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मोहब्बत की नई मल्लिका जापान की राजकुमारी माको

    • श्रीधर राव
    • Updated: 19 मई, 2017 08:04 PM
  • 19 मई, 2017 08:04 PM
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जापानी की 25 साल की राजकुमारी माको, इतिहास के किरदारों से बहुत ज्यादा खुशनसीब है जिन्होंने प्यार के सामने राजमहल की परंपराओं को छोड़ दिया, ठुकरा दिया.

इस देश में प्यार की ताकत देखिए फिल्म बाहुबली-2 ने अपनी प्रेम कहानी के दम पर सिर्फ 19 दिन में डेढ़ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कर ली. फिल्म का नायक अपनी प्रेमिका के लिए अपनी राजगद्दी को ठोकर मार देता है. सिर्फ अपने वचन के लिए, अपने प्यार को अपना बनाने के लिए वो अपनी प्रेमिका के लिए अपने शत्रु का नौकर बनना स्वीकार कर लेता है.

भारतीय फिल्मों में प्रेम का तड़का उतना ही पुराना है जितना इसका इतिहास. बाहुबली-2 की प्रेम कहानी में कोई नवीनता नहीं थी, ऐसा हम सैकड़ों फिल्मों में पहले भी देख चुके हैं. लेकिन शायद प्रेम में सुख की निरंतरता कुछ ऐसी है कि किरदारों के बदल जाने के साथ ही वही पुरानी कहानी, वही पुराने गीत वही पुरानी परिस्थितियां नये शब्दों के साथ नये सुरों से संवर कर एक नयी ताजगी का अहसास करा देती हैं.

इधर भारत के लोग सिल्वर स्क्रीन पर बाहुबली को अपनी देवसेना के लिए राजगद्दी छोड़ते देख रहे हैं तो उधर जापान में रियल लाइफ में वहां की जनता ऐसा होते हुए देख रही है. 25 साल की जापान की राजकुमारी माको अपने प्यार को पाने के लिए शाही रूतबे को छोड़ रही है, क्योंकि जापान के राजघराने के नियमानुसार अगर शाही परिवार का कोई सदस्य किसी आम आदमी से शादी करता है तो उसे राजघराना छोड़ना होता है.

जापान की राजकुमारी माको

माको की मुलाकात पांच साल पहले अपने साथ पढ़ने वाले केई से होती है और फिर दोनों के बीच मोहब्बत के फूल कुछ यूं गुलजार होते हैं कि राजकुमारी माको एक साधारण इंसान केई के लिए अपना महल छोड़ने का फैसला ले लेती हैं. राजकुमारी माको अपने शाही रुतबे को छोड़ने में पल भर की...

इस देश में प्यार की ताकत देखिए फिल्म बाहुबली-2 ने अपनी प्रेम कहानी के दम पर सिर्फ 19 दिन में डेढ़ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कर ली. फिल्म का नायक अपनी प्रेमिका के लिए अपनी राजगद्दी को ठोकर मार देता है. सिर्फ अपने वचन के लिए, अपने प्यार को अपना बनाने के लिए वो अपनी प्रेमिका के लिए अपने शत्रु का नौकर बनना स्वीकार कर लेता है.

भारतीय फिल्मों में प्रेम का तड़का उतना ही पुराना है जितना इसका इतिहास. बाहुबली-2 की प्रेम कहानी में कोई नवीनता नहीं थी, ऐसा हम सैकड़ों फिल्मों में पहले भी देख चुके हैं. लेकिन शायद प्रेम में सुख की निरंतरता कुछ ऐसी है कि किरदारों के बदल जाने के साथ ही वही पुरानी कहानी, वही पुराने गीत वही पुरानी परिस्थितियां नये शब्दों के साथ नये सुरों से संवर कर एक नयी ताजगी का अहसास करा देती हैं.

इधर भारत के लोग सिल्वर स्क्रीन पर बाहुबली को अपनी देवसेना के लिए राजगद्दी छोड़ते देख रहे हैं तो उधर जापान में रियल लाइफ में वहां की जनता ऐसा होते हुए देख रही है. 25 साल की जापान की राजकुमारी माको अपने प्यार को पाने के लिए शाही रूतबे को छोड़ रही है, क्योंकि जापान के राजघराने के नियमानुसार अगर शाही परिवार का कोई सदस्य किसी आम आदमी से शादी करता है तो उसे राजघराना छोड़ना होता है.

जापान की राजकुमारी माको

माको की मुलाकात पांच साल पहले अपने साथ पढ़ने वाले केई से होती है और फिर दोनों के बीच मोहब्बत के फूल कुछ यूं गुलजार होते हैं कि राजकुमारी माको एक साधारण इंसान केई के लिए अपना महल छोड़ने का फैसला ले लेती हैं. राजकुमारी माको अपने शाही रुतबे को छोड़ने में पल भर की भी देरी नहीं करती, उन्हें कुछ और सोचना नहीं पड़ता.

आखिर इस प्यार में ऐसा क्या है कि महल, मिट्टी सा लगने लगता है, शाही रुतबा, मोहब्बत के अहसासों के सामने बौना हो जाता है. एक प्यार को पाने के लिए सारा सुख, सारा वैभव, सारी विलासिता छोड़ने की धुन कैसे सवार हो जाती है? प्रेमियों ने तो वक्त पड़ने पर खुद के वजूद को छोड़ दिया है. इतिहास ऐसी प्रेमकहानियों से भरा पड़ा है कि जरूरत पड़ने पर आशिकों ने प्राण तक छोड़ दिया और बदले में प्रेम को पकड़ लिया.

राजकुमारी माको और उनके प्रेमी केईजिन संतों ने प्रेम को समझा वो कहते हैं कि "ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय", किसी कवि ने समझा तो लिखा "मोहब्बत अहसासों की पावन सी कहानी है, कभी कबिरा दीवाना था तो कभी मीरा दीवानी है". इसे किसी शायर ने समझा तो लिखा 'ये तो एक आग का दरिया है और डूब के जाना है'. किसी दार्शनिक ने प्रेम का समझा तो कहा कि ये तो दो जिस्मों के एक जान होने का रसायन शास्त्र है.

वाकई प्रेम के ऐसे अनुभव को पाने के मामले में जापान की राजकुमारी माको को खुशनसीब ही माना जाएगा क्योंकि वो सिर्फ राजसी रूतबा छोड़ रही है और बदले में वो केई के दिल की रानी बन जाएगी. भारत में ये सुख तो राधा रानी को भी नहीं मिला. कृष्ण और राधा एक होने को तरसते रह गये. लेकिन द्वारका की गद्दी को संभालने के चक्कर में कृष्ण से वृंदावन की राधा की छूट गईं.

सीता ने राम को पाने के लिए नंगे पैर चौदह साल का वनवास झेला, सीता और राम की जोड़ी आदर्श तो बन गई लेकिन राजमहल की मर्यादा निभाने के लिए जंगल में जाकर पुत्रों को जनम देना पड़ा. मोहब्बत में शाही रुतबा जान ले लेता है राजस्थान की हाड़ा रानी ने अपना सिर काट पर राजा को तश्तरी में भेज दिया ताकि मोहब्बत उनकी ताकत बन जाये और वो राजधर्म का पालन कर सकें. काश! औरंगजेब की बेटी जैबुन्निसा अपने प्रेमी, जो उनके पिता के सिपहसलार थे, उस अकलाक खान के लिए महल छोड़ने का साहस जुटा पाती लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकीं और बाकी की जिंदगी अपने प्रेमी की कब्र पर लोटते हुए गुजार दी.

तो प्यार में राजमहल की बाधा सदियों पुरानी है जिन्होंने राजमहल का मोह पाला वो ताउम्र अकेले महल की दीवारों में सिर पीटते अपने प्रेमी की याद में घुट-घुट कर जिये. और जिन लोगों ने महल छोड़ दिया वो प्रेम को प्रमाणित कर सके. वाकई जापानी की 25 साल की राजकुमारी माको इतिहास के इन किरदारों से बहुत ज्यादा खुशनसीब है जिन्होंने केई के प्यार के सामने राजमहल की परंपराओं को छोड़ दिया, ठुकरा दिया. अब वो प्रेम की उस दुनिया में प्रवेश करने वाली है जिसमें वो सिर्फ दुनिया को देने की स्थिति में है.

माको असली महारानी तो अब बनेंगी क्योंकि दुनिया प्यार की भूखी है, प्यार को तरस रही है और माको अब इस मोहब्बत के सल्तनत की मल्लिका है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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