस्त, 2017 04:38 PM
  • 09 अगस्त, 2017 04:38 PM
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आतंकियों ने अब सेना की चिंता बढ़ा दी है. कैसे और कौन उनकी मदद कर रहा है. सुरक्षा एजेंसी इसका पता लगा रही है.

कश्मीर में आतंकियों का सफाया करने के लिए सेना नए-नए प्लान बना रही है. इस साल में ही कई आतंकियों को सेना ने मार गिराया है. सेना का रुख देखते हुए लगता है कि उन्होंने आतंक का सफाया करने की ठान ली है. लेकिन आतंकी भी उतने ही अपडेट होते जा रहे हैं. कोई मरता है तो कोई उसकी जगह ले लेता है. सेना ने काम में भले ही तेजी ला दी हो. लेकिन आतंकी सेना की नाक में दम करके रखे हैं.

इतने तनाव और कड़े पहरे में भी कश्मीर में आतंकियों के लिए हथियारों की नई खेप पहुंच गई है. इन हथियारों में छोटी AK-47 रायफल शामिल है. जिससे सुरक्षा एजेंसियों की चिंताएं बढ़ गई हैं. सुरक्षा एजेंसियों का फोकस इस बात पर है कि आखिर हथियारों की नई खेप आई तो आई कहां से.

आखिर किस रास्ते से पाकिस्तानी कश्मीर में हथियार पहुंचा रहे हैं. बता दें, हाल ही में मारे गए आतंकियो के पास से वो हथियार मिले हैं जो कभी उनके पास थे ही नहीं. एजेंसियों ने उनके पास से छोटी AK-47 बरामद की हैं. पहले इनके पास बड़ी AK-47 हुआ करती थी.

डीलर्स को पकड़ने के लिए सेना बना रही प्लान

खूफिया एजेंसियों को शक है कि पाकिस्तान से ही आतंकियों के लिए हथियार आ रहे हैं. इनको शक है कि ट्रेड के रास्ते से भारत में हथियार पहुंच रहे हैं. इसलिए पाकिस्तान से आने वाली हर गाड़ी और ट्रक को बारीकी से तलाशी ली जा रही है. यही नहीं उनके सामने डीलर्स को पकड़ने की भी चुनौती है.

सेना को बखूबी पता है कि जब तक हथियारों की खेप को नहीं रोका जाता तब तक आतंकवाद को रोका नहीं जा सकता है. सेना की सबसे बड़ी चिंता अब छोटी AK-47 है. सेना को तो ये भी शक है कि कश्मीर बॉर्डर से हथियारों की स्मगलिंग जोरों पर चल रही है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि इतनी मुस्तैदी के बाद भी हथियार कैसे आतंकियों तक पहुंच रहे हैं.

कश्मीर में आतंकियों का सफाया करने के लिए सेना नए-नए प्लान बना रही है. इस साल में ही कई आतंकियों को सेना ने मार गिराया है. सेना का रुख देखते हुए लगता है कि उन्होंने आतंक का सफाया करने की ठान ली है. लेकिन आतंकी भी उतने ही अपडेट होते जा रहे हैं. कोई मरता है तो कोई उसकी जगह ले लेता है. सेना ने काम में भले ही तेजी ला दी हो. लेकिन आतंकी सेना की नाक में दम करके रखे हैं.

इतने तनाव और कड़े पहरे में भी कश्मीर में आतंकियों के लिए हथियारों की नई खेप पहुंच गई है. इन हथियारों में छोटी AK-47 रायफल शामिल है. जिससे सुरक्षा एजेंसियों की चिंताएं बढ़ गई हैं. सुरक्षा एजेंसियों का फोकस इस बात पर है कि आखिर हथियारों की नई खेप आई तो आई कहां से.

आखिर किस रास्ते से पाकिस्तानी कश्मीर में हथियार पहुंचा रहे हैं. बता दें, हाल ही में मारे गए आतंकियो के पास से वो हथियार मिले हैं जो कभी उनके पास थे ही नहीं. एजेंसियों ने उनके पास से छोटी AK-47 बरामद की हैं. पहले इनके पास बड़ी AK-47 हुआ करती थी.

डीलर्स को पकड़ने के लिए सेना बना रही प्लान

खूफिया एजेंसियों को शक है कि पाकिस्तान से ही आतंकियों के लिए हथियार आ रहे हैं. इनको शक है कि ट्रेड के रास्ते से भारत में हथियार पहुंच रहे हैं. इसलिए पाकिस्तान से आने वाली हर गाड़ी और ट्रक को बारीकी से तलाशी ली जा रही है. यही नहीं उनके सामने डीलर्स को पकड़ने की भी चुनौती है.

सेना को बखूबी पता है कि जब तक हथियारों की खेप को नहीं रोका जाता तब तक आतंकवाद को रोका नहीं जा सकता है. सेना की सबसे बड़ी चिंता अब छोटी AK-47 है. सेना को तो ये भी शक है कि कश्मीर बॉर्डर से हथियारों की स्मगलिंग जोरों पर चल रही है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि इतनी मुस्तैदी के बाद भी हथियार कैसे आतंकियों तक पहुंच रहे हैं.

कुछ दिन पहले पाकिस्तान से हथियार आना बंद हो गए थे. आतंकी भी बौखला गए थे. इसके बाद ही आतंकी सरगनाओं ने सोशल मीडिया पर नया हथकंडा अपनाया था. उन्होंने छोटे-छोटे वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करने शुरू कर दिए थे. जिसमें आतंकी सरगना घाटी के बहके हुए युवाओं से ये करते हुए सुने गए कि वो सुरक्षाबलों के हथियार लूटते हैं तो उनके संगठन में उनकी सीधी भर्ती होगी. संगठन ने ये कदम उस वक्त उठाया था जब उनके पास हथियारों की कमी हो गई थी.

लेकिन अब नई फोटो सामने आई है जिसमें आतंकी नई बंदूकों के साथ नजर आ रहे हैं. वो भी ऐसे हथियार जो पहले कभी नहीं थे. पुलवामा के संबूरा में एनकाउंटर में भी जो आतंकी उमर मारा गया था. उसके पास भी नए हथियार थे. लश्कर-ए-तैयबा के टॉप कमांडर अबु दुजाना और उसके साथी का जब पुलवामा में एनकाउंटर हुआ था तो इन लोगों के पास भी नए वाले हथियार ही बरामद हुए थे. अब सरकार इसे रोकने के लिए नए प्लान पर काम कर रही है. जिसे बिलकुल क्लोज रखा है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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