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औरतें 24 घंटे क्या पहन कर रहती हैं पता है आपको ?

    • सरवत फातिमा
    • Updated: 08 मार्च, 2017 04:06 PM
  • 08 मार्च, 2017 04:06 PM
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भीड़ भरी बस में या कहीं और जगह महिलाओं को गलत तरह से छूने के खिलाफ आवाज उठती हैं तो भी लोग यही सवाल करते हैं कि उस समय तुमने पहना क्या था!

दिन-दहाड़े, खुली सड़क पर, भीड़ के बीच एक लड़की का उत्पीड़न होता है. कुछ लोग इस घटना पर रोष जाहिर करते हैं तो कुछ देश के कानून व्यवस्था और माहौल को गालियां देते हैं. लेकिन आधी जनता की दिलचस्पी इस बात में ज्यादा होती है कि घटना के वक्त लड़की ने पहना क्या था. जैसे कि कपड़े से उन घटिया लोगों की सोच पर कोई फर्क पड़ने वाला है. लेकिन हमारे जीवन का सच यही है. महिला होने के नाते हमें लोगों की सहानुभूति तो मिलती है लेकिन टुकड़ों में. और अधिकतर मौकों पर हमें मिलने वाली संवेदनाएं और सहानुभूति हमारे स्कर्ट या कपड़ों की लंबाई के अनुपात में होती है.

हर बार जब हम लड़कियां विरोध करते हुए अपने साथ हुई बदतम्मीजी के बारे में बताती हैं, तो सबसे पहला और सबसे कॉमन सवाल यही होता है कि घटना के वक्त हमने पहना क्या था! जब भी किसी अजनबी के हमारे पीछे हाथ मारने या एक भीड़ भरे बस में हमें छूने के खिलाफ हम आवाज उठाती हैं तो भी लोग यही सवाल करते हैं कि उस समय तुमने पहना क्या था!

हमने क्या पहना इसपर नहीं अपनी सोच पर ध्यान दोइसलिए आज हम इसका जवाब दे दी देते हैं. हमेशा के लिए ये नाटक खत्म ही करते हैं. हम लड़कियां हर वक्त पुरुषों की भेदती नज़रें पहन कर रहती हैं! हम जहां भी जातीं हैं, चाहे बाथरुम में या सड़क पर, घर में या सिनेमाहॉल में, बेडरुम में या फिर मंदिर में, हर जगह, हर समय, हम अपने साथ पुरुषों की नजरें पहने हुए चलती हैं.

इसी मुद्दे पर सुपारी स्टूडियो की विटामिन स्त्री ने एक वीडियो शेयर किया है. टाइटल है- हमने क्या पहना हुआ था. इस वीडियो में 'गाया लोबो गाजीवाला' की लिखी कविता के जरिए हर उम्र की लड़की बताती है कि किस तरह अब लोगों की गंदी हरकतें, गंदी नजरें या उनका सीटियां बजाने से अब उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर कोई घटिया...

दिन-दहाड़े, खुली सड़क पर, भीड़ के बीच एक लड़की का उत्पीड़न होता है. कुछ लोग इस घटना पर रोष जाहिर करते हैं तो कुछ देश के कानून व्यवस्था और माहौल को गालियां देते हैं. लेकिन आधी जनता की दिलचस्पी इस बात में ज्यादा होती है कि घटना के वक्त लड़की ने पहना क्या था. जैसे कि कपड़े से उन घटिया लोगों की सोच पर कोई फर्क पड़ने वाला है. लेकिन हमारे जीवन का सच यही है. महिला होने के नाते हमें लोगों की सहानुभूति तो मिलती है लेकिन टुकड़ों में. और अधिकतर मौकों पर हमें मिलने वाली संवेदनाएं और सहानुभूति हमारे स्कर्ट या कपड़ों की लंबाई के अनुपात में होती है.

हर बार जब हम लड़कियां विरोध करते हुए अपने साथ हुई बदतम्मीजी के बारे में बताती हैं, तो सबसे पहला और सबसे कॉमन सवाल यही होता है कि घटना के वक्त हमने पहना क्या था! जब भी किसी अजनबी के हमारे पीछे हाथ मारने या एक भीड़ भरे बस में हमें छूने के खिलाफ हम आवाज उठाती हैं तो भी लोग यही सवाल करते हैं कि उस समय तुमने पहना क्या था!

हमने क्या पहना इसपर नहीं अपनी सोच पर ध्यान दोइसलिए आज हम इसका जवाब दे दी देते हैं. हमेशा के लिए ये नाटक खत्म ही करते हैं. हम लड़कियां हर वक्त पुरुषों की भेदती नज़रें पहन कर रहती हैं! हम जहां भी जातीं हैं, चाहे बाथरुम में या सड़क पर, घर में या सिनेमाहॉल में, बेडरुम में या फिर मंदिर में, हर जगह, हर समय, हम अपने साथ पुरुषों की नजरें पहने हुए चलती हैं.

इसी मुद्दे पर सुपारी स्टूडियो की विटामिन स्त्री ने एक वीडियो शेयर किया है. टाइटल है- हमने क्या पहना हुआ था. इस वीडियो में 'गाया लोबो गाजीवाला' की लिखी कविता के जरिए हर उम्र की लड़की बताती है कि किस तरह अब लोगों की गंदी हरकतें, गंदी नजरें या उनका सीटियां बजाने से अब उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर कोई घटिया आदमी आकर कहे कि मैडम हमें भी ट्राई कर लो. इसका क्या जवाब दिया जा सकता है? और कबतक ऐसे लोगों से लड़ा जा सकता है.

सालों से किसी अजनबी के छूने, हैरेस होने, जबर्दस्ती पकड़े जाने और शोषित होने के बाद स्त्री का शरीर इतना निढाल हो जाता है कि वो अपने प्रेमी के प्यार को भी उसी ठंडे ढंग से लेती है. आखिर कब देश को, दुनिया को और इस समाज को ये सच समझ आएगा कि लड़कियों को छेड़ने, उनका शोषण करने के पीछे कारण उन्होंने पहना क्या था नहीं होता. इसलिए पीड़िता ने कपड़े क्या पहने थे पर ध्यान लगाने से अच्छा है कि अपराधी को सजा देने में अपनी ताकत लगाएं. लोगों की सोच में दिक्कत है उसे दोष दें.

देखें वीडियो-

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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