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डॉक्टरी, इंजीनियरिंग पर फोकस है तो जिंदगी की बड़ी भूल कर रहे हैं

    • आईचौक
    • Updated: 25 मई, 2017 07:14 PM
  • 25 मई, 2017 07:14 PM
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समय के साथ अब इंजीनियरों की खास्ता हालत, डॉक्टरी की महंगी पढ़ाई और सरकारी नौकरी में छाई मारा-मारी को देखते हुए समय आ गया है जब करियर के दूसरे विकल्पों की ओर ध्यान दिया जाए.

कुछ साल पहले तक हमारे देश में 12वीं के बाद बच्चों को क्या करना है तो रटा-रटाया सा एक ही जवाब होता था. चाहे तो डॉक्टर या फिर इंजीनियर या फिर बीए, बीएससी या बीकॉम करके सरकारी नौकरी की तैयारी करनी है. बस इतना सा ही दायरा था जिसके गोल-गोल माता-पिता और बच्चे घूमते रहते थे. लेकिन समय के साथ अब इंजीनियरों की खास्ता हालत, डॉक्टरी की महंगी पढ़ाई और सरकारी नौकरी में छाई मारा-मारी को देखते हुए समय आ गया है जब करियर के दूसरे विकल्पों की ओर ध्यान दिया जाए.

हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे पाठ्यक्रमों के बारे में जो ज्यादा चर्चा में नहीं हैं लेकिन करियर विकल्प के लिए एक अच्छी च्वाइस हो सकते हैं:

मानचित्र बनाना (Cartography):

अगर आपको नक्शे और जगहों को देखने, घूमने में रुचि है, दिशाओं और दूरी का हिसाब रखने में आपको महारत हासिल है तो फिर ये आपके लिए एक करियर ऑप्शन है. कार्टोग्राफी में नेविगेशनल और टूरिज्म की जरूरत के लिए नक्शे का अध्ययन करना और बनाना शामिल होता है. कार्टोग्राफ़र किसी जगह के आंकड़ों को इकट्ठा करते हैं और अक्षांश, रेखांश, ऊंचाई और दूरी का विश्लेषण करते हैं. इसके साथ ही साथ जनसंख्या घनत्व, जमीन के उपयोग का पैटर्न, वहां की जनसांख्यिकी आदि का ब्योरा लेते हैं फिर इसका डिजिटल या ग्राफ़िक रूपों में मानचित्र तैयार करते हैं. आज के समय में जियोइन्फॉर्मेटिक्स एक बढ़ता हुआ क्षेत्र है. इसके साथ ही लोगों की गूगल मैप, नेविगेशनल सिस्टम और जीपीएस तकनीक पर बढ़ती निर्भरता के साथ ही ये एक ऐसा क्षेत्र है जो निश्चित रूप से भविष्य में बढ़ने वाला है.

विश्वविद्यालय: कई विश्वविद्यालयों में कार्टोग्राफी में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं. उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद; जामिया मिलिया...

कुछ साल पहले तक हमारे देश में 12वीं के बाद बच्चों को क्या करना है तो रटा-रटाया सा एक ही जवाब होता था. चाहे तो डॉक्टर या फिर इंजीनियर या फिर बीए, बीएससी या बीकॉम करके सरकारी नौकरी की तैयारी करनी है. बस इतना सा ही दायरा था जिसके गोल-गोल माता-पिता और बच्चे घूमते रहते थे. लेकिन समय के साथ अब इंजीनियरों की खास्ता हालत, डॉक्टरी की महंगी पढ़ाई और सरकारी नौकरी में छाई मारा-मारी को देखते हुए समय आ गया है जब करियर के दूसरे विकल्पों की ओर ध्यान दिया जाए.

हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे पाठ्यक्रमों के बारे में जो ज्यादा चर्चा में नहीं हैं लेकिन करियर विकल्प के लिए एक अच्छी च्वाइस हो सकते हैं:

मानचित्र बनाना (Cartography):

अगर आपको नक्शे और जगहों को देखने, घूमने में रुचि है, दिशाओं और दूरी का हिसाब रखने में आपको महारत हासिल है तो फिर ये आपके लिए एक करियर ऑप्शन है. कार्टोग्राफी में नेविगेशनल और टूरिज्म की जरूरत के लिए नक्शे का अध्ययन करना और बनाना शामिल होता है. कार्टोग्राफ़र किसी जगह के आंकड़ों को इकट्ठा करते हैं और अक्षांश, रेखांश, ऊंचाई और दूरी का विश्लेषण करते हैं. इसके साथ ही साथ जनसंख्या घनत्व, जमीन के उपयोग का पैटर्न, वहां की जनसांख्यिकी आदि का ब्योरा लेते हैं फिर इसका डिजिटल या ग्राफ़िक रूपों में मानचित्र तैयार करते हैं. आज के समय में जियोइन्फॉर्मेटिक्स एक बढ़ता हुआ क्षेत्र है. इसके साथ ही लोगों की गूगल मैप, नेविगेशनल सिस्टम और जीपीएस तकनीक पर बढ़ती निर्भरता के साथ ही ये एक ऐसा क्षेत्र है जो निश्चित रूप से भविष्य में बढ़ने वाला है.

विश्वविद्यालय: कई विश्वविद्यालयों में कार्टोग्राफी में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं. उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद; जामिया मिलिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली; भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई; भू-सूचना विज्ञान संस्थान और रिमोट सेंसिंग, कोलकाता; बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची और नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी, हैदराबाद के साथ ही साथ कुछ और भी कॉलेज हैं जहां इसकी पढ़ाई कराई जाती है.

एथिकल हैकिंग (Ethical Hacking):

हैकिंग के साथ एथिकल अपने आप में ये दोनों विरोधाभाषी हैं. लेकिन एथिकल हैकिंग का मतलब होता है जहां आप सोचते तो एक अपराधी की तरह हैं लेकिन काम आप एक शरीफ व्यक्ति की तरह करते हैं. साइबर क्राइम की बढ़ती घटनाओं और ऑनलाइन सुरक्षा का एक बड़ी चिंता का कारण होने की वजह से साइबर सुरक्षा के लिए कंपनियों को एथिकल हैकर्स की जरूरत होती है. तो अगर आप ऐसे इंसान हैं जिसके लिए दोस्तों का पासवर्ड निकालना बाएं हाथ का खेल है और कोडिंग आपको कंफ्यूज नहीं करता तो फिर ये आपके लिए बिल्कुल सही प्रोफेशन ऑप्शन है. बहुराष्ट्रीय बैंक, आईटी कंपनियां, बहुराष्ट्रीय कंपनियां और सरकारी विभागों सभी को साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है.

संस्थान: इंडियन स्कूल ऑफ एथिकल हैकिंग, कोलकाता; लूसीडियूस, नई दिल्ली, कोएनिग सॉल्यूशंस और आईएमटी गाजियाबाद एथिकल हैकिंग में प्रमाणीक पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं.

पर्वतारोहण (Mountaineering):

अगर पहाड़ों पर जाना आपके लिए ऑक्सीजन की तरह है और आप एक शौकिया ट्रैकर और पर्वतारोही हैं तो फिर ये कोर्स आपके लिए ही है. इसमें आप सर्टिफिकेशन के दो लेवल पूरा कर सकते हैं. इसके बेसिक कोर्स में आपको बर्फ और चट्टानों पर चलने, पहाड़ों पर अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने का तरीका सिखाएंगे इसके साथ ही पहाड़ो पर बचाव के तरीके भी सीखाता है वहीं एडवांस्ड कोर्स में पहाड़ो पर लोगों का मार्गदर्शन करना और उनको गाईड करने की कला सीखाई जाती है. दोनों पाठ्यक्रमों को पूरा करने के बाद आप प्रमाणित प्रशिक्षक भी बन सकते हैं.

संस्थान: नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, उत्तरकाशी; जवाहर इंस्टिट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड हिस्ट्री स्पोर्ट्स, पहलगाम, जम्मू और कश्मीर; हिमालय पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग; भारतीय संस्थान स्कीइंग और पर्वतारोहण; श्रीनगर.

फूड कैमिस्ट्री (Food Chemistry):

खाने के शौकीन लोगों के साथ एक समस्या ये होती है कि वो खाने में छोटी से छोटी कमी को पकड़ सकते हैं. अगर आप भी फूडी किस्म के इंसान हैं साथ ही केमिस्ट्री आपके लिए एक खेल है तो फिर सोचना क्या. एक अच्छे फूड केमिस्ट बनने के लिए यही सब चीजें चाहिए होती हैं. फूड केमिस्ट के रूप में आप फूड प्रोडक्शन संयंत्रों में काम करते हैं और अलग-अलग खाद्य पदार्थों में प्रयोग होने वाली सामग्री का अध्ययन करना होगा और उसके बाद खाने के वैकल्पिक, स्वादिष्ट और स्वस्थ विकल्प बताना होगा. फूड केमिस्ट्री, फूड प्रोसेसिंग की सारी श्रृंखला को शामिल करता है. खाना का उत्पादन से लेकर, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन तक के काम का आप हिस्सा बनते हैं.

संस्थान: एसआरएम विश्वविद्यालय, गाजियाबाद; केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मैसूर; लोयोला कॉलेज, चेन्नई और मार अथनियस कॉलेज फॉर एडवांस्ड स्टडीज (MACFAST), केरल; ये सब फूड कैमिस्ट्री और फूड प्रोसेसिंग में बीएससी और एमएससी की डिग्री देते हैं.

बैचलर इन रूरल स्ट्डीज़ (Bachelor in Rural Studies):

अगर आपका दिल गांव में बसता है और आप गांवों के विकास के लिए कुछ करना चाहते हैं, तो रूरल स्टडीज ही आपके लिए बेस्ट कोर्स है. इसमें समाज विकास, पर्यावरण, मानव अधिकार, पशुपालन, कृषि, कृषि प्रबंधन और योजना, बाल विकास जैसे विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है. पढ़ाई खत्म होने के बाद आप ग्रामीण क्षेत्रों के साथ काम करने वाली गैर-सरकारी संगठनों, सरकारी एजेंसियों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों में आवेदन कर सकते हैं.

संस्थान: भावनगर विश्वविद्यालय, गुजरात- रूरल स्टडीज में स्नातक और मास्टर की डिग्री प्रदान करता है. अन्नामलाई विश्वविद्यालय- 5 साल का इंटिग्रेटेड मास्टर्स कोर्स कराती है. पटना विश्वविद्यालय ग्रामीण अध्ययन में एमए कराती है.

ज्योतिष शास्त्र (Astrobiology):

क्या कभी आकाश की तरफ देखकर आपने सोचा है कि वहां सच में जीवन है या नहीं? खैर आप सोचें या नहीं, Astobiologists ऐसा बहुत करते हैं. वे अंतरिक्ष और पृथ्वी पर जीवन की उत्पति, विकास, वितरण और भविष्य का अध्ययन करते हैं. इस विषय में खगोल विज्ञान, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भू-विज्ञान, वायुमंडलीय विज्ञान, समुद्र विज्ञान और वैमानिकी इंजीनियरिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों के ज्ञान और तकनीकों को जोड़ना होता है.

संस्थान: भारतीय ज्योतिषशास्त्र अनुसंधान केंद्र (आईएआरसी), मुंबई

चाय का प्रकार (Tea sommelier):

चाय के धुरंधरों के लिए इससे अच्छी कोई नौकरी नहीं हो सकती. ये करियर सिर्फ चाय के प्रेमियों और जो लोग चाय के स्वाद तक को पहचानने में सक्षम हैं उनके लिए है. इसमें ना सिर्फ आपको चाय की पहचान करनी होती है बल्कि इसकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग का जिम्मा भी आप पर ही होता है. साथ ही आपको चाय की खेती और और उसके मैनुफेचरिंग का भी गहरा ज्ञान होना चाहिए. इसके बाद आप पांच सितारा होटल, चाय निर्माता कंपनियों के साथ काम कर सकते हैं.

इंस्टीट्यूट्स: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ प्लान्टेशन मैनेजमेंट, बैंगलोर- चाय टेस्टिंग और मार्केटिंग में 45 दिन का एक प्रोफेशनल कोर्स कराता है. असम कृषि विश्वविद्यालय में चाय पालन और प्रौद्योगिकी विभाग; चाय अनुसंधान संघ (टीआरए), कलकत्ता; दार्जिलिंग टी रिसर्च एंड मैनेजमेंट एसोसिएशन; असम दार्जिलिंग चाय अनुसंधान केंद्र; यूपीएएसआई टी रिसर्च इंस्टीट्यूट, कून्नूर; चाय टेस्टर्स अकादमी, कोलकाता; चाय अध्ययन विभाग, बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ फ्यूचरिस्टिक स्टडीज, कोलकाता, चाय प्रबंधन में डिग्री और डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी प्रदान करते हैं.

बीए योगिक विज्ञान (BA Yogic Sciences):

योगा की मांग में समय के साथ अब बढ़ोतरी हो रही है. इसके साथ ही कई स्कूलों और कंपनियां में अब योगा को अपने पाठ्यक्रम और कार्यक्रमों में शामिल कर रहे हैं. इसलिए माना जा सकता है कि आने वाले समय में योगा के क्षेत्र में विशाल क्षमता है. आप या तो योग विज्ञान में एमएससी की डिग्री चुन सकते हैं, जिसके बाद आपको ट्रेनर बनने के लिए अर्हता मिल जाएगी. या फिर योग और प्रबंधन को मिला सकते हैं, ये आपको योग संस्थानों को स्थापित करने में मदद करेंगे.

संस्थान: मैंगलोर विश्वविद्यालय- दो साल का एमएससी का कोर्स कराता है. नारायण योग और नैचुरोपैथी मेडिकल कॉलेज नेचुरोपैथी- साढ़े पांच साल का स्नातक कोर्स कराता है. श्री श्री विश्वविद्यालय, कटक में दो साल का एमए कोर्स है.

कठपुतली (Puppetry):

हमारे देश में कहानियां कहने और कठपुतलियों की पुरानी परंपरा रही है. हालांकि ये दुर्भाग्य ही है कि अब ये कला धीरे-धीरे खत्म हो रही है. इसलिए अगर आपकी दिलचस्पी नाटक और कठपुतली के क्षेत्र में है साथ ही आप इस कला को जीवित रखना चाहते हैं, तो आप एक कठपुतली पाठ्यक्रम में शामिल हो सकते हैं और इसे पेशे के रूप में अपना सकते हैं. कठपुतलियों को मनोरंजन का एक रूप में अपनाया जा रहा है साथ ही ये विभिन्न सामाजिक मुद्दों के लिए आवाज उठाने के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसकी भी संभावनाएं विशाल हैं.

संस्थान: मुम्बई विश्वविद्यालय, पपेटरी में चार महीने का सर्टिफिकेट कोर्स कराती है. इस कोर्स को प्रसिद्ध थिएटर आर्टिस्ट मीरा नायक आयोजित कराती हैं. कलकत्ता कठपुतली थियेटर भी अपनी कठपुतली अकादमी को शीघ्र ही लॉन्च करने की तैयारी में है.

गेम डेवलपर (Game Developer):

आपको अगर मोबाइल और कंप्यूटर पर गेम खेलने का कीड़ा है तो फिर क्यों ना आप इसे अपना करियर ही बना लें? गेम डेवलपर के रूप में, आप विभिन्न प्लेटफार्मों में वीडियो गेम बनाने, डिजाइन करने, विकास, उत्पादन और पैकेजिंग के लिए जिम्मेदार होंगे. गेम डिजाइनिंग में एक कोर्स पूरा करने के बाद, आप गेमिंग कंपनियों में शामिल हो सकते हैं या एक फ्रीलांसर के रूप में काम कर सकते हैं.

संस्थान: माया एकेडमी ऑफ एडवांस्ड सिनेमेटिक्स (एमएएसी); स्कूल ऑफ एनीमेशन और विज़ुअल इफेक्ट्स, बैंगलोर; ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ गेमिंग एंड एनिमेशन, चेन्नई और एमएईईआर की एमआईटी इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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