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हिरोशिमा पर किस आतंकी ने बम गिराया...

    • परवेज़ सागर
    • Updated: 06 अगस्त, 2018 10:50 AM
  • 06 अगस्त, 2015 04:08 PM
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अमेरिकियों ने नरक मचा दिया था जब उनके दो टावरों पर बमबारी की गई थी. लेकिन 70 साल पहले उन्होंने 2 बमों के साथ 2 शहरों को तबाह कर दिया था. लाखों लोगों को मार डाला था.

"बम गिराने का फैसला एक महान फैसला था. उसने विश्वयुद्ध को खत्म कर दिया. दोनों ओर होने वाली हजारों-लाखों की संभावित जनहानि को रोका. शायद जापान अमेरिका पर हमला करता और उससे कई लोगों की जान जाती."

-हेनरी ट्रूमेन, अमेरिकी राष्ट्रपति, जिन्होंने परमाणु हमले का आदेश दिया.

***

"राष्ट्रपति की माफी मांगने की कोई योजना नहीं थी. राष्ट्रपति की यात्रा भी यही बताती है."

-विकीलीक्स, व्हाइट हाउस की सितंबर 2009 की केबल्स से, जब ओबामा ने जापान दौरा किया था.

कितने रुढ़िवादी हैं अमेरिकी!! एक बार फिर अपनी महिमा में सभी अमेरिकी अपवाद हैं. आतंकवाद की परिभाषणा गढ़ने में जो भी किया जा सकता है, अमेरिकी वो कर सकते हैं. अमेरिकियों ने नरक मचा दिया था जब उनके दो टावरों पर बमबारी की गई थी. लेकिन 70 साल पहले उन्होंने 2 बमों के साथ 2 शहरों को तबाह कर दिया था. लाखों लोगों को मार डाला था और वे बिना नतीजा दशकों के साथ इस बात से सौदा करते आ रहे हैं, यह माने बिना कि उनसे कोई गलती हुई थी. उलटे वे यह बताने की कोशिश करते हैं कि उन्होंने सही काम किया था. उन्होंने वो किया था जो युद्ध रोकने के लिए "आवश्यक था." (जो बाद में युद्ध का औचित्य साबित करने के लिए इस्तेमाल किया गया मुख्य प्रचार वाक्य था) और वे चाहते हैं कि उन्हें इस काम के लिए नायक के तौर पर जाना जाए! खुशकिस्मती से, वे इस बात को मानने वाले अकेले ही हैं. अब वे किसी को मूर्ख नहीं बना सकते और हम उनकी फिल्मों में सही तथ्य देख सकते हैं.

अमेरिका ने एक ऐसे हथियार का इस्तेमाल किया जिसकी ज़रूरत नहीं थी. वे दूसरे तरीकों से जीत सकते थे. और इसी तर्क के आधार पर अमेरिका ने कई देशों पर हमला किया. सीआईए के ज़रिए कई तख्तापलट किए. यहां तक कि कुछ देशों में तानाशाहों को स्थापित करने में मदद की. (जैसे ग्रीक जुंटा 1967-1974). अगर किसी अन्य देश ने पहले परमाणु हथियारों का अविष्कार कर लिया होता तो क्या अमेरिका के खिलाफ उसका इस्तेमाल करना ठीक...

"बम गिराने का फैसला एक महान फैसला था. उसने विश्वयुद्ध को खत्म कर दिया. दोनों ओर होने वाली हजारों-लाखों की संभावित जनहानि को रोका. शायद जापान अमेरिका पर हमला करता और उससे कई लोगों की जान जाती."

-हेनरी ट्रूमेन, अमेरिकी राष्ट्रपति, जिन्होंने परमाणु हमले का आदेश दिया.

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"राष्ट्रपति की माफी मांगने की कोई योजना नहीं थी. राष्ट्रपति की यात्रा भी यही बताती है."

-विकीलीक्स, व्हाइट हाउस की सितंबर 2009 की केबल्स से, जब ओबामा ने जापान दौरा किया था.

कितने रुढ़िवादी हैं अमेरिकी!! एक बार फिर अपनी महिमा में सभी अमेरिकी अपवाद हैं. आतंकवाद की परिभाषणा गढ़ने में जो भी किया जा सकता है, अमेरिकी वो कर सकते हैं. अमेरिकियों ने नरक मचा दिया था जब उनके दो टावरों पर बमबारी की गई थी. लेकिन 70 साल पहले उन्होंने 2 बमों के साथ 2 शहरों को तबाह कर दिया था. लाखों लोगों को मार डाला था और वे बिना नतीजा दशकों के साथ इस बात से सौदा करते आ रहे हैं, यह माने बिना कि उनसे कोई गलती हुई थी. उलटे वे यह बताने की कोशिश करते हैं कि उन्होंने सही काम किया था. उन्होंने वो किया था जो युद्ध रोकने के लिए "आवश्यक था." (जो बाद में युद्ध का औचित्य साबित करने के लिए इस्तेमाल किया गया मुख्य प्रचार वाक्य था) और वे चाहते हैं कि उन्हें इस काम के लिए नायक के तौर पर जाना जाए! खुशकिस्मती से, वे इस बात को मानने वाले अकेले ही हैं. अब वे किसी को मूर्ख नहीं बना सकते और हम उनकी फिल्मों में सही तथ्य देख सकते हैं.

अमेरिका ने एक ऐसे हथियार का इस्तेमाल किया जिसकी ज़रूरत नहीं थी. वे दूसरे तरीकों से जीत सकते थे. और इसी तर्क के आधार पर अमेरिका ने कई देशों पर हमला किया. सीआईए के ज़रिए कई तख्तापलट किए. यहां तक कि कुछ देशों में तानाशाहों को स्थापित करने में मदद की. (जैसे ग्रीक जुंटा 1967-1974). अगर किसी अन्य देश ने पहले परमाणु हथियारों का अविष्कार कर लिया होता तो क्या अमेरिका के खिलाफ उसका इस्तेमाल करना ठीक रहता?

अच्छा हुआ कि सोवियत संघ इसका रहस्य जान गया और अन्य देशों के पास भी परमाणु हथियार आ गए. अगर केवल अमेरिका के पास ही परमाणु हथियार होते तो कौन जानता है कि वे कहां जाकर रुकते. हम सब शायद अब तक अमेरिकी बन गए होते. अब केवल एक बात उन्हें ठीक रखती है कि अब वे परमाणु क्षमता वाले अकेले नहीं हैं और भी देशों के पास ये हथियार हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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