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घूमने के नाम पर धार्मिक स्थलों के चक्कर सबसे ज्यादा लगते हैं

    • आईचौक
    • Updated: 11 जनवरी, 2019 01:53 PM
  • 11 सितम्बर, 2017 01:18 PM
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धार्मिक कारणों से की जाने वाली यात्राओं में सबसे पहला नंबर गोआ का है. यहां के लोग सबसे ज्यादा यात्रा धार्मिक स्थलों की करते हैं. उसके बाद क्रमश: कर्नाटक, तमिलनाडु और पंजाब का नंबर आता है.

भारतीयों के रग-रग में धर्म और आस्था बसी होती है. फिर चाहे वो हिंदु हो, मुसलमान, सिख या फिर ईसाई. और यही कारण है कि एक एनएसएसओ द्वारा एक सर्वे में पाया गया है कि देश में सबसे ज्यादा यात्राएं धार्मिक कारणों से की जाती है. ये आंकड़ा देश में होने वाली बिजनेस यात्राओं का चार गुना और शिक्षा के लिए किए जाने यात्राओं का सात गुना है.

सर्वे के मुताबिक 86 प्रतिशत यात्राएं सामाजिक कारणों से की जाती हैं. सर्वे में जुलाई 2014 से जून 2015 तक इकट्ठा किए आंकड़ें हैं जिसे जुलाई 2017 में प्रकाशित किया गया. सर्वे करने के लिए 30 दिन पहले तक 12 घंटे से ज्यादा समय की यात्राओं के आंकड़े इकट्ठे किए गए हैं जिसमें 5.84 करोड़ यात्राओं की जानकारी मिली.

धर्म ही जीवन है

इन 5.84 करोड़ यात्राओं में से 48 लाख यात्राएं (8.29%) धार्मिक उद्देश्यों के लिए की गई तीर्थयात्राएं हैं. इसमें ज्यादातर संख्या (30 लाख) ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की है, जबकि शहर में रहने वाले 18 लाख लोग धार्मिक यात्राओं पर गए हैं. सामाजिक और धार्मिक कारणों के बाद देश में यात्रा करने वालों की तीसरी बड़ी कैटेगरी बिजनेस वालों की है. 5.84 करोड़ लोगों में बिजनेस के यात्रा करने वालों की संख्या 12.6 (2.16%) लाख है. 5 करोड़ से ज्यादा यात्राएं सामाजिक कारणों से की गई थी. वहीं शिक्षा या ट्रेनिंग के उद्देश्य से की गई यात्राओं की संख्या सिर्फ 6.39 (1.09%) लाख है जबकि अन्य कारणों से किए जाने यात्राओं की संख्या 14.6 लाख (2.50%).

धार्मिक कारणों से की जाने वाली यात्राओं में सबसे पहला नंबर गोआ का है. यहां के लोग सबसे ज्यादा यात्रा धार्मिक स्थलों की करते हैं. उसके बाद कर्नाटक, तमिलनाडु और पंजाब का क्रमश: नंबर आता है. अगर धार्मिक कारणों से की गई 12 घंटे की यात्राओं में रोजाना होने वाले औसत खर्च की...

भारतीयों के रग-रग में धर्म और आस्था बसी होती है. फिर चाहे वो हिंदु हो, मुसलमान, सिख या फिर ईसाई. और यही कारण है कि एक एनएसएसओ द्वारा एक सर्वे में पाया गया है कि देश में सबसे ज्यादा यात्राएं धार्मिक कारणों से की जाती है. ये आंकड़ा देश में होने वाली बिजनेस यात्राओं का चार गुना और शिक्षा के लिए किए जाने यात्राओं का सात गुना है.

सर्वे के मुताबिक 86 प्रतिशत यात्राएं सामाजिक कारणों से की जाती हैं. सर्वे में जुलाई 2014 से जून 2015 तक इकट्ठा किए आंकड़ें हैं जिसे जुलाई 2017 में प्रकाशित किया गया. सर्वे करने के लिए 30 दिन पहले तक 12 घंटे से ज्यादा समय की यात्राओं के आंकड़े इकट्ठे किए गए हैं जिसमें 5.84 करोड़ यात्राओं की जानकारी मिली.

धर्म ही जीवन है

इन 5.84 करोड़ यात्राओं में से 48 लाख यात्राएं (8.29%) धार्मिक उद्देश्यों के लिए की गई तीर्थयात्राएं हैं. इसमें ज्यादातर संख्या (30 लाख) ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की है, जबकि शहर में रहने वाले 18 लाख लोग धार्मिक यात्राओं पर गए हैं. सामाजिक और धार्मिक कारणों के बाद देश में यात्रा करने वालों की तीसरी बड़ी कैटेगरी बिजनेस वालों की है. 5.84 करोड़ लोगों में बिजनेस के यात्रा करने वालों की संख्या 12.6 (2.16%) लाख है. 5 करोड़ से ज्यादा यात्राएं सामाजिक कारणों से की गई थी. वहीं शिक्षा या ट्रेनिंग के उद्देश्य से की गई यात्राओं की संख्या सिर्फ 6.39 (1.09%) लाख है जबकि अन्य कारणों से किए जाने यात्राओं की संख्या 14.6 लाख (2.50%).

धार्मिक कारणों से की जाने वाली यात्राओं में सबसे पहला नंबर गोआ का है. यहां के लोग सबसे ज्यादा यात्रा धार्मिक स्थलों की करते हैं. उसके बाद कर्नाटक, तमिलनाडु और पंजाब का क्रमश: नंबर आता है. अगर धार्मिक कारणों से की गई 12 घंटे की यात्राओं में रोजाना होने वाले औसत खर्च की बात करें तो इसमें सबसे पहला नंबर सिक्किम. फिर अरुणाचल प्रदेश. उसके बाद हरियाणा. तब दिल्ली और उत्तराखंड का नंबर आता है.

पंजाब चौथ नंबर पर आता है

धार्मिक यात्राओं पर प्रतिदिन औसतन 2,717 रुपए खर्च किए जाते हैं. ये रकम किसी सामाजिक यात्रा पर किए जाने वाले खर्च (1,068 रुपए) और शिक्षा यात्राओं पर किए जाने वाले खर्च (2,286 रुपए) से कहीं ज्यादा है. हालांकि बिजनेस ट्रिप पर होने वाले खर्चे सबसे ज्यादा हैं (4,455 रुपए). वैसे एनएसएसओ के दो और सर्वे भारत में लोगों द्वारा धार्मिक कर्मकांडों पर किए जाने वाले खर्च का ब्यौरा देते हैं. एक रिपोर्ट में एनएसएसओ ने बताया कि देश में गांवो में धार्मिक कामों पर किया जाने वाला खर्च पूरे महीने के खर्च का 9 प्रतिशत होता है वहीं शहरी क्षेत्रों में ये खर्च 5.7 प्रतिशत है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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