• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

दंगों का सफर: मुजफ्फरनगर से मुजफ्फरपुर वाया त्रिलोकपुरी

    • धीरेंद्र राय
    • Updated: 20 जनवरी, 2015 06:33 PM
  • 20 जनवरी, 2015 06:33 PM
offline
डेढ़ साल के दौरान हुए देश के तीन बड़े दंगों में कुछ बातें बहुत कॉमन-सी रहीं. पहली मामूली वजह, दूसरी किसी नेता का रोल और तीसरी, बड़े राजनीतिक लाभ पर नजर. मुजफ्फरनगर (यूपी), त्रिलोकपुरी (दिल्ली) और अब मुजफ्फरपुर (बिहार) देख लीजिए...

डेढ़ साल के दौरान हुए देश के तीन बड़े दंगों में कुछ बातें बहुत कॉमन-सी रहीं. पहली मामूली वजह, दूसरी किसी नेता का रोल और तीसरी, बड़े राजनीतिक लाभ पर नजर. मुजफ्फरनगर (यूपी), त्रिलोकपुरी (दिल्ली) और अब मुजफ्फरपुर (बिहार) देख लीजिए...

मामूली वजह- - डेढ़ साल पहले उत्तरप्रदेश में मुजफ्फरनगर दंगों की शुरुआत एक छेड़छाड़ की घटना से ही शुरू हुई थी. एक हिंदू जाट छात्रा को स्कूल जाते समय रास्ते में कुछ मुस्लिम युवक परेशान करते थे. जब इस पर आपत्ति लेने उसके दो भाई गए तो दोनों की हत्या कर दी गई. और फिर मुजफ्फरनगर-सहारनपुर जल उठे.- पिछले साल दिवाली के तुरंत बाद दिल्ली की त्रिलोकपुर में दंगे हुए. कारण सिर्फ इतना था कि यहां एक मस्जिद के पास एक अस्थाई चबूतरे माता की चौकी पर लाउडस्पीकर बज रहा था. जिससे नमाज में परेशानी हो रही थी.  - और अब बिहार का मुजफ्फरपुर, जहां प्रेम प्रसंग में एक हिंदू युवक की उसकी मुस्लिम प्रेमिका के भाई ने कथित तौर पर हत्या कर दी. और उसके बाद गुस्साई भीड़ ने बदले की कार्रवाई शुरू की. चार शव मिल चुके हैं और कई लोगों के लापता होने की खबरें हैं.

आग में घी डालने वाले-- मुजफ्फरनगर के कवाल में हत्या होने के बाद एक ओर जाट समुदाय ने पंचायत की तो दूसरी ओर शुक्रवार की नमाज होने के बाद मुस्लिम समुदाय मस्जिद के बाहर जमा हो गया. दोनों ही मौकों पर सियासी दलों के नेताओं ने भड़काऊ बयान दिए. - त्रिलोकपुरी में माता की चौकी पर विवाद होने के बाद शाम को कथित तौर पर स्थानीय भाजपा नेता सुनील वैद्य के दफ्तर पर एक गुप्त बैठक हुई. बैठक खत्‍म होने के बाद सभी लोग नारे लगाते हुए बाहर निकले थे. और इसी के ठीक बाद वहां दंगे शुरू हो गए थे.- लेकिन, मुजफ्फरपुर में हिंदू युवक के मुस्लिम युवती से प्रेम करने और फिर लापता हो जाने की खबरों से इलाके के हिंदू भड़के हुए थे. अभी यह पता नहीं चला है कि इस भीड़ की...

डेढ़ साल के दौरान हुए देश के तीन बड़े दंगों में कुछ बातें बहुत कॉमन-सी रहीं. पहली मामूली वजह, दूसरी किसी नेता का रोल और तीसरी, बड़े राजनीतिक लाभ पर नजर. मुजफ्फरनगर (यूपी), त्रिलोकपुरी (दिल्ली) और अब मुजफ्फरपुर (बिहार) देख लीजिए...

मामूली वजह- - डेढ़ साल पहले उत्तरप्रदेश में मुजफ्फरनगर दंगों की शुरुआत एक छेड़छाड़ की घटना से ही शुरू हुई थी. एक हिंदू जाट छात्रा को स्कूल जाते समय रास्ते में कुछ मुस्लिम युवक परेशान करते थे. जब इस पर आपत्ति लेने उसके दो भाई गए तो दोनों की हत्या कर दी गई. और फिर मुजफ्फरनगर-सहारनपुर जल उठे.- पिछले साल दिवाली के तुरंत बाद दिल्ली की त्रिलोकपुर में दंगे हुए. कारण सिर्फ इतना था कि यहां एक मस्जिद के पास एक अस्थाई चबूतरे माता की चौकी पर लाउडस्पीकर बज रहा था. जिससे नमाज में परेशानी हो रही थी.  - और अब बिहार का मुजफ्फरपुर, जहां प्रेम प्रसंग में एक हिंदू युवक की उसकी मुस्लिम प्रेमिका के भाई ने कथित तौर पर हत्या कर दी. और उसके बाद गुस्साई भीड़ ने बदले की कार्रवाई शुरू की. चार शव मिल चुके हैं और कई लोगों के लापता होने की खबरें हैं.

आग में घी डालने वाले-- मुजफ्फरनगर के कवाल में हत्या होने के बाद एक ओर जाट समुदाय ने पंचायत की तो दूसरी ओर शुक्रवार की नमाज होने के बाद मुस्लिम समुदाय मस्जिद के बाहर जमा हो गया. दोनों ही मौकों पर सियासी दलों के नेताओं ने भड़काऊ बयान दिए. - त्रिलोकपुरी में माता की चौकी पर विवाद होने के बाद शाम को कथित तौर पर स्थानीय भाजपा नेता सुनील वैद्य के दफ्तर पर एक गुप्त बैठक हुई. बैठक खत्‍म होने के बाद सभी लोग नारे लगाते हुए बाहर निकले थे. और इसी के ठीक बाद वहां दंगे शुरू हो गए थे.- लेकिन, मुजफ्फरपुर में हिंदू युवक के मुस्लिम युवती से प्रेम करने और फिर लापता हो जाने की खबरों से इलाके के हिंदू भड़के हुए थे. अभी यह पता नहीं चला है कि इस भीड़ की कोई अगुवाई भी कर रहा था क्या? क्योंकि, लाश मिलते ही हजारों लोगों की भीड़ का आगजनी पर उतारू हो जाना स्वाभाविक नहीं लग रहा.

...और पॉलिटिक्स- मुजफ्फरनगर में दंगों को चुनावी राजनीति से भी जोड़ा गया. कुछ समय बाद ही लोकसभा के चुनाव होने थे. ऐसे में आबादी के मान से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में वोटों का ध्रुवीकरण कुछ पार्टियों के लिए फायदेमंद रहा. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी, जहां मुस्लिम वोटबैंक को हथियाने में लगी रही हैं. वहीं भाजपा की नजर हिंदू वोट पर थी. नतीजा भी अपेक्षित ही आया. इस इलाके की सभी दस सीटें भाजपा ने जीत लीं.- त्रिलोकपुरी के दंगों के पीछे भी पॉलिटिक्स को ही जिम्मेदार ठहराया गया. यहां से विधायक रहे सुनील वैद्य पिछले चुनाव आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी से हार गए थे. यह दंगा भड़काने के लिए उन पर ही आरोप लगा कि ऐसा उन्होंने अपनी राजनीतिक जमीन को वापस पाने के लिए किया.- मुजफ्फरपुर में हुए फसाद के बाद मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी मुंबई से लौट आए. सरकार के सहयोगी लालूप्रसाद यादव पूरे समय पुलिस अफसरों से सीधे बात कर रहे हैं. क्योंकि इसी साल बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं. दंगे भड़के तो वोट बंटेगा. जेडीयू और राजद की नजर मुस्लिम वोटों पर होगी तो भाजपा फिर हिंदू वोटों को आकर्षित करेगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲