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पाकिस्तान में हिंदू शादियों का कानूनी वजूद नहीं...

    • आईचौक
    • Updated: 31 जनवरी, 2016 11:37 AM
  • 31 जनवरी, 2016 11:37 AM
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पाकिस्तान में हिंदुओँ के लिए विवाह का कोई कानून न होने से लाखों अल्पसंख्यकों को जबर्दस्त परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन वर्षों की मांग के बावजूद सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है.

पाकिस्तान में हिंदुओं की दयनीय स्थिति के बारे संयुक्त राष्ट्र संघ से लेकर अमेरिका तक अपनी चिंता जता चुके हैं. लेकिन इसके बावजूद ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि पाकिस्तान सरकार हिंदुओं की स्थिति सुधारने की दिशा में कोई प्रयास कर रही है. इस बात को पाकिस्तान के प्रतिष्ठित अखबार डॉन में हाल में ही छपे संपादकीय से अच्छी तरह समझा जा सकता है.

डॉन ने 'हिंदू मैरिज बिल' नाम से लिखे अपने संपादकीय में पाकिस्तानी हिंदुओं के लिए विवाह कानून न होने से उन्हें होने वाली परेशानियों पर रोशनी डाली है. अखबार ने लिखा है कि देश के लाखों अल्पसंख्यकों के हितों के मुद्दे पर नेता बयान तो खूब देते हैं लेकिन वर्षों से की जारी मांग के बावजूद उनके लिए विवाह कानून पास कराने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है. आइए जानें अखबार ने विवाह कानून की गैरमौजूदगी के कारण पाकिस्तानी हिंदुओं को होने वाली किन परेशानियों को उजागर किया है.

विवाह कानून ने होने से हिंदुओं की स्थिति बदहालः

पाकिस्तान में हिंदुओं के विवाह के लिए कोई कानून न होने से देश के लाखों हिंदुओं को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ता है और उनके लिए सरकारी अधिकारियों के सामने अपने विवाह को वैध साबित कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है. सबसे खराब स्थिति तो हिंदू विधवाओं की होती है. इतना ही नहीं विवाह कानून की गैरमौजूदगी के कारण हिंदुओं को बैंक अकाउंट खुलवाने से लेकर वीजा बनवाने तक उन सभी सरकारी कामों को करना असंभव सा हो जाता है जहां वैवाहिक प्रमाणपत्रों की जरूरत पड़ती है.

एक मुश्किल और है. विवाह कानून न होने से हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण का रास्ता आसान हो जाता है. यह स्थिति तब है जबकि पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट भी हिंदू विवाह कानून को लागू किए जाने के लिए सरकार को कह चुकी है लेकिन फिर भी वहां की सरकार ने अभी तक इस मामले में कुछ नहीं किया है.

हालांकि बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनवाह में हिंदुओं के विवाह से जुड़े बिल पास हो गए...

पाकिस्तान में हिंदुओं की दयनीय स्थिति के बारे संयुक्त राष्ट्र संघ से लेकर अमेरिका तक अपनी चिंता जता चुके हैं. लेकिन इसके बावजूद ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि पाकिस्तान सरकार हिंदुओं की स्थिति सुधारने की दिशा में कोई प्रयास कर रही है. इस बात को पाकिस्तान के प्रतिष्ठित अखबार डॉन में हाल में ही छपे संपादकीय से अच्छी तरह समझा जा सकता है.

डॉन ने 'हिंदू मैरिज बिल' नाम से लिखे अपने संपादकीय में पाकिस्तानी हिंदुओं के लिए विवाह कानून न होने से उन्हें होने वाली परेशानियों पर रोशनी डाली है. अखबार ने लिखा है कि देश के लाखों अल्पसंख्यकों के हितों के मुद्दे पर नेता बयान तो खूब देते हैं लेकिन वर्षों से की जारी मांग के बावजूद उनके लिए विवाह कानून पास कराने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है. आइए जानें अखबार ने विवाह कानून की गैरमौजूदगी के कारण पाकिस्तानी हिंदुओं को होने वाली किन परेशानियों को उजागर किया है.

विवाह कानून ने होने से हिंदुओं की स्थिति बदहालः

पाकिस्तान में हिंदुओं के विवाह के लिए कोई कानून न होने से देश के लाखों हिंदुओं को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ता है और उनके लिए सरकारी अधिकारियों के सामने अपने विवाह को वैध साबित कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है. सबसे खराब स्थिति तो हिंदू विधवाओं की होती है. इतना ही नहीं विवाह कानून की गैरमौजूदगी के कारण हिंदुओं को बैंक अकाउंट खुलवाने से लेकर वीजा बनवाने तक उन सभी सरकारी कामों को करना असंभव सा हो जाता है जहां वैवाहिक प्रमाणपत्रों की जरूरत पड़ती है.

एक मुश्किल और है. विवाह कानून न होने से हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण का रास्ता आसान हो जाता है. यह स्थिति तब है जबकि पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट भी हिंदू विवाह कानून को लागू किए जाने के लिए सरकार को कह चुकी है लेकिन फिर भी वहां की सरकार ने अभी तक इस मामले में कुछ नहीं किया है.

हालांकि बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनवाह में हिंदुओं के विवाह से जुड़े बिल पास हो गए हैं लेकिन अभी भी पंजाब और सिंध जैसे हिंदू बहुल प्रान्तों ने इस कानून को पास नहूीं किया है. समस्या यह है कि कानून को लागू करने में होने वाली देरी से दशकों पुराना यह अन्याय बढ़ेगा. इससे अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के वहां के नेताओं के दावे का खोखलापन भी जाहिर होता है.

पाकिस्तान में आजादी के बाद से ही अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ की जाने वाली हिंसा और जबरन धर्मांतरण की खबरे आती रही है. यही वजह है कि पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी आजादी के बाद से तेजी से घटी है. अब पाकिस्तान के ही एक प्रतिष्ठित अखबार ने जब हिंदुओं की बदहाल स्थिति का सच पूरी दुनिया के सामने रखा है. क्या अमेरिका और भारत जैसे देश पाकिस्तानी हिंदुओं की स्थिति सुधारने के लिए कुछ कर सकते हैं?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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