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कुलभूषण जाधव की सुरक्षित रिहाई की एक ही सूरत बची है

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 11 अप्रिल, 2017 01:39 PM
  • 11 अप्रिल, 2017 01:39 PM
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पाकिस्तानी मीडिया ने कुलभूषण की सजा के पीछे की गुत्थी खोलने की कोशिश की है. तो क्या इस वजह से दी जा रही है फांसी?

'भारत का जासूस' इस नाम से ना जाने कितने ही हिंदुस्तानी अफसरों और आम नागरिकों की जिंदगी बर्बाद हुई है. ये वो ओहदा है जिसे पाकिस्तान जिसे भी देता है या तो उसकी जान ले ली जाती है या फिर जिंदगी मौत से बद्तर कर दी जाती है. इसी कड़ी में अब एक और नाम जुड़ गया है कुलभूषण जाधव का. भारतीय नौसेना का ये जवान पाकिस्तान में 2016 में अरेस्ट किया गया था और अब कुलभूषण को सजा-ए-मौत सुना दी गई है.

कैसे हुआ ये सब?

कुलभूषण को 3 मार्च 2016 को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था. उसपर जासूसी करने और RAW का एजेंट होने का इल्जाम लगाया गया था. पाकिस्तानी सेना का दावा है कि कुलभूषण ईरान के रास्ते बलूचिस्तान पहुंचे थे.

कुलभूषण जाधव का पासपोर्ट अलग नाम से बना हुआ था. अरेस्ट किए जाने के 1 महीने बाद पाकिस्तानी आर्मी ने जाधव का एक वीडियो रिलीज किया जिसमें वो पाकिस्तानी जासूस होना कबूल कर रहे थे. पाकिस्तान का दावा है कि ये वीडियो इस बात का सबूत है कि रॉ अपनी जड़ें यहां फैला रहा है. पाकिस्तानी आर्मी चीफ कमर जावेद कमर जावेद बजवा ने कुलभूषण जादव की सजा की पुष्टि कर दी है.

इस वीडियो के बल पर दी जा रही है सजा...

भारत का दावा है कि पाकिस्तान के पास जादव के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है.

पहले भी किया है ऐसा-

पाकिस्तान ने इसके पहले भी 1999 में एक भारतीय असफर शेख शमीम को फांसी लगा दी थी. उसे भी जासूस का दर्जा दिया गया था. इसके अलावा, इतने सालों में कई हिंदुस्तानियों को मौत की सजा सुनाई गई है, जब्कि हिंदुस्तान ने कई बार पाकिस्तानी जासूसों को पकड़ा है, लेकिन किसी को भी मौत की सजा नहीं सुनाई गई.

भारत ने पाकिस्तानी हाई कमिश्नर अब्दुल बसित से बात की है और इस केस...

'भारत का जासूस' इस नाम से ना जाने कितने ही हिंदुस्तानी अफसरों और आम नागरिकों की जिंदगी बर्बाद हुई है. ये वो ओहदा है जिसे पाकिस्तान जिसे भी देता है या तो उसकी जान ले ली जाती है या फिर जिंदगी मौत से बद्तर कर दी जाती है. इसी कड़ी में अब एक और नाम जुड़ गया है कुलभूषण जाधव का. भारतीय नौसेना का ये जवान पाकिस्तान में 2016 में अरेस्ट किया गया था और अब कुलभूषण को सजा-ए-मौत सुना दी गई है.

कैसे हुआ ये सब?

कुलभूषण को 3 मार्च 2016 को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था. उसपर जासूसी करने और RAW का एजेंट होने का इल्जाम लगाया गया था. पाकिस्तानी सेना का दावा है कि कुलभूषण ईरान के रास्ते बलूचिस्तान पहुंचे थे.

कुलभूषण जाधव का पासपोर्ट अलग नाम से बना हुआ था. अरेस्ट किए जाने के 1 महीने बाद पाकिस्तानी आर्मी ने जाधव का एक वीडियो रिलीज किया जिसमें वो पाकिस्तानी जासूस होना कबूल कर रहे थे. पाकिस्तान का दावा है कि ये वीडियो इस बात का सबूत है कि रॉ अपनी जड़ें यहां फैला रहा है. पाकिस्तानी आर्मी चीफ कमर जावेद कमर जावेद बजवा ने कुलभूषण जादव की सजा की पुष्टि कर दी है.

इस वीडियो के बल पर दी जा रही है सजा...

भारत का दावा है कि पाकिस्तान के पास जादव के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है.

पहले भी किया है ऐसा-

पाकिस्तान ने इसके पहले भी 1999 में एक भारतीय असफर शेख शमीम को फांसी लगा दी थी. उसे भी जासूस का दर्जा दिया गया था. इसके अलावा, इतने सालों में कई हिंदुस्तानियों को मौत की सजा सुनाई गई है, जब्कि हिंदुस्तान ने कई बार पाकिस्तानी जासूसों को पकड़ा है, लेकिन किसी को भी मौत की सजा नहीं सुनाई गई.

भारत ने पाकिस्तानी हाई कमिश्नर अब्दुल बसित से बात की है और इस केस के सभी दस्तावेज देने को कहा है. इसके अलावा, कई पाकिस्तानी कैदियों की रिहाई भी रोक दी है.

तो क्या ले रहा है इसका बदला?

पाकिस्तान के एक रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर नेपाल के एक शहर से भारतीय बॉर्डर के पास गायब हो गया था. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रॉ ने ही पाकिस्तानी एक्स आर्मी ऑफिसर को गिरफ्तार कर लिया है. ना ही पाकिस्तान ने भारत को इसके बारे में सीधे तौर पर दोषी ठहराया और ना ही कोई कार्यवाही की. बस मीडिया रिपोर्ट्स में ही भारत दोषी रहा है.

भारत की तरफ से भी आधिकारिक तौर पर इसके बारे में कोई जवाब नहीं दिया गया, लेकिन दबी जुबां में ये कहा गया है कि पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव की सजा इसलिए जल्दी सुनाई गई है क्योंकि पाकिस्तान लेफ्टिनेंट कर्नल हबीब का बदला लेना चाहता है.

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कर्नल हबीब नेपाल से 6 अप्रैल को गायब हो गए थे. कर्नल हबीब 2014 में रिटायर हो गए थे और उसके बाद से ही प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे थे. कर्नल हबीब लाहौर से काठमांडू गए और उसके बाद लम्बिनी शहर जो हिंदुस्तानी बॉर्डर के करीब है. यहीं से वो गायब हो गए.

इस मामले में भारत हर मुमकिन कोशिश कर रहा है जिससे कुलभूषण यादव की जान बच जाए. पाकिस्तानी सेना के कानून के तहत आए इस फैसले पर 90 दिनों के भीतर अमल होना तय है. ये एक्ट पाकिस्तान में 2014 में जाधव की फांसी पर पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के मुहर लग जाने के बाद इस फैसले के खिलाफ अपील की कोई गुंजाइश नहीं है. फिलहाल भारत सरकार इस फैसले के खिलाफ हर संभव कोशिश करने की बात कह रही है.

अब सारा दारोमदार इस बात पर है कि भारत के पास पाकिस्‍तान को झुकाने के लिए वह कौन सा रास्‍ता अपनाने जा रहा है. अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर जासूसी की सुरक्षित रिहाई तभी मुमकिन होती है, जब उतना ही अहम व्‍यक्ति दबाव बनाने वाले देश की कैद में हो.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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