• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

इस्लाम और शिव कनेक्शन: काबा में होती थी मूर्ति पूजा?

    • धीरेंद्र राय
    • Updated: 19 फरवरी, 2015 08:08 PM
  • 19 फरवरी, 2015 08:08 PM
offline
गूगल पर सर्च करिए काबा और भगवान शिव. आधे सेकंड में 36 हजार रिजल्ट सामने होंगे. हर वेबसाइट के अपने दावे, अपने तर्क. बहस ऐसी ही अनंत, जैसे भगवान है या नहीं. उतनी ही आक्रामक, जैसे ईशनिंदा. तो कुछ सच्चाई है या सब रोचक ही है.

घर वापसी, धार्मिक कट्टरपंथ पर जैसी ठनी हुई है, अगर उसके बीच जमीयत ए उलेमा के मुफ्ती मोहम्मद इलियास यदि भगवान शिव को मुसलमानों का पहला पैगंबर कह दें तो हंगामा तो होगा ही. लेकिन गूगल पर सर्च करिए काबा और भगवान शिव. आधे सेकंड में 36 हजार रिजल्ट सामने होंगे. हर वेबसाइट के अपने दावे, अपने तर्क. बहस ऐसी ही अनंत, जैसे भगवान है या नहीं. उतनी ही आक्रामक, जैसे ईशनिंदा. तो कुछ सच्चाई है या सब रोचक ही है.

1.  पीएन ओक ने एक किताब लिखकर समझाया है कि मक्का और उस इलाके में इस्लाम के आने से पहले से मूर्ति पूजा होती थी. हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर थे. गहन रिसर्च के बाद उन्होंने यह भी दावा किया कि काबा में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग है. पैगंबर मोहम्मद ने हमला कर मक्का की मूर्तियां तोड़ी थीं.

2. यूनान और भारत में बहुतायत में मूर्ति पूजा की जाती रही है. पूर्व में इन दोनों ही देशों की सभ्यताओं का दूरस्थ इलाकों पर प्रभाव था. ऐसे में दोनों ही इलाकों के कुछ विद्वान काबा में मूर्ति पूजा होने का तर्क देते हैं.

3. हज करने वाले लोग काबा के पूर्वी कोने पर जड़े हुए एक काले पत्थर के दर्शन को पवित्र मानते हैं. इस पत्थर के बारे में ही कहा जाता है कि यह शिव लिंग था. जो इस्लाम के वहां आने से पुराना है. हालांकि, मुस्लिम मानते हैं कि इस पत्थर को आदम और ईव के साथ जन्नत से भेजा गया था. इस पत्थर के आसपास अब चांदी की फ्रेमिंग कर दी गई है. वैसे ही जैसे कई शिवलिंग के आसपास जलाधरी की होती है.

4. इस्लाम से पहले मिडिल-ईस्ट में पीगन जनजाति रहती थी. वह हिंदू रीति-रिवाज को ही मानती थी. मूर्ति पूजा उसमें से एक थी. पैगंबर मोहम्मद का मक्का में इन्हीं लोगों से विवाद हुआ और वे मदीना चले गए. फिर वहां से ताकतवर होकर लौटे और मक्का में इस्लाम कायम किया. और मूर्ति पूजा बंद करा दी.

5. किसी हिंदू पूजा के दौरान बिना सिला हुआ वस्त्र या धोती पहनते हैं, उसी तरह हज के दौरान भी बिना सिला...

घर वापसी, धार्मिक कट्टरपंथ पर जैसी ठनी हुई है, अगर उसके बीच जमीयत ए उलेमा के मुफ्ती मोहम्मद इलियास यदि भगवान शिव को मुसलमानों का पहला पैगंबर कह दें तो हंगामा तो होगा ही. लेकिन गूगल पर सर्च करिए काबा और भगवान शिव. आधे सेकंड में 36 हजार रिजल्ट सामने होंगे. हर वेबसाइट के अपने दावे, अपने तर्क. बहस ऐसी ही अनंत, जैसे भगवान है या नहीं. उतनी ही आक्रामक, जैसे ईशनिंदा. तो कुछ सच्चाई है या सब रोचक ही है.

1.  पीएन ओक ने एक किताब लिखकर समझाया है कि मक्का और उस इलाके में इस्लाम के आने से पहले से मूर्ति पूजा होती थी. हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर थे. गहन रिसर्च के बाद उन्होंने यह भी दावा किया कि काबा में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग है. पैगंबर मोहम्मद ने हमला कर मक्का की मूर्तियां तोड़ी थीं.

2. यूनान और भारत में बहुतायत में मूर्ति पूजा की जाती रही है. पूर्व में इन दोनों ही देशों की सभ्यताओं का दूरस्थ इलाकों पर प्रभाव था. ऐसे में दोनों ही इलाकों के कुछ विद्वान काबा में मूर्ति पूजा होने का तर्क देते हैं.

3. हज करने वाले लोग काबा के पूर्वी कोने पर जड़े हुए एक काले पत्थर के दर्शन को पवित्र मानते हैं. इस पत्थर के बारे में ही कहा जाता है कि यह शिव लिंग था. जो इस्लाम के वहां आने से पुराना है. हालांकि, मुस्लिम मानते हैं कि इस पत्थर को आदम और ईव के साथ जन्नत से भेजा गया था. इस पत्थर के आसपास अब चांदी की फ्रेमिंग कर दी गई है. वैसे ही जैसे कई शिवलिंग के आसपास जलाधरी की होती है.

4. इस्लाम से पहले मिडिल-ईस्ट में पीगन जनजाति रहती थी. वह हिंदू रीति-रिवाज को ही मानती थी. मूर्ति पूजा उसमें से एक थी. पैगंबर मोहम्मद का मक्का में इन्हीं लोगों से विवाद हुआ और वे मदीना चले गए. फिर वहां से ताकतवर होकर लौटे और मक्का में इस्लाम कायम किया. और मूर्ति पूजा बंद करा दी.

5. किसी हिंदू पूजा के दौरान बिना सिला हुआ वस्त्र या धोती पहनते हैं, उसी तरह हज के दौरान भी बिना सिला हुआ सफेद सूती कपड़ा ही पहना जाता है. यह परंपरा इस्लाम के आने से पहले से जारी है.

सिर्फ यही नहीं, हजारों तर्क-कुतर्क हैं. वेबसाइट, ब्लॉग भरे हुए हैं. यह दावा करने के लिए कि इस्लाम की उत्पत्ति हिंदू धर्म से ही हुई है. और बराबरी से जवाब दिया जाता है कि इस्लाम तो आदम के साथ स्वर्ग से आया. पता नहीं, इस बहस में कोई जीत भी गया तो हासिल क्या होगा?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲