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विडियो ग्राफी और फोटोग्राफी से इतर, हम सुशासन देखना चाहेंगे मुख्यमंत्री जी

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 12 अगस्त, 2017 12:18 PM
  • 12 अगस्त, 2017 12:18 PM
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बतौर नागरिक और वोटर हम योगी आदित्यनाथ के रूप में हमने एक ऐसे मुख्यमंत्री की कल्पना की थी जो विकास हो बल देगा. मगर आज जो उत्तर प्रदेश की हालत है उसके बाद यही कह सकते हैं प्रदेश में विकास के अलावा सभी अन्य चीजों पर बल दिया जा रहा है.

बात आज सुबह की है, मगर ये इस वक्त भी उतनी ही ताजी है जितनी ताजगी इसमें सुबह दिख रही थी. हुआ कुछ यूं है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. ये मुद्दा अपने आप में इतना गंभीर है कि विपक्ष भी इसे भुनाने से पीछे नहीं हट रहा है. मामले को सांप्रदायिक रंग देकर बेवजह तूल देने का प्रयास किया जा रहा है.

खबर है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश के सभी मदरसों में इस बार स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार कर उचित दिशा निर्देश दिए हैं. योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के सभी मदरसों को एक सर्कुलर द्वारा निर्देशित किया है है कि वो शासन को बताएं कि इस स्वतंत्रता दिवस, वो अपने संस्थान में कौन-कौन से कार्यक्रम कर रहे हैं साथ ही वो आयोजित कार्यक्रमों की वीडियोग्राफी कराकर उसे शासन के पास भेजें.

वर्तमान परिपेक्ष में उत्तर प्रदेश में विकास के अलावा सब कुछ हो रहा है

उत्तर प्रदेश के इतिहास में शायद ये पहला मौका होगा जब प्रदेश भर के मदरसों के पास शासन से इस तरह का कोई फरमान आया हो. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप इस पूरे प्रकरण के पीछे की वजह बस इतनी है कि उत्तर प्रदेश सरकार राष्ट्रीय पर्व को लेकर मदरसों की भूमिका का पता लगाना चाहती है.

आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की तरफ से जारी इस आदेश से आहत कुछ मदरसों ने इसका विरोध और इसपर अपनी आलोचना शुरू कर दी है. इस मुद्दे पर मदरसा संगठनों का मत है कि प्रदेश सरकार का ये फैसला दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है. ऐसा इसलिए क्योंकि राष्ट्रवाद के मुद्दे पर उन्हें लगातार शक की निगाह से देखा जा रहा है.

बहरहाल, उत्तर प्रदेश के एक आम नागरिक के तौर पर मेरे लिए मुद्दा ये नहीं है कि मदरसों में झंडा फहर...

बात आज सुबह की है, मगर ये इस वक्त भी उतनी ही ताजी है जितनी ताजगी इसमें सुबह दिख रही थी. हुआ कुछ यूं है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. ये मुद्दा अपने आप में इतना गंभीर है कि विपक्ष भी इसे भुनाने से पीछे नहीं हट रहा है. मामले को सांप्रदायिक रंग देकर बेवजह तूल देने का प्रयास किया जा रहा है.

खबर है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश के सभी मदरसों में इस बार स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार कर उचित दिशा निर्देश दिए हैं. योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के सभी मदरसों को एक सर्कुलर द्वारा निर्देशित किया है है कि वो शासन को बताएं कि इस स्वतंत्रता दिवस, वो अपने संस्थान में कौन-कौन से कार्यक्रम कर रहे हैं साथ ही वो आयोजित कार्यक्रमों की वीडियोग्राफी कराकर उसे शासन के पास भेजें.

वर्तमान परिपेक्ष में उत्तर प्रदेश में विकास के अलावा सब कुछ हो रहा है

उत्तर प्रदेश के इतिहास में शायद ये पहला मौका होगा जब प्रदेश भर के मदरसों के पास शासन से इस तरह का कोई फरमान आया हो. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप इस पूरे प्रकरण के पीछे की वजह बस इतनी है कि उत्तर प्रदेश सरकार राष्ट्रीय पर्व को लेकर मदरसों की भूमिका का पता लगाना चाहती है.

आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की तरफ से जारी इस आदेश से आहत कुछ मदरसों ने इसका विरोध और इसपर अपनी आलोचना शुरू कर दी है. इस मुद्दे पर मदरसा संगठनों का मत है कि प्रदेश सरकार का ये फैसला दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है. ऐसा इसलिए क्योंकि राष्ट्रवाद के मुद्दे पर उन्हें लगातार शक की निगाह से देखा जा रहा है.

बहरहाल, उत्तर प्रदेश के एक आम नागरिक के तौर पर मेरे लिए मुद्दा ये नहीं है कि मदरसों में झंडा फहर रहा है या नहीं, राष्ट्रगान बज रहा है या नहीं. बल्कि मेरी फिक्र इस पर है कि मेरे प्रदेश का कितना विकास हुआ. सकल घरेलु उत्पादों के तहत मेरे प्रदेश का अनुपात अन्य प्रदेशों से कितना कम या ज्यादा रहा. मेरे लिए चिंता का विषय, आज भी मेरे राज्य के लोगों की प्रति व्यक्ति आय का कम होना है. कहा ये भी जा सकता है कि मुझे न मदरसों के झंडे से मतलब है न संघ की शाखा में लगने वाले राष्ट्रवादी नारों से. मेरे प्रदेश के लिए मेरी फिक्र सदैव उसका विकास है.

शायद ये विकास ही था जिसके चलते सपा के गुंडाराज से त्रस्त मैंने और मुझे जैसे न जाने कितने वोटरों ने कमल का बटन दबाया और भाजपा को चुना था. प्रदेश में लगातार घटती कानून-व्यवस्था के दौर में, जिस समय बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य का मुख्यमंत्री चुना गया. मुझ जैसे वोटर को एहसास हुआ कि शायद गर्त के अंधेरों में खोते मेरे प्रदेश को स्वयं भगवान ने उम्मीद की किरण दिखाई है और अब प्रदेश में केवल और केवल विकास होगा.

स्वतंत्रता दिवस पर मदरसों की भूमिका के अलावा कई ऐसी चीजें हैं जिनपर मुख्यमंत्री को गौर करना चाहिए

आज ये कहना मेरे लिए अतिश्योक्ति नहीं है कि प्रदेश में विकास के अलावा सब कुछ हो रहा है. प्रदेश की जो वर्तमान हालत है वो खुद राज्य से लेकर केंद्र तक किसी से छुपी नहीं है. बढ़ता अपराध का ग्राफ, लचर कानून व्यवस्था, अशिक्षा, बेरोजगारी, लगातार जबरन थोपा जा रहा राष्ट्रवाद ये बताने के लिए काफी है कि उत्तर प्रदेश में कभी कुछ नहीं बदल सकता. प्रदेश के एक नागरिक के तौर पर अब मुझे ये बात भली प्रकार स्वीकार कर लेनी चाहिए कि यहां विकास जैसा कभी कुछ था ही नहीं, साथ ही मुझे अब ये बात भी भली प्रकार समझ लेनी चाहिए कि मेरे प्रदेश में विकास को छोड़कर वो सब है जो नहीं होना चाहिए.

खैर, व्यक्तिगत रूप से मैं इस खबर को सकारात्मक मानता हूं ऐसा इसलिए क्योंकि जब राष्ट्रवाद को दिखाने का दौर चल ही रहा है तो फिर मदरसे और उसके आयोजक इससे क्यों दूर रहें. जब सब दिखा रहे हैं तो इन्हें भी हमारे संविधान ने अपना राष्ट्रवाद दिखाने का पूरा हक दिया है. वैसे भी किसी मुसलमान के लिए वतन से मुहब्बत ईमान की निशानी है.

अंत में अपनी बात खत्म करते हुए मैं बस इतना ही कहूंगा कि, पूर्व की समाजवादी सपा के गुंडाराज से त्रस्त हम उत्तर प्रदेश वासियों ने योगी जी को स्वतंत्रता दिवस पर मदरसों की विडियोग्राफी और फोटोग्राफी के लिए तो बिल्कुल नहीं चुना था. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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