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समलैंगिकता की आजादी मना रहा अमेरिका, हम भी मनाएं

    • चंदन कुमार
    • Updated: 27 जून, 2015 07:23 PM
  • 27 जून, 2015 07:23 PM
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अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दे दी है. हमारे-आपके लिए शायद यह 'छी-छी, थू-थू' का विषय हो सकता है, लेकिन पूरा अमेरिका इस समय उत्सव मना रहा है.

अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दे दी है. यह एक ऐतिहासिक फैसला है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अमेरिका के सभी 50 राज्यों में समलैंगिकों को विवाह करने की आजादी होगी. हमारे-आपके लिए शायद यह 'छी-छी, थू-थू' का विषय हो सकता है, लेकिन पूरा अमेरिका इस समय उत्सव मना रहा है.

रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगाता वॉइट हाउस

अमेरिका का राष्ट्रपति भवन वॉइट हाउस रंग-बिरंगी रोशनी से नहा उठा है. फेसबुक और यूट्यूब इसे सेलिब्रेट कर रहे हैं. हो भी क्यों नहीं. इस अधिकार की मांग वहां वर्षों से की जा रही थी. कुछ समय पहले तक इस कम्युनिटी के लोगों को छिपकर रहना पड़ता था. जो समाज के सामने खुद को स्वीकार करते थे, उन्हें बीमार और मानसिक रोगी बताया जाता था. आखिर उनके लिए यह उत्सव तो है ही. यही ईद और यही क्रिसमस है उनके लिए.

राष्ट्रपति बराक ओबामा को कहना पड़ गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हमारा देश परिपूर्णता की ओर एक कदम और बढ़ा है. यूट्यूब स्पॉटलाइट ने इस ऐतिहासिक फैसले पर #ProudToLove नाम से एक वीडियो भी अपलोड किया है. इस वीडियो को पिछले 21 घंटे में 21 लाख लोग देख चुके हैं. यह वीडियो अलग-अलग समलैंगिक लोगों के द्वारा अपलोड किए गए वीडियो का एकीकृत रूप है.     

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अमेरिका में यह मुद्दा इतना बड़ा था कि इसको लेकर कई चुनावों की पटकथा लिखी गई. हार्वी बर्नार्ड मिल्क (22 मई 1930 - 27 नवंबर 1978) अमेरिका के पहले ऐसे राजनेता हुए, जिन्होंने खुलकर स्वीकार किया था कि वह गे हैं. उन्होंने इस मुद्दे के लिए खूब संघर्ष किया और इसे अपना चुनावी कैंपेन बनाकर सैन फ्रांसिस्को बोर्ड ऑफ सुपरवाइजर्स का...

अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दे दी है. यह एक ऐतिहासिक फैसला है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अमेरिका के सभी 50 राज्यों में समलैंगिकों को विवाह करने की आजादी होगी. हमारे-आपके लिए शायद यह 'छी-छी, थू-थू' का विषय हो सकता है, लेकिन पूरा अमेरिका इस समय उत्सव मना रहा है.

रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगाता वॉइट हाउस

अमेरिका का राष्ट्रपति भवन वॉइट हाउस रंग-बिरंगी रोशनी से नहा उठा है. फेसबुक और यूट्यूब इसे सेलिब्रेट कर रहे हैं. हो भी क्यों नहीं. इस अधिकार की मांग वहां वर्षों से की जा रही थी. कुछ समय पहले तक इस कम्युनिटी के लोगों को छिपकर रहना पड़ता था. जो समाज के सामने खुद को स्वीकार करते थे, उन्हें बीमार और मानसिक रोगी बताया जाता था. आखिर उनके लिए यह उत्सव तो है ही. यही ईद और यही क्रिसमस है उनके लिए.

राष्ट्रपति बराक ओबामा को कहना पड़ गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हमारा देश परिपूर्णता की ओर एक कदम और बढ़ा है. यूट्यूब स्पॉटलाइट ने इस ऐतिहासिक फैसले पर #ProudToLove नाम से एक वीडियो भी अपलोड किया है. इस वीडियो को पिछले 21 घंटे में 21 लाख लोग देख चुके हैं. यह वीडियो अलग-अलग समलैंगिक लोगों के द्वारा अपलोड किए गए वीडियो का एकीकृत रूप है.     

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अमेरिका में यह मुद्दा इतना बड़ा था कि इसको लेकर कई चुनावों की पटकथा लिखी गई. हार्वी बर्नार्ड मिल्क (22 मई 1930 - 27 नवंबर 1978) अमेरिका के पहले ऐसे राजनेता हुए, जिन्होंने खुलकर स्वीकार किया था कि वह गे हैं. उन्होंने इस मुद्दे के लिए खूब संघर्ष किया और इसे अपना चुनावी कैंपेन बनाकर सैन फ्रांसिस्को बोर्ड ऑफ सुपरवाइजर्स का चुनाव जीता था. दुर्भाग्य कि इसी कारण उनकी हत्या भी कर दी गई थी.

कुछ समलैंगिक लोग भारत में भी खुलकर सामने आने लगे हैं. गे-लेस्बियन परेड भी होते हैं. लेकिन यहां का समाज अभी भी उन्हें आम इंसान मानने को तैयार नहीं हुआ है. धर्म गुरुओं को इस रिश्ते पर सबसे ज्यादा आपत्ति है. उन्हें यह समझना चाहिए कि क्रिश्चियनिटी में भी आपसे कम दकियानूसी लोग नहीं भरे हैं. लेकिन कानून बनने के बाद अब उनकी अहमियत भी कम होती जाएगी. आप समय रहते इसे स्वीकार कर लें. यह दो लोगों की आपसी समझ है. उसमें जबरन अपनी नाक मत घुसेड़ें. और कम से कम धर्म की नाक तो बिल्कुल नहीं. आप इस मुद्दे को लेकर नकारात्मक हवा न दें तो समाज धीरे-धीरे इसके लिए तैयार हो रहा है और हो जाएगा.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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