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पाकिस्तानी स्‍कूलों के सिलेबस में शामिल है हिंदुओं से नफरत

    • शुभम गुप्ता
    • Updated: 05 अगस्त, 2016 03:31 PM
  • 05 अगस्त, 2016 03:31 PM
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'हिंदू धर्म कभी भी अच्छी चीज़ें नहीं सिखाता है. हिंदू धर्म औरतों की इज्ज़त नहीं करता.' ये कैसी शिक्षा दे रहे हैं पाकिस्तानी स्कूल?

25 साल का कसाब भारत में खूनखराबा करने क्‍यों चला आया? दस दिन पहले कश्‍मीर में गिरफ्तार हुआ 21 साल का फिदाईन बहादुर अली लाहौर का रहने वाला है. इतनी कम उम्र में उनके दिमाग में ऐसा क्‍या भर दिया जाता है कि वे भारत के खिलाफ नफरत से भर जाते हैं. इस नफरत को जवाब यहां है-

यूं तो पाकिस्तान से ऐसी कई खबरें आई हैं कि पाकिस्तान में बच्चों को जेहाद का पाठ पढ़ाया जाता है, मगर आपको हैरानी होगी कि पाकिस्तान के स्कूलों में जेहाद ही नहीं बल्कि हिंदुओं को इस्लाम का दुश्मन भी बताया जाता है.

ज़रा सोचिये एक हमारा देश है हिंदुस्तान, जहां बच्चों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि हिंदु, मुस्लिम, सिख, ईसाई आपस में है भाई-भाई. जहां बच्चों को कभी भी किसी भी धर्म, और मजहब के बारे में कभी भी कोई गलत तालीम नहीं दी जाती. हमेशा हर धर्म की इज्ज़त करना सिखाया जाता है. मगर पाकिस्तान में ऐसा नहीं है, वहां बच्चों को चौथी कक्षा से ही हिंदुओं के खिलाफ भड़काना शुरु कर दिया जाता है. उन्हें सिखाया जाता है कि हिंदू, इस्लाम के दुश्मन हैं.

 हिंदुओं को इस्लाम का दुश्मन बताया जाता है

पाकिस्तान में इस्लाम का पाठ पढ़ाया जाए और इस्लाम को सभी धर्मों से ऊपर भी बताया जाए तो भी किसी को कोई आपत्ति नहीं. हर धर्म खुद को श्रेष्ठ ही बतलाता है, मगर किसी और धर्म को नीचा बताना, ये किस तरह की पढ़ाई करवा रहा है पाकिस्तान?

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25 साल का कसाब भारत में खूनखराबा करने क्‍यों चला आया? दस दिन पहले कश्‍मीर में गिरफ्तार हुआ 21 साल का फिदाईन बहादुर अली लाहौर का रहने वाला है. इतनी कम उम्र में उनके दिमाग में ऐसा क्‍या भर दिया जाता है कि वे भारत के खिलाफ नफरत से भर जाते हैं. इस नफरत को जवाब यहां है-

यूं तो पाकिस्तान से ऐसी कई खबरें आई हैं कि पाकिस्तान में बच्चों को जेहाद का पाठ पढ़ाया जाता है, मगर आपको हैरानी होगी कि पाकिस्तान के स्कूलों में जेहाद ही नहीं बल्कि हिंदुओं को इस्लाम का दुश्मन भी बताया जाता है.

ज़रा सोचिये एक हमारा देश है हिंदुस्तान, जहां बच्चों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि हिंदु, मुस्लिम, सिख, ईसाई आपस में है भाई-भाई. जहां बच्चों को कभी भी किसी भी धर्म, और मजहब के बारे में कभी भी कोई गलत तालीम नहीं दी जाती. हमेशा हर धर्म की इज्ज़त करना सिखाया जाता है. मगर पाकिस्तान में ऐसा नहीं है, वहां बच्चों को चौथी कक्षा से ही हिंदुओं के खिलाफ भड़काना शुरु कर दिया जाता है. उन्हें सिखाया जाता है कि हिंदू, इस्लाम के दुश्मन हैं.

 हिंदुओं को इस्लाम का दुश्मन बताया जाता है

पाकिस्तान में इस्लाम का पाठ पढ़ाया जाए और इस्लाम को सभी धर्मों से ऊपर भी बताया जाए तो भी किसी को कोई आपत्ति नहीं. हर धर्म खुद को श्रेष्ठ ही बतलाता है, मगर किसी और धर्म को नीचा बताना, ये किस तरह की पढ़ाई करवा रहा है पाकिस्तान?

ये भी पढ़ें- कट्टरपंथी मदरसे में तैयार हुआ पाकिस्तान का फिजिक्स!

चौथी कक्षा से ही शुरु हो जाता है हिंदुओं के खिलाफ भड़काने का काम

- कक्षा 4 के बच्चों की किताबों में लिखा गया है कि 'हिंदू धर्म कभी भी अच्छी चीज़ें नहीं सिखाता है. हिंदू धर्म औरतों की इज्ज़त नहीं करता.'

- कक्षा 5 के सिलेबस में लिखा गया है कि 'हिंदू हमेशा ही इस्लाम का दुश्मन होता है.'

- कक्षा 6 में पढाया जाता है कि 'हिंदु बड़े ही छोटे और अंधेरे वाले घरों में रहते हैं, बाल विवाह उनमें आम बात है.'

पाकिस्‍तानी स्‍कूल के सिलेबस पर एक नजर-

 
 

ये भी पढ़ें- 10 कारण, मदरसों से क्‍यों हो इस्‍लामिक रिफॉर्म की शुरुआत!

बचपन से ही गलत मानसिकता की शिकार

स्कूल जाने वाले बच्चों की उम्र ऐसी होती है कि आप जो सिखाते है वो बच्चों के दिमाग में हमेशा के लिये रह जाता है. जब पाकिस्तान में बचपन से ही बच्चे को हिंदुओं के खिलाफ भड़काया जाएगा और गलत शिक्षा दी जाएगी तो वो बड़ा होकर क्या सोचेगा और क्या करेगा आपको पता ही है. वो यही सोचेगा कि हिंदू, इस्लाम का दुश्मन है और मुझे उसे मारना है.

तो क्या कसाब भी इसी शिक्षा का उदाहरण है ?

कसाब एक 18-20 साल का नौजवान लड़का था. सारा देश उसे आतंकी के नाम से जानता है. मगर क्या कसाब को भी बचपन से पाकिस्तानी स्कूलों में यही सिखाया गया था कि हिंदू, इस्लाम के दुश्मन है? और उसने हिंदुस्तान में आते ही अंधाधुंध गोलियां चलाना शुरु कर दिया. क्या 26/11 हमले की ज़िम्मेदार पाकिस्तानी स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा है? सवाल उठना तो लाज़मी है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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