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ऐसी खाप धो सकती हैं सारे पाप!

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 22 दिसम्बर, 2015 08:15 PM
  • 22 दिसम्बर, 2015 08:15 PM
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खाप पंचायतें शायद अब अपनी छवि बदलने की कोशिश कर रही हैं. अपने सख्त फैसलों की वजह से उन्हें अब तक महिला विरोधी भी समझा जा रहा था. लेकिन महिलाओं से जुडे मामलों में कुछ अहम फैसले लेकर खाप पंचायत ने एक मिसाल कायम की है.

खाप पंचायत अपने सख्त फरमानों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहती हैं. पिछले हफ्ते हरियाणा में बूरा खाप पंचायत ने एक नवविवाहित जोड़े को आदेश दिया कि वो अपनी शादी तोड़कर भाई-बहन की तरह रहें. क्योंकि उनके गोत्र भाईचारे में आते हैं. इनके इस तरह के अजीबो गरीब फरमान समझ से परे होते हैं. विवादों और असहमति की इस स्थिति में बूरा खाप पंचायत ने कुछ ऐसे फैसले किए जो सबको हैरान कर देने वाले हैं.

खाप पंचायतें शायद अब अपनी छवि बदलने की कोशिश कर रही हैं. अपने सख्त फैसलों की वजह से उन्हें अब तक महिला विरोधी भी समझा जा रहा था. लेकिन महिलाओं से जुडे मामलों में कुछ अहम फैसले लेकर खाप पंचायत ने एक मिसाल कायम की है. दहेज प्रथा और कन्या भ्रूण हत्या को लेकर पंचायत सजग हुई और ऐसे फैसले लिए जो इन खाप पंचायतों के इतिहास में पहली बार हुआ.

ये रहे 4 अहम फैसले-

दो बेटियों के बाद संतान नहीं-

लड़कों की चाहत में लड़कियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है. इसका नतीजा ये हुआ कि 2011 की जनगणना के मुताबिक हरियाणा में 1000 पुरुषों पर सिर्फ 879 महिलाएं ही रही गईं. कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम कसने के लिए खाप पंचायत ने एक समझदारी भरा फैसला किया है कि दो बेटियां हो जाने के बाद कोई संतान पैदा नहीं करेगा. और जो लोग ऐसा करेंगे उन्हें खाप सम्मानित करेगी.

दहेज में लेंगे 1 रुपया-

महिला अपराध के मामले में भारत में हरियाणा तीसरे स्थान पर आता है. इन अपराधों में दहेज के कारण प्रताड़ना और हत्या के मामले बहुत ज्यादा हैं. इसी दिशा में खाप ने दहेज प्रथा को मात देने की एक कोशिश की है. उन्होंने फैसला किया है कि शादी में लड़की वालों से दहेज के नाम पर सिर्फ 1 रुपया ही लिया जाएगा.

शादी का खर्च घटाया जायेगा-

लड़की के मां-बाप पर शादी का बोझ कम पड़े इसके लिए शादियों के खर्च को कम करने का प्रयास किया गया. निर्णय लिया गया कि बारात में केवल 21 बाराती ही लड़की के घर...

खाप पंचायत अपने सख्त फरमानों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहती हैं. पिछले हफ्ते हरियाणा में बूरा खाप पंचायत ने एक नवविवाहित जोड़े को आदेश दिया कि वो अपनी शादी तोड़कर भाई-बहन की तरह रहें. क्योंकि उनके गोत्र भाईचारे में आते हैं. इनके इस तरह के अजीबो गरीब फरमान समझ से परे होते हैं. विवादों और असहमति की इस स्थिति में बूरा खाप पंचायत ने कुछ ऐसे फैसले किए जो सबको हैरान कर देने वाले हैं.

खाप पंचायतें शायद अब अपनी छवि बदलने की कोशिश कर रही हैं. अपने सख्त फैसलों की वजह से उन्हें अब तक महिला विरोधी भी समझा जा रहा था. लेकिन महिलाओं से जुडे मामलों में कुछ अहम फैसले लेकर खाप पंचायत ने एक मिसाल कायम की है. दहेज प्रथा और कन्या भ्रूण हत्या को लेकर पंचायत सजग हुई और ऐसे फैसले लिए जो इन खाप पंचायतों के इतिहास में पहली बार हुआ.

ये रहे 4 अहम फैसले-

दो बेटियों के बाद संतान नहीं-

लड़कों की चाहत में लड़कियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है. इसका नतीजा ये हुआ कि 2011 की जनगणना के मुताबिक हरियाणा में 1000 पुरुषों पर सिर्फ 879 महिलाएं ही रही गईं. कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम कसने के लिए खाप पंचायत ने एक समझदारी भरा फैसला किया है कि दो बेटियां हो जाने के बाद कोई संतान पैदा नहीं करेगा. और जो लोग ऐसा करेंगे उन्हें खाप सम्मानित करेगी.

दहेज में लेंगे 1 रुपया-

महिला अपराध के मामले में भारत में हरियाणा तीसरे स्थान पर आता है. इन अपराधों में दहेज के कारण प्रताड़ना और हत्या के मामले बहुत ज्यादा हैं. इसी दिशा में खाप ने दहेज प्रथा को मात देने की एक कोशिश की है. उन्होंने फैसला किया है कि शादी में लड़की वालों से दहेज के नाम पर सिर्फ 1 रुपया ही लिया जाएगा.

शादी का खर्च घटाया जायेगा-

लड़की के मां-बाप पर शादी का बोझ कम पड़े इसके लिए शादियों के खर्च को कम करने का प्रयास किया गया. निर्णय लिया गया कि बारात में केवल 21 बाराती ही लड़की के घर जाएंगे.

मृत्युभोज का बहिष्कार-

प्रदेश में किसी की मृत्यु पर शोक मनाने के लिए जाते समय सिद्धा ले जाने की परंपरा है. जिसे खत्म करने का फैसला लिया गया. अब शोक मनाने जाते हुए कोई आटा, दाल व घी नहीं ले जाएगा. इतना ही नहीं मृत्यु पर 13 दिन के बजाए 7 दिन का शोक मनाने का ऐलान किया गया. ये भी फैसला किया गया कि खाप का कोई भी सदस्य मृत्यु पर दिए जाने वाले भोज में शामिल नहीं होगा.

ये बूरा खाप पंचायत का फैसला है. लेकिन हरियाणा की बाकी पंचायतें भी अगर इस तरह के फैसले ले लें तो आने वाले समय में हरियाणा उदाहरण बन सबके सामने होगा.  

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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