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धार्मिक प्यार के आगे सबकी किडनी फेल हो जाती है!

    • आईचौक
    • Updated: 23 मई, 2017 09:31 PM
  • 23 मई, 2017 09:31 PM
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भारत में धर्म क्या है इसके बारे में आपकी राय क्या है? इस सवाल का जवाब देने में ना जाने कितने ही लोग बर्बाद हो गए हैं. इस सवाल के जवाब ने ना जाने कितने ही घर उजाड़ दिए.

भारत में धर्म क्या है इसके बारे में आपकी राय क्या है? ये सवाल बड़ा आसान है, लेकिन इसका जवाब उतना ही पेचीदा होगा. जनाब धर्म का इस्तेमाल लोग अपनी सहूलियत के हिसाब से भी करते हैं. जहां फिट बैठ रहा हो वहां उसे मोड़िए और जहां नहीं बैठ रहा वहां कट्टर बन जाइए.

शुरुआत करते हैं एक ऐसी कहानी से जो किसी के भी दिल को छू जाएगी. कहनी का हिस्सा एक हिंदू जोड़ा और एक मुस्लिम जोड़ा है. इस कहानी में दोनों पतियों को (अकरम और राहुल) किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है. दोनों के परिवारों को कोई साधन नहीं मिल रहा. नॉएडा के अस्पताल में दोनों का इलाज चल रहा है. हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल बन जाएगी ये कहानीकहानी में ट्विस्ट ये है कि अकरम की पत्नी रजिया का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है और अकरम का ए पॉजिटिव. राहुल की पत्नी का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव है और राहुल का बी पॉजिटिव.

परेशान घरवालों को किडनी ट्रांसप्लांट करवाना है. हॉस्पिटल में डॉमिनो ट्रांसप्लांट की बात कही जाती है. अगर आपको डॉमिनो ट्रांसप्लांट के बारे में ना पता हो तो बता दूं कि इस तरह के ट्रांसप्लांट में डोनर और रिसीवर को मिलवाने का काम अस्पताल का होता है. हम आपको किडनी दें आप हमें दो वाला फंडा अपनाया जाता है. अब हमारी कहानी में भी ऐसा ही होता है और दोनों बीवियां एक दूसरे के पतियों की जान बचाती हैं. खबर बनती है कि खून का कोई धर्म नहीं होता. ऐसे कई केस मिल जाएंगे जहां जान बचाने के लिए हिंदु मुस्लिम एकता दिखी हो.

लेकिन ये तो धर्म है ये कभी भी कोई भी मोड़ ले सकता है. धर्म तब और खतरनाक मोड़ ले लेता है जब इसमें हिंदू और मुस्लिम जुड़ जाता है. कई जगह एकता दिखाई जाती है, दोस्ती की जाती है, प्यार किया जाता है, लेकिन अगर कोई हिंदू और मुस्लिम जोड़ा शादी की बात करे तो उन्हें बाइज्जत मौत की सजा सुना दी जाती है. यही...

भारत में धर्म क्या है इसके बारे में आपकी राय क्या है? ये सवाल बड़ा आसान है, लेकिन इसका जवाब उतना ही पेचीदा होगा. जनाब धर्म का इस्तेमाल लोग अपनी सहूलियत के हिसाब से भी करते हैं. जहां फिट बैठ रहा हो वहां उसे मोड़िए और जहां नहीं बैठ रहा वहां कट्टर बन जाइए.

शुरुआत करते हैं एक ऐसी कहानी से जो किसी के भी दिल को छू जाएगी. कहनी का हिस्सा एक हिंदू जोड़ा और एक मुस्लिम जोड़ा है. इस कहानी में दोनों पतियों को (अकरम और राहुल) किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है. दोनों के परिवारों को कोई साधन नहीं मिल रहा. नॉएडा के अस्पताल में दोनों का इलाज चल रहा है. हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल बन जाएगी ये कहानीकहानी में ट्विस्ट ये है कि अकरम की पत्नी रजिया का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है और अकरम का ए पॉजिटिव. राहुल की पत्नी का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव है और राहुल का बी पॉजिटिव.

परेशान घरवालों को किडनी ट्रांसप्लांट करवाना है. हॉस्पिटल में डॉमिनो ट्रांसप्लांट की बात कही जाती है. अगर आपको डॉमिनो ट्रांसप्लांट के बारे में ना पता हो तो बता दूं कि इस तरह के ट्रांसप्लांट में डोनर और रिसीवर को मिलवाने का काम अस्पताल का होता है. हम आपको किडनी दें आप हमें दो वाला फंडा अपनाया जाता है. अब हमारी कहानी में भी ऐसा ही होता है और दोनों बीवियां एक दूसरे के पतियों की जान बचाती हैं. खबर बनती है कि खून का कोई धर्म नहीं होता. ऐसे कई केस मिल जाएंगे जहां जान बचाने के लिए हिंदु मुस्लिम एकता दिखी हो.

लेकिन ये तो धर्म है ये कभी भी कोई भी मोड़ ले सकता है. धर्म तब और खतरनाक मोड़ ले लेता है जब इसमें हिंदू और मुस्लिम जुड़ जाता है. कई जगह एकता दिखाई जाती है, दोस्ती की जाती है, प्यार किया जाता है, लेकिन अगर कोई हिंदू और मुस्लिम जोड़ा शादी की बात करे तो उन्हें बाइज्जत मौत की सजा सुना दी जाती है. यही तो हुआ अहमदाबाद के एक जोड़े के साथ.

अहमदाबाद की इस कहानी को पढ़कर लगेगा कि दुनिया में किसी की जिंदगी से बड़ा अगर कुछ है, तो वह धर्म है. कोई भी परिस्थ‍िति हो, हिंदू-मुस्लिम पति-पत्नी नहीं चलेंगे. हुआ कुछ यूं कि मोहित शर्मा और गजाला साबिर दोनों ही डायलेसिस करवा रहे थे. दोनों को ही किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत थी. दोनों प्यार में पड़े तो भी हॉस्पिटल में. अहमदाबाद के सिविल हॉस्पिटल में दोनों अपनी बीमारी का इलाज करवा रहे थे. दोनों के बेड भी आस-पास थे. अब प्यार ही है बीमारी की तरह हो गया.

जान चली जाए लेकिन शान ना जाए

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद दोनों ने शादी कर ली. अब उनके परिवार वाले उनकी जान के दुश्मन बन गए. उन्होंने शहर छोड़ दिया और धमकी मिलने लगी. किडनी के मरीज होने के कारण दोनों का अपने इलाज का खर्च वहन कर पाना मुश्किल हो रहा है, लेकिन घर वालों ने तो बिलकुल बात ही बंद कर दी. उल्टा उन्हें जान से मारने की बात करने लगे. इसके बाद एक एनजीओ ने उनका हाथ थामा.

...लेकिन, मानवीय रवैया अपनाने का जिम्मा क्या सिर्फ एक एनजीओ का है. दकियानूसी विचारधारा ढो रहे लोग कब जागेंगे?

इस किस्से से आपको क्या लगता है. हिंदुस्तान में मौजूद उन अनेकों जोड़ों को क्या कहेंगे जो हिंदू मुस्लिम के दायरे से बाहर नहीं आ पा रहे. इसका मतलब धर्म के नाम पर जब जान बचाने की बात हो तब एकता सामने आ जाती है, लेकिन वहीं जहां शादी की बात हो तो हिंदु मुस्लिम अलग हो जाते हैं. भले ही दोनों के शरीर के अंदर किसी एक इंसान का ही खून हो, किसी हिंदू के शरीर का हिस्सा किसी मुस्लिम का हो सकता है पर वो जिंदगी किसी मुस्लिम के साथ नहीं बिता सकता.

भई वाह! इसे कहते हैं जिंदगी का दिलचस्प मोड़. यहां वही बात है कि धर्म के नाम पर हम तो डूबेंगे सनम और तुम्हें भी ले डूबेंगे. हिंदुस्तान में बड़ी मुश्किल से इंटर कास्ट मैरिज चलन में आई है. हालांकि, इंटर कास्ट भी आसानी से नहीं होती, लेकिन फिर भी आजकल होती तो है. अब लोग इंटर रिलीजन के पीछे पड़े हैं. ऐसा नहीं है कि कोई अपवाद नहीं है यहां, हिंदु मुस्लिम जोड़े हैं, लेकिन अभी भी आम जन के लिए ऐसा रिश्ता क्या कहलाता है ये तो आप बेहतर जानते ही होंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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