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समाज

एक चिट्ठी रॉकी यादव की मां मनोरमा देवी के नाम...

    • स्वाति अर्जुन
    • Updated: 12 मई, 2016 03:32 PM
  • 12 मई, 2016 03:32 PM
offline
सवाल हत्या के आरोपी 20 वर्षीय रॉकी यादव से किया जाए, या उसकी जेडीयू एमएलसी मां मनोरमा देवी से. आखिर उन्होंने अपने बेटे को कैसी परवरिश दी है?

आदरणीय मनोरमा जी,

प्रणाम! आप उम्र में मुझसे बड़ी हैं इसलिए आपको प्रणाम कह रही हूं, क्योंकि हमारे यहां बिहार में अपने से बड़ों को हमेशा आप कहकर इज्ज़त से ही संबोधित किया जाता है, फिर चाहे वो व्यक्ति सामाजिक हैसियत में चाहे कितना भी दयनीय या निकृष्ट ही क्यों न हो,  आप तो फिर भी हैसियत में काफी बड़ी हैं. सत्तारूढ़ दल की एमएलसी, पति बाहुबली नेता... बेटा रॉक-स्टार. बस एक औरत को और क्या चाहिए होता है, इसके सिवा..जीवन काटने के लिए.

मैं भी आप ही के राज्य की बेटी और बहू हूं, हज़ारों किमी दूर परदेस में रहकर कुछ करने की कोशिश कर रही हूं, इस कोशिश में हमेशा आप जैसी महिलाओं को याद और सलाम करती हूं, लेकिन यक़ीन मानिए... पिछले तीन-चार दिनों में आपसे जुड़ी जो ख़बरें हमें मिल रही हैं... उससे मैं दुविधा में हूं; आपसे सीखूं तो क्या... और आपको शाबासी दूं तो किस बात के लिए. आपने तो ऐसी कोई उम्मीद नहीं छोड़ी कि प्रदेश की महिलाएं आप पर गर्व करें.

महिला होने के नाते, वो भी पिछड़ी जाति से आपको राजनीति में 33% आरक्षण का फायदा मिला और आप एमएलसी बन गईं. नीतीश कुमार जैसे समाजवादी नेता आपको अपनी पार्टी और सरकार में जगह देते हैं, लेकिन जब आपको ढूंढने के लिए आपके घर की तलाशी ली जाती है तो वहां से विदेशी शराब की बोतलें ज़ब्त की जाती हैं, जिसकी सज़ा 10 सालों तक कैद की भी हो सकती है.

आप महिला नेता होकर भी ऐसी ग़लती भला कैसे कर सकती हैं? जब आपके सबसे बड़े नेता और प्रदेश के मुख़्यमंत्री शराब पर पाबंदी लगा चुके हैं तो आप इस आदेश का उल्लंघन कैसे कर सकती हैं?  कल को आप किस दम पर पार्टी से दोबारा टिकट की मांग करेंगी, हो सकता है कि आप कहें कि शराब आपके बेटे या पति लाये थे लेकिन घर तो आपके नाम पर है, सरकार की नुमाईंदगी तो आप कर रही हैं तो जवाबदेही भी आपकी ही बनती है. कितनी शर्मिंदगी की बात है?

आपका बेटा रॉकी जिसका नाम ही किसी फिल्मी थर्ड ग्रेड ख़लनायक से मिलता जुलता है, वो एक किशोर को सिर्फ़ इसलिए मार देता है क्योंकि उसने उसकी...

आदरणीय मनोरमा जी,

प्रणाम! आप उम्र में मुझसे बड़ी हैं इसलिए आपको प्रणाम कह रही हूं, क्योंकि हमारे यहां बिहार में अपने से बड़ों को हमेशा आप कहकर इज्ज़त से ही संबोधित किया जाता है, फिर चाहे वो व्यक्ति सामाजिक हैसियत में चाहे कितना भी दयनीय या निकृष्ट ही क्यों न हो,  आप तो फिर भी हैसियत में काफी बड़ी हैं. सत्तारूढ़ दल की एमएलसी, पति बाहुबली नेता... बेटा रॉक-स्टार. बस एक औरत को और क्या चाहिए होता है, इसके सिवा..जीवन काटने के लिए.

मैं भी आप ही के राज्य की बेटी और बहू हूं, हज़ारों किमी दूर परदेस में रहकर कुछ करने की कोशिश कर रही हूं, इस कोशिश में हमेशा आप जैसी महिलाओं को याद और सलाम करती हूं, लेकिन यक़ीन मानिए... पिछले तीन-चार दिनों में आपसे जुड़ी जो ख़बरें हमें मिल रही हैं... उससे मैं दुविधा में हूं; आपसे सीखूं तो क्या... और आपको शाबासी दूं तो किस बात के लिए. आपने तो ऐसी कोई उम्मीद नहीं छोड़ी कि प्रदेश की महिलाएं आप पर गर्व करें.

महिला होने के नाते, वो भी पिछड़ी जाति से आपको राजनीति में 33% आरक्षण का फायदा मिला और आप एमएलसी बन गईं. नीतीश कुमार जैसे समाजवादी नेता आपको अपनी पार्टी और सरकार में जगह देते हैं, लेकिन जब आपको ढूंढने के लिए आपके घर की तलाशी ली जाती है तो वहां से विदेशी शराब की बोतलें ज़ब्त की जाती हैं, जिसकी सज़ा 10 सालों तक कैद की भी हो सकती है.

आप महिला नेता होकर भी ऐसी ग़लती भला कैसे कर सकती हैं? जब आपके सबसे बड़े नेता और प्रदेश के मुख़्यमंत्री शराब पर पाबंदी लगा चुके हैं तो आप इस आदेश का उल्लंघन कैसे कर सकती हैं?  कल को आप किस दम पर पार्टी से दोबारा टिकट की मांग करेंगी, हो सकता है कि आप कहें कि शराब आपके बेटे या पति लाये थे लेकिन घर तो आपके नाम पर है, सरकार की नुमाईंदगी तो आप कर रही हैं तो जवाबदेही भी आपकी ही बनती है. कितनी शर्मिंदगी की बात है?

आपका बेटा रॉकी जिसका नाम ही किसी फिल्मी थर्ड ग्रेड ख़लनायक से मिलता जुलता है, वो एक किशोर को सिर्फ़ इसलिए मार देता है क्योंकि उसने उसकी गाड़ी ओवरटेक कर दी? कैसे संस्कार दिए हैं आपने अपने बेटे को, जो खुद से आगे निकल जाने वाले को ज़िंदा बर्दाश्त नहीं कर पाता है? अब ऐसी हरकत कोई एक दिन में तो विकसित होती नहीं, इन 20-22 सालों में ऐसे कई मौके आए होंगे जब आपको ये दिखा होगा कि आपका बेटा, एक इंसान कम-बाहुबली शैतान ज्य़ादा बन रहा है....तब एक मां होने के नाते आपने उसे रोका क्यों नहीं? रोकना छोड़िए आप उसे हथियारों और महंगी गाड़ियों का खिलौना मुहैया कर रहीं थी जो उसके भीतर पल रही इस सोच को और पैना कर रहा था, उसे दबाने या नष्ट करने के बजाय. आप यहां भी फेल हुईं.

बेटा हत्या कर भाग जाता है, आप उसे छुपाती फिरती हैं... कैमरे के सामने ख़ुद के भी मां होने की दुहाई देती हैं. कैसी मां... वो जो पहले बेटे का गुनाह़ छिपाती रही, फिर ख़ुद छिपती-छुपाती फिर रही है. होना तो ये चाहिए था कि एक मां होने के नाते आप ख़ुद अपने बेटे को पुलिस के सुपुर्द करतीं. लेकिन शायद आपके लिए ये सब इतना आसान नहीं था, क्योंकि पिछले 20 सालों में आप जिस बाहुबली नेता की पत्नी रही हैं, उसने आपको बहुत कुछ दिया. नाम, पैसा, रुतबा, दबंगई, कानून को खिलौना समझने की भूल और दूसरे के बेटों को सिर्फ़ दो पैरों पर चलने वाला जानवर समझने की हिमाक़त. आप चाहतीं तो जो अधिकार, जो ताक़त आपको इस देश के संविधान, इस समाज के लोगों और उनके विश्वास ने दिया था, उसका सही इस्तेमाल करतीं....लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हुआ. आपने खुद को मिली हर ताक़त का बेजा इस्तेमाल किया, एक बार नहीं...बार..बार.

मुझे ये कहने में ज़रा भी तकलीफ़ नहीं हो रही है कि सबकुछ पाकर भी आप एक बेहद असफल महिला हैं, आपने हम महिलाओं को शर्मिंदा होने के अलावा, कुछ भी नहीं दिया है. न तो आप एक अच्छी मां बन सकीं... न पति को सही-ग़लत समझाने वाली पत्नी और न ही एक अच्छी नेता. अब जबकि आप अंडरग्राउंड हैं तो उम्मीद करती हूं कि आपकी सोच बदलेगी और आप पुलिस के सामने सरेंडर कर अपनी ग़लतियों की लंबी फेहिरस्त को यहीं रोक देंगी.

आप ही की राज्य की,

एक महिला नागरिक.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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