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मोदी का सपना साकार कर रहे हैं ये 8 गांव

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 06 दिसम्बर, 2016 02:10 PM
  • 06 दिसम्बर, 2016 02:10 PM
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शहरों में जहां लाइनों में लगे लोग अपने-अपने तरीके से नोटबंदी के बारे में बातें कर रहे हैं, वहीं देश के एक गांव धसई ने पूरी तरह से कैशलेस सिस्टम को अपना लिया है. देश में ऐसे 8 गांव हैं जिन्हें देखकर अच्छे-अच्छे महानगर भी शर्मा जाएं.

हमारा देश तरक्की कर रहा है. आगे बढ़ रहा है. शहर ही नहीं गांव भी विकास की ओर बढ़ रहे हैं. शहरों में जहां लाइनों में लगे लोग अपने-अपने तरीके से नोटबंदी के बारे में बातें कर रहे हैं, वहीं देश के एक गांव धसई ने पूरी तरह से कैशलेस सिस्टम को अपना लिया है. शहर तो शायद कोसों दूर हैं, लेकिन देश के ऐसे 8 गांव हैं जो मॉर्डन होने के साथ-साथ देश के लिए एक मिसाल कायम कर रहे हैं.

1. धसई, पुणे (Dhasai) - देश का पहला कैशलेस गांव..

धसई अब एक ऐसा गांव बन चुका है जहां 5 रुपए की चाय के लिए भी आप कार्ड पेमेंट कर सकते हैं. बैंक ऑफ बड़ोदा के साथ मिलकर एक एनजीओ वीर सर्वरकर प्रतिस्थान ने गांव में दुकनदारों को स्वाइप मशीनें दे दी हैं. यहां पर बाल कटवाने से लेकर चाय पीने के लिए तक आप कार्ड पेमेंट कर सकते हैं. यहां बैंक ने फ्री में मशीनें लगवाई हैं और दुकनदारों को 100 रुपए में से सिर्फ 0.75 पैसे ही फीस देनी होती है.

 धसई में कैशलेस हो गए हैं लोग-कार्ड से होती है पेमेंट

2. मॉवलेन्नॉन्ग (Mawlynnong) मेघालय- देश का सबसे साफ गांव

शिलॉन्ग से 100 किलोमीटर दूर मेघालय का ये छोटा सा गांव 2003 में भारत का ही नहीं एशिया के सबसे साफ गांव का खिताब जीत चुका है. इस गांव में लोग कचरा फैलाने में यकीन नहीं रखते. पेड़ों से गिरे पत्ते भी गांव वाले खुद साफ कर देते हैं. अब ये हुई ना कोई बात.

ये भी पढ़ें- नोटबंदी का वो चेहरा जिसने लोगों की भावनाएं खत्म...

हमारा देश तरक्की कर रहा है. आगे बढ़ रहा है. शहर ही नहीं गांव भी विकास की ओर बढ़ रहे हैं. शहरों में जहां लाइनों में लगे लोग अपने-अपने तरीके से नोटबंदी के बारे में बातें कर रहे हैं, वहीं देश के एक गांव धसई ने पूरी तरह से कैशलेस सिस्टम को अपना लिया है. शहर तो शायद कोसों दूर हैं, लेकिन देश के ऐसे 8 गांव हैं जो मॉर्डन होने के साथ-साथ देश के लिए एक मिसाल कायम कर रहे हैं.

1. धसई, पुणे (Dhasai) - देश का पहला कैशलेस गांव..

धसई अब एक ऐसा गांव बन चुका है जहां 5 रुपए की चाय के लिए भी आप कार्ड पेमेंट कर सकते हैं. बैंक ऑफ बड़ोदा के साथ मिलकर एक एनजीओ वीर सर्वरकर प्रतिस्थान ने गांव में दुकनदारों को स्वाइप मशीनें दे दी हैं. यहां पर बाल कटवाने से लेकर चाय पीने के लिए तक आप कार्ड पेमेंट कर सकते हैं. यहां बैंक ने फ्री में मशीनें लगवाई हैं और दुकनदारों को 100 रुपए में से सिर्फ 0.75 पैसे ही फीस देनी होती है.

 धसई में कैशलेस हो गए हैं लोग-कार्ड से होती है पेमेंट

2. मॉवलेन्नॉन्ग (Mawlynnong) मेघालय- देश का सबसे साफ गांव

शिलॉन्ग से 100 किलोमीटर दूर मेघालय का ये छोटा सा गांव 2003 में भारत का ही नहीं एशिया के सबसे साफ गांव का खिताब जीत चुका है. इस गांव में लोग कचरा फैलाने में यकीन नहीं रखते. पेड़ों से गिरे पत्ते भी गांव वाले खुद साफ कर देते हैं. अब ये हुई ना कोई बात.

ये भी पढ़ें- नोटबंदी का वो चेहरा जिसने लोगों की भावनाएं खत्म कर दी...

 देश का ही नहीं एशिया का सबसे साफ गांव है ये

3. अकोदरा, गुजरात (Akodara)- देश का पहला डिजिटल गांव

2015 में अकोदरा गांव देश का पहला डिजिटल गांव बन चुका है. ICICI बैंक ने गुजरात सरकार के साथ मिलकर गांव में सभी जरूरी सुविधाओं को जैसे मेडिकल, फाइनेंशियल आदि को डिजिटल कर दिया. अब गांव में सबसे बड़ा पेमेंट ऑप्शन मोबाइल बैंकिंग है. जहां धसई में कार्ड पेमेंट ज्यादा है, वहीं अकोदरा में मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल लोग ज्यादा करते हैं.

 मोबाइल बैंकिंग और कार्ड से होती है पेमेंट

4.  पुंसारी, गुजरात (Punsari)- वाईफाई सीसीटीवी के साथ देश का सबसे हाईटेक गांव

बिना बिजली और पानी की ठोस सुविधा से लेकर देश का सबसे हाईटेक गांव बन जाना पुंसारी के लिए गर्व की बात है. ये सब सिर्फ एक इंसान हिमांशू पटेल की वजह से जो गांव का सरपंच है. 23 साल की उम्र में सरपंच बने नॉर्थ गुजरात यूनिवर्सिटी से पढ़े हिमांशू ने गांव की सूरत ही बदल दी यहां एयरकंडीशन स्कूल, सोलर पावर प्लांट, पानी साफ करने का प्लांट, सीसीटीवी कैमरा और सफाई सब कुछ है.

 स्कूलों में है प्रोजेक्टर और गांव में है वाटर फिल्टर प्लांट

5.  धोरा माफी (Dhorra Mafi), उत्तर प्रदेश- सबसे पढ़ा-लिखा गांव

पहले जहां ये खिताब केरला के पोथानिक्कड़ गांव के पास था अब उत्तर प्रदेश का 'धोरा माफी' गांव एशिया का सबसे पढ़ा लिखा गांव बन गया है. अलीगढ़ जिले के इस गांव में 24 घंटे की बिजली और पानी की सप्लाई है. इंग्लिश मीडियम स्कूल और कॉलेज हैं. यहां का लिट्रेसी रेट 75 प्रतिशत का है. ये 2002 में लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल हुआ था और अब गिनीज बुक में शामिल होने के लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस चल रहा है.

 गांव में है स्कूल और कॉलेज भी

ये भी पढ़ें- भगत सिंह तो सबको चाहिए, पर अपने नहीं पड़ोसी के घर में...

6. छप्पर, हरियाणा (Chappar)- लड़की पैदा होने पर खुशियां मनाता है ये गांव

इस गांव की सरपंच नीलम नें गांव की सूरत ही बदल दी. पहले घूंघट में रहने वाली महिलाएं अब बिना घूंघट के आसानी से सांस ले सकती हैं और अपनी बात सबके सामने रख सकती हैं. आज जहां हरियाणा में 1000 लड़कों पर 877 लड़कियों का औसत है ऐसे में छप्पर गांव में लड़की पैदा होने पर मिठाइयां बांटी जाती हैं.

 महिलाओं को मिली आजादी

7. धारनई, बिहार (Dharnai) - सोलर पावर पर काम करने वाला गांव

देश का पहला पूरी तरह से सोलर पावर पर काम करने वाला गांव है. 2400 लोगों की आबादी वाला ये गांव बोध गया ते पास जेहानाबाद जिले में है. इस गांव में पहले बिजली नहीं थी, लेकिन कुछ साल पहले ग्रीनपीस एनजीओ की मदद से यहां सोलर ग्रिड लगवाई गई और अब यहां 24 घंटे बिजली की सप्लाई है. इस पूरे प्रोजेक्ट में 3 करोड़ का खर्च आया.

 24 घंटे रहती है बिजली

8. बेक्कीनाकेरी, कर्नाटक (Bekkinakeri)- लोटा लेकर जाने वालों को गुडमॉर्निंग कहने वाला गांव

कर्नाटक के बेक्कीनाकेरी गांव ने खुले में शौच जाने वालों को स्‍वच्छता के बारे में समझाने का एक नया तरीका खोज निकाला. सुबह 5.30 से लेकर 8.30 तक के बीच लोटा लेकर जाने वाले लोगों को ग्राम पंचायत और आंगनवाड़ी के कार्यकर्ता गुड मॉर्निंग बोलने लगे. जब वो लोग जा रहे होते तब गुड मॉर्निंग बोला जाता और वापसी में उन्हें समझाया जाता कि घर में शौंचालय बनवाना कितना जरूरी है.

 लोग इस्तेमाल करते हैं शौचालय

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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