• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

सैनिटरी पैड्स पर टैक्स से महिलाओं पर अत्याचार, पर क्या सुन रहे हैं जेटली जी ?

    • शालिनी लोबो
    • Updated: 25 जून, 2017 08:15 PM
  • 25 जून, 2017 08:15 PM
offline
सैनिटरी पैड्स को टैक्स फ्री होने वाली जंग में महिलाओं की हार हुई है. सैनिटरी पैड्स पर टैक्स से महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है. लेकिन जेटली जी शांत बैठे हैं.

'सोने पर 3% टैक्स और सैनिटरी नेपकिन पर 12%. कृपया अपने कंगन, सिंदूर और अन्य चीजें अपने साथ रखें. इसमें कोई उदारता नहीं है. स्वास्थ्य अधिक महत्वपूर्ण है' ये कहा महिला कार्यकर्ता रंजना कुमारी ने, जिन्होंने सैनिटरी नेपकिन को टैक्स फ्री कराने की जंग छेड़ी. रंजना फाइनेंस मिनिस्टर से लगातार संपर्क में थी. यहां तक कि उन्होंने 3 लाख महिलाओं के हस्ताक्षर के साथ सैनिटरी नेपकिन को टैक्स फ्री करने की पिटिशन भी दायर की थी.

11 जून तो जीएसटी की काउंसिल मीट हुई. हर महिला को उम्मीद थी कि फाइनेंस मिनिस्टर घोषणा करेंगे कि सैनिटरी नेपकिन को टैक्स फ्री कर दिया गया है. लेकिन जब उनसे सैनिटरी नेपकिन पर सवाल पूछा गया तो उनका जवाब था- 'हम उसी फैसले पर अभी भी कायम हैं.'

हालांकि सैनिटरी नेपकिन पर टैक्स 14.5% को घटाकर 12% कर दिया गया है वहीं इंसुलीन पर 12% टैक्स था जिसे घटाकर 5% कर दिया गया. इस पर रंजना का कहना है कि अगर इंसुलीन पर टैक्स 5% हो सकता है तो सैनिटरी नेपकिन पर क्यों नहीं? सिगरेट, शराब जैसी चीजों पर ज्यादा टैक्स लगाया जाए जो स्वास्थ के लिए हानिकारक है.

महिलाओं का मेन्स्ट्रुअल साइकल 39 साल तक हर महीने 3 से 5 दिन का होता है. दिल्ली यूनिवर्सिटी में एबीवीपी सपोर्टर प्रेरणा का कहना है- 'क्या प्राकृतिक रूप से शारीरिक गतिविधि के लिए भी टैक्स लगाना सही है? सैनिटरी नेपकिन पर टैक्स लगाना ठीक नहीं. मैं एबीवीपी से हूं, अगर जरूरी समान पर भी टैक्स लगाया जाए तो कोई सपोर्ट नहीं मिल पाएगा. एक तरफ आप बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा लगाते हो कृप्या उसको सिद्ध भी करके दिखाओ.'

NESCO की स्टडी के मुताबिक, भारत में पीरियड्स आने के बाद 20% स्टूडेंट्स स्कूल जाना छोड़ देती हैं. महिला कार्यकर्ता एनी राजा का कहना है- 'गांवो में हर महीने लड़कियां स्कूल जाना छोड़ रही हैं. सैनिटरी नेपकिन पर 12%...

'सोने पर 3% टैक्स और सैनिटरी नेपकिन पर 12%. कृपया अपने कंगन, सिंदूर और अन्य चीजें अपने साथ रखें. इसमें कोई उदारता नहीं है. स्वास्थ्य अधिक महत्वपूर्ण है' ये कहा महिला कार्यकर्ता रंजना कुमारी ने, जिन्होंने सैनिटरी नेपकिन को टैक्स फ्री कराने की जंग छेड़ी. रंजना फाइनेंस मिनिस्टर से लगातार संपर्क में थी. यहां तक कि उन्होंने 3 लाख महिलाओं के हस्ताक्षर के साथ सैनिटरी नेपकिन को टैक्स फ्री करने की पिटिशन भी दायर की थी.

11 जून तो जीएसटी की काउंसिल मीट हुई. हर महिला को उम्मीद थी कि फाइनेंस मिनिस्टर घोषणा करेंगे कि सैनिटरी नेपकिन को टैक्स फ्री कर दिया गया है. लेकिन जब उनसे सैनिटरी नेपकिन पर सवाल पूछा गया तो उनका जवाब था- 'हम उसी फैसले पर अभी भी कायम हैं.'

हालांकि सैनिटरी नेपकिन पर टैक्स 14.5% को घटाकर 12% कर दिया गया है वहीं इंसुलीन पर 12% टैक्स था जिसे घटाकर 5% कर दिया गया. इस पर रंजना का कहना है कि अगर इंसुलीन पर टैक्स 5% हो सकता है तो सैनिटरी नेपकिन पर क्यों नहीं? सिगरेट, शराब जैसी चीजों पर ज्यादा टैक्स लगाया जाए जो स्वास्थ के लिए हानिकारक है.

महिलाओं का मेन्स्ट्रुअल साइकल 39 साल तक हर महीने 3 से 5 दिन का होता है. दिल्ली यूनिवर्सिटी में एबीवीपी सपोर्टर प्रेरणा का कहना है- 'क्या प्राकृतिक रूप से शारीरिक गतिविधि के लिए भी टैक्स लगाना सही है? सैनिटरी नेपकिन पर टैक्स लगाना ठीक नहीं. मैं एबीवीपी से हूं, अगर जरूरी समान पर भी टैक्स लगाया जाए तो कोई सपोर्ट नहीं मिल पाएगा. एक तरफ आप बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा लगाते हो कृप्या उसको सिद्ध भी करके दिखाओ.'

NESCO की स्टडी के मुताबिक, भारत में पीरियड्स आने के बाद 20% स्टूडेंट्स स्कूल जाना छोड़ देती हैं. महिला कार्यकर्ता एनी राजा का कहना है- 'गांवो में हर महीने लड़कियां स्कूल जाना छोड़ रही हैं. सैनिटरी नेपकिन पर 12% टैक्स लगाना PA और NDA सरकार का खोखलापन उजाकर करता है. जब व्यक्ति संस्कृति और परंपरा की बात करता है तो मासिक धर्म पर बात होना भी उतना ही जरूरी है. अगर सरकार को महिलाओं और लड़कियों का हर तरह से विकास करना है तो उन्हें स्वास्थ पर भी जोर देना होगा.'

वहीं कुछ महिलाएं भूख हड़ताल पर बैठी है और फाइनेंस मिनिस्टर से मिलने के लिए धरने पर बैठी है. उनका कहना है कि सिंदूर, बिंदी और कंगन पर टैक्स लगाना ठीक है क्योंकि वो महिला की इच्छा है कि उसे पहनना है या नहीं. पर सैनिटरी नेपकिन पर टैक्स क्यो. ये महिलाओं की इच्छा नहीं बल्कि बहुत जरूरी है.

GST 1 जुलाई से लागू होगा. अभी तक सैनिटरी नेपकिन पर 12% टैक्स रखा गया है. जबकि सैनिटरी नेपकिन को हेल्थ सेक्टर के स्लैब में रखा जाना चाहिए और टैक्स फ्री करना चाहिए. क्योंकि सरकार को पता होना चाहिए कि ये महिलाओं की इच्छा नहीं बल्कि जरूरत है.

ये भी पढ़ें-

जीएसटी का सबसे ज्‍यादा स्‍वागत काले धन वाले करेंगे !

जीएसटी: हर कंज्‍यूमर को करनी चाहिए ये तैयारी...

घर खरीदने की सोच रहे हैं तो पहले जान लें GST के बाद क्या होगा....

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲