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ISIS के लिए मोस्‍ट वांटेड हैं ये दो बहादुर बहनें

    • आईचौक
    • Updated: 22 दिसम्बर, 2015 07:34 PM
  • 22 दिसम्बर, 2015 07:34 PM
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इराक में ISIS द्वारा सेक्स स्लेव बनाई गईं महिलाओं की मदद करके यजीदी समुदाय की दो बहादुर बहनें इस खतरनाक आतंकी संगठन की हिटलिस्ट में आ गई हैं, लेकिन ये बहनें बिना डरे महिलाओं की मदद कर रही हैं.

इराक में ISIS आतंकियों द्वारा यजीदी महिलाओं और बच्चियों के साथ की गई दरिंदगी की रोंगटे खड़ी कर देने वाली कई कहानियां दुनिया भर की मीडिया में सुर्खियां बनती रही हैं. लेकिन अब इसी समुदाय की दो महिलाओं ने अपने मजबूत इरादों के साथ अपने समुदाय की महिलाओं की मदद का बीड़ा उठाया है.

ये दोनों बहनें यजीदी समुदाय की दुर्दशा का मुद्दा इराक की संसद से लेकर दुनिया भर के बड़े देशों के सामने उठा रही हैं. इतना ही नहीं ये दोनों बहनें इन क्रूर आंतकियों की कैद से भागीं महिलाओं और लड़कियों की मदद के लिए एनजीओ चला रही हैं और यजीदी महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही हैं. इन बहनों ने दुनिया को ISIS की यातना से बचकर भागी ऐसी कहानियां बताईं जिन्हें सुनकर आप जान जाएंगे कि ISIS के आतंकी इंसान नहीं जानवर हैं. आइए जानें यजीदी महिलाओं के लिए लड़ने वालीं इन दो बहादुर बहनों की कहानी.

कौन हैं यजीदी समुदाय की ये दो बहादुर बहनें:
इराक के यजीदी समुदाय से दो ही सांसद हैं और दोनों ही ये बहनें हैं. इनमें बड़ी बहन का नाम है वियान जोकि 42 वर्ष की हैं जबकि छोटी बहन डीलन डाखिल महज 25 वर्ष की हैं. ये दोनों कुर्दिस्तान डेमोक्रेटिक पार्टी से आती हैं. ये दोनों बहने ISIS के आतंकियों द्वारा विस्थापित यजीदियों के शरणार्थी कैंपों में उनकी मदद करने से लेकर इराक की संसद से लेकर दुनिया भर के सामने यजीदियों की गंभीर हालत का मुद्दा उठाने का काम कर रही हैं. वियान की यजीदियों को बचाने की मुहिम की अपील का ही नतीजा है कि इसने पिछले वर्ष दुनिया का ध्यान इस समस्या की ओर खींचा. हालांकि इन दो बहनों की इन कोशिशों ने इनकी जिंदगियों को खतरे में डाल दिया है और ये दोनों ISIS की मोस्ट वॉन्डेट बन गई हैं. लेकिन इन बातों से बेफिक्र वियान कहतीं हैं, यजीदी महिलाओं के साथ ISIS द्वारा की जा रही क्रूरता के मुकाबले हमारी जिंदगियों पर खतरे की बात कुछ भी नहीं है और हम अपनी महिलाओं के लिए लड़ने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं करते हैं.

ISIS के आतंकियों...

इराक में ISIS आतंकियों द्वारा यजीदी महिलाओं और बच्चियों के साथ की गई दरिंदगी की रोंगटे खड़ी कर देने वाली कई कहानियां दुनिया भर की मीडिया में सुर्खियां बनती रही हैं. लेकिन अब इसी समुदाय की दो महिलाओं ने अपने मजबूत इरादों के साथ अपने समुदाय की महिलाओं की मदद का बीड़ा उठाया है.

ये दोनों बहनें यजीदी समुदाय की दुर्दशा का मुद्दा इराक की संसद से लेकर दुनिया भर के बड़े देशों के सामने उठा रही हैं. इतना ही नहीं ये दोनों बहनें इन क्रूर आंतकियों की कैद से भागीं महिलाओं और लड़कियों की मदद के लिए एनजीओ चला रही हैं और यजीदी महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही हैं. इन बहनों ने दुनिया को ISIS की यातना से बचकर भागी ऐसी कहानियां बताईं जिन्हें सुनकर आप जान जाएंगे कि ISIS के आतंकी इंसान नहीं जानवर हैं. आइए जानें यजीदी महिलाओं के लिए लड़ने वालीं इन दो बहादुर बहनों की कहानी.

कौन हैं यजीदी समुदाय की ये दो बहादुर बहनें:
इराक के यजीदी समुदाय से दो ही सांसद हैं और दोनों ही ये बहनें हैं. इनमें बड़ी बहन का नाम है वियान जोकि 42 वर्ष की हैं जबकि छोटी बहन डीलन डाखिल महज 25 वर्ष की हैं. ये दोनों कुर्दिस्तान डेमोक्रेटिक पार्टी से आती हैं. ये दोनों बहने ISIS के आतंकियों द्वारा विस्थापित यजीदियों के शरणार्थी कैंपों में उनकी मदद करने से लेकर इराक की संसद से लेकर दुनिया भर के सामने यजीदियों की गंभीर हालत का मुद्दा उठाने का काम कर रही हैं. वियान की यजीदियों को बचाने की मुहिम की अपील का ही नतीजा है कि इसने पिछले वर्ष दुनिया का ध्यान इस समस्या की ओर खींचा. हालांकि इन दो बहनों की इन कोशिशों ने इनकी जिंदगियों को खतरे में डाल दिया है और ये दोनों ISIS की मोस्ट वॉन्डेट बन गई हैं. लेकिन इन बातों से बेफिक्र वियान कहतीं हैं, यजीदी महिलाओं के साथ ISIS द्वारा की जा रही क्रूरता के मुकाबले हमारी जिंदगियों पर खतरे की बात कुछ भी नहीं है और हम अपनी महिलाओं के लिए लड़ने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं करते हैं.

ISIS के आतंकियों ने क्रूरता की हदें लांघीं:
ISIS आतंकियों द्वारा इराक के सिनजार प्रांत पर कब्जा किए जाने के बाद यहां की यजीदी आबादी की महिलाओं को सेक्स स्लेव बनाने की खबरें काफी समय से आती रही हैं. इन आतंकियों की यातना से बचकर भाग निकलने वाली इन महिलाओं की मदद का काम करने वालीं ये दोनों बहनें जब इनकी कहानियां सुनाती हैं तो रूह कांप जाती है. वियान बताती हैं कि ISIS द्वारा करीब 5800 बच्चों और महिलाओं को अगुवा किया गया था लेकिन उनमें से करीब 2100 महिलाओं को मुक्त करा लिया गया है. इनमें से हर एक की दास्तां किसी भी इंसान को हिला कर रख देना वाली है. इनमें से एक मां-बेटी की कहानी है. इन्हें आतंकियों ने इराकी शहर रक्का में कई अन्य महिलाओं के साथ बंधक बनाकर रखा था, जहां हर दिन आतंकी आते थे और उनमें से चुनते थे कि किसके साथ रेप करना है. एक दिन एक 50 साल का आदमी आया और उसने नौ साल की लड़की को ले जाना चाहा. लड़की की मां ने इसका जोरदार विरोध किया तो आंतकी ने उसके सिर में गोली मार दी. इसके बाद उन्होंने उस बच्ची के साथ रेप किया लेकिन उसका छोटा सा शरीर उस पीड़ा को सह नहीं सका. रेप के कारण बहुत ज्यादा खून बहने से उसकी मौत हो गई.

आतंकियों की कैद से भागने वाली जिस पहली लड़की को डीलन ने बचाया उसकी कहानी भी बहुत दर्दनाक है. यह लड़की आतंकियों की कैद से भागने के लिए तीसरी मंजिल की खिड़की से कूद गई थी और तीन दिन लगातार चलने के बाद वह सुरक्षित जगह पहुंच सकी. इस लड़की को आतंकियों द्वारा छह बार बेचा गया था औ हर बार उसके साथ रेप किया था. एक बार तो एक आंतकी ने उसे दूसरे आतंकी को सिर्फ एक सिगरेट के लिए बेच दिया. ISIS की यातनाओँ से बच निकलने वालीं इन महिलाओं की मदद के लिए इन दोनों बहनों ने सिनजार फाउंडेशन नामक संस्था बनाई, जिससे इन बेसहारा महिलाओं को मेडिकल सहायता दी जा सके. वह कई ऐसी बच्चियों को गोद भी ले चुकी हैं.

ये दोनों बहनें दुनिया भर में यह बताने के लिए घूम रही हैं कि इराक में हर दिन हजारों महिलाओं के साथ आतंकी हैवानियत की हदें लांघ रहे हैं. लेकिन उन्हें लगता है कि दुनिया उनकी अपील को अनसुना करती आई है. वे कहती हैं कि दुनिया को यजीदियों पर हुए जुर्म को भूलना नहीं चाहिए. वे कहती हैं, ‘सोचिए अगर आपकी बहनों, बेटियों को आपका सबसे कट्टर दुश्मन उठा ले जाता और उन्हें प्रताड़ित करके उनसे रेप करता और आप कुछ नहीं कर पाते.’ इससे शायद आप हमारा दर्द समझ पाएं क्योंकि हमारी हालत ऐसी ही है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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