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समाज

8 माह दुष्कर्म, 7 माह का गर्भ और जीवनभर का दर्द

    • गोपी मनियार
    • Updated: 08 फरवरी, 2016 06:28 PM
  • 08 फरवरी, 2016 06:28 PM
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गुजरात के बोटाड ज़िले का देवालिया गांव. घर में सहमी बैठी है एक युवती मजबूर है एक अनचाहा गर्भ ढोने के लिए. जो उन दुष्कर्मियों ने दिया, जो उस पर 8 माह अत्याचार करते रहे. कहानी रोंगटे खड़े कर देने वाली है, जो कई सवाल भी करती है...

गुजरात के बोटाड ज़िले का देवालिया गांव. यहां के एक घर में सहमी बैठी है वह युवती, जिसने आठ माह तक दुष्कर्मियों का अत्याचार सहा है और अब उनका गर्भ पालने का मजबूर है. जब वह अपना दर्द बयां करती है तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं. जब समाज से सवाल करती है तो जवाब नहीं मिलते.

वह 23 साल की है. कभी एक खुश बेटी, बीवी और मां रही. फिर अचानक जीवन बदल गया. चेहरे की रौनक गायब हो गई है. घर का सब साजो-सामान जस का तस है, लेकिन वह कमरे के कोने में रखी चारपाई पर दिन गुजार देती है. रोजमर्रा के कुछ काम निपटाने के बाद बच्चों को खेलते हुए देखना और अपनी दुनिया में खोए रहना ही मनो उसकी जिंदगी है. उसके साथ हुए हादसों की बात करो तो फट पड़ती है. बताती है, "उन्होंने करीब आठ महीने तक रोज़ मेरा बलात्कार किया. चार लोग तो नियमित थे, बाकी आते-जाते रहते थे. अगर मैं कुछ ऐसा करती जो उन्हें पसंद न आता तो वह मुझे पीटते. रोने में भी डर लगता था."

इस युवती के सात माह के गर्भ को गिराने की याचिका को पिछले हफ़्ते गुजरात उच्च न्यायालय ने ख़ारिज कर दिया. अब वह अपने मायके में ही रह रही है. उसके मां-पिता की नज़रें भी उसी पर टिकी रहती हैं.वह कहती है, "यह मेरे बलात्कारियों का बच्चा है. मैं इसकी मां हूं लेकिन अगर यह बच्चा मेरे साथ रहेगा तो कोई भी मुझे और मेरे परिवार को स्वीकार नहीं करेगा. अदालत ने गर्भपात की इजाज़त नहीं दी. मैं सरकार से प्रार्थना करती हूं कि वह इस बच्चे को अपने सरंक्षण में ले ले और किसी अनाथालय में दे दे."

परिवार के अंदर बेचैनी साफ़ नज़र आती है. पीड़िता अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को त्यागने के विचार से शायद पूरी तरह सहमत नहीं है.बच्चे को अपने पास रखने के सवाल पर वह चुप हो जाती है और धीरे से अपनी मां की ओर देखती हैं. मां जवाब देती है, "यह बच्चे को कैसे रख सकती है? अगर यह ऐसा करेगी तो समाज और गांव हमें बहिष्कृत कर देगा. मेरे दो और बच्चे हैं. उनसे कौन शादी करेगा. कोई भी हमारी इज्जत नहीं करेगा."वो कहती हैं, "अपहर्ताओं के कब्ज़े से बच निकलने के बाद मैं घंटों...

गुजरात के बोटाड ज़िले का देवालिया गांव. यहां के एक घर में सहमी बैठी है वह युवती, जिसने आठ माह तक दुष्कर्मियों का अत्याचार सहा है और अब उनका गर्भ पालने का मजबूर है. जब वह अपना दर्द बयां करती है तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं. जब समाज से सवाल करती है तो जवाब नहीं मिलते.

वह 23 साल की है. कभी एक खुश बेटी, बीवी और मां रही. फिर अचानक जीवन बदल गया. चेहरे की रौनक गायब हो गई है. घर का सब साजो-सामान जस का तस है, लेकिन वह कमरे के कोने में रखी चारपाई पर दिन गुजार देती है. रोजमर्रा के कुछ काम निपटाने के बाद बच्चों को खेलते हुए देखना और अपनी दुनिया में खोए रहना ही मनो उसकी जिंदगी है. उसके साथ हुए हादसों की बात करो तो फट पड़ती है. बताती है, "उन्होंने करीब आठ महीने तक रोज़ मेरा बलात्कार किया. चार लोग तो नियमित थे, बाकी आते-जाते रहते थे. अगर मैं कुछ ऐसा करती जो उन्हें पसंद न आता तो वह मुझे पीटते. रोने में भी डर लगता था."

इस युवती के सात माह के गर्भ को गिराने की याचिका को पिछले हफ़्ते गुजरात उच्च न्यायालय ने ख़ारिज कर दिया. अब वह अपने मायके में ही रह रही है. उसके मां-पिता की नज़रें भी उसी पर टिकी रहती हैं.वह कहती है, "यह मेरे बलात्कारियों का बच्चा है. मैं इसकी मां हूं लेकिन अगर यह बच्चा मेरे साथ रहेगा तो कोई भी मुझे और मेरे परिवार को स्वीकार नहीं करेगा. अदालत ने गर्भपात की इजाज़त नहीं दी. मैं सरकार से प्रार्थना करती हूं कि वह इस बच्चे को अपने सरंक्षण में ले ले और किसी अनाथालय में दे दे."

परिवार के अंदर बेचैनी साफ़ नज़र आती है. पीड़िता अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को त्यागने के विचार से शायद पूरी तरह सहमत नहीं है.बच्चे को अपने पास रखने के सवाल पर वह चुप हो जाती है और धीरे से अपनी मां की ओर देखती हैं. मां जवाब देती है, "यह बच्चे को कैसे रख सकती है? अगर यह ऐसा करेगी तो समाज और गांव हमें बहिष्कृत कर देगा. मेरे दो और बच्चे हैं. उनसे कौन शादी करेगा. कोई भी हमारी इज्जत नहीं करेगा."वो कहती हैं, "अपहर्ताओं के कब्ज़े से बच निकलने के बाद मैं घंटों जंगल में छुपी रही, फिर हिम्मत जुटाकर पुलिस के पास गई. लेकिन पुलिस ने शिकायत लिखने से इनकार कर दिया. फिर महिला पुलिस हेल्पलाइन को फ़ोन किया. ऐसे में उन्हें हमारी शिकायत लिखनी ही पड़ी."

इस मामले में पुलिस की भूमिका को लेकर रोष का सामना कर रही गुजरात सरकार ने गुरुवार को पीड़िता को 20,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी है.लेकिन पीडि़ता के लिए अब बलात्कार और गर्भ में पल रहे बच्चे को पैदा करने की मुश्किल से ज्यादा बड़ी चुनौती है 'पवित्र' होने की कवायद को पार करना.इस मामले में पांच अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया गया है. एक अभियुक्त, गांव के सरपंच ने अपनी गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ अदालत से स्टे ऑर्डर ले लिया है और एक फ़रार है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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