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ऐसे शिक्षा मंत्रियों का बेसिक टेस्‍ट जरूरी है...

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 18 नवम्बर, 2015 05:30 PM
  • 18 नवम्बर, 2015 05:30 PM
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अपने विचारों से नेता आए दिन अपनी सोच और घटिया मानसिकता का परिचय देते रहते हैं. उनके बयान स्वयं सिद्ध करते हैं कि ये किस लायक हैं.

सुना है कि केरल के शिक्षा मंत्री पी. के. अब्दु राब को कॉलेज में लड़कों और लड़कियों का साथ-साथ बैठना पसंद नहीं है. उन्होंने कहा कि ‘मैं इस पक्ष में नहीं हूं कि लड़के और लड़कियां पास-पास बैठें. एक शिक्षा मंत्री होने के नाते ये मेरे निजी विचार हैं. टॉयलेट और बसों में भी वो अलग अलग होते हैं, तो फिर क्लास में एक साथ क्यों बैठें? उनके अलग-अलग कुर्सियों पर बैठने से मुझे कोई आपत्ति नहीं है.'

वैसे तो ये उनके निजी विचार हैं, लेकिन हां, अगर उनके हाथ में हो तो इस निजी विचार को कोई नया नियम बनाकर स्कूल और कॉलेजों पर थोप भी सकते हैं. अक्सर ऐसा ही तो होता है न, वो सरकार जिन्हें हम चुनकर लाते हैं और अपने सर पर बैठाते हैं उनके योग्य नेता अपने सुविचारों को कभी भी सरकारी नियम बना देते हैं, या फिर अपने अनुसार चीजों को बैन कर देते हैं. पर इतनी बड़ी जिम्मेदारी संभालने वाले ये नेता क्या इन जिम्मेदारियों के लायक भी हैं? अपने विचारों से ये नेता आए दिन अपनी सोच और घटिया मानसिकता का परिचय देते रहते हैं. ये नेता वो हैं जिनका काम देश की उन्नति में योगदान देना और समाज की सेवा करना होता है. लेकिन अपने बयानों से अपनी ओछी मानसिकता दिखाकर ये स्वयं सिद्ध करते हैं कि ये किस लायक हैं. इनके ऐसे ही बयानों पर जनता खुद शर्मिंदा होती है कि इन्हें वोट क्यों दिया.

बाकियों को आज छोड़ देते हैं, आज बात सिर्फ शिक्षा मंत्रियों की करेंगे. हमारे देश के शिक्षा मंत्रियों के बयान अक्सर उनकी खुद की शिक्षा पर ही सवाल खड़े कर देते हैं. नजर डालिए कुछ ऐसे ही बयानों पर और खुद आंकलन कीजिए हमारे मंत्रियों का. 

1. मार्च 2015, उज्जैन में 1 से 12वीं तक की परीक्षाएं चल रही थीं. ऐसे में जलप्रदाय के दौरान बिजली कटौती से शहर के करीब 75 हजार विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी. इसपर मध्यप्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री पारस जैन ने परीक्षा के दौरान हो रही बिजली कटौती पर कहा कि "पानी के लिए बिजली बंद हो रही है तो परीक्षार्थी चिमनी में पढ़े. पानी...

सुना है कि केरल के शिक्षा मंत्री पी. के. अब्दु राब को कॉलेज में लड़कों और लड़कियों का साथ-साथ बैठना पसंद नहीं है. उन्होंने कहा कि ‘मैं इस पक्ष में नहीं हूं कि लड़के और लड़कियां पास-पास बैठें. एक शिक्षा मंत्री होने के नाते ये मेरे निजी विचार हैं. टॉयलेट और बसों में भी वो अलग अलग होते हैं, तो फिर क्लास में एक साथ क्यों बैठें? उनके अलग-अलग कुर्सियों पर बैठने से मुझे कोई आपत्ति नहीं है.'

वैसे तो ये उनके निजी विचार हैं, लेकिन हां, अगर उनके हाथ में हो तो इस निजी विचार को कोई नया नियम बनाकर स्कूल और कॉलेजों पर थोप भी सकते हैं. अक्सर ऐसा ही तो होता है न, वो सरकार जिन्हें हम चुनकर लाते हैं और अपने सर पर बैठाते हैं उनके योग्य नेता अपने सुविचारों को कभी भी सरकारी नियम बना देते हैं, या फिर अपने अनुसार चीजों को बैन कर देते हैं. पर इतनी बड़ी जिम्मेदारी संभालने वाले ये नेता क्या इन जिम्मेदारियों के लायक भी हैं? अपने विचारों से ये नेता आए दिन अपनी सोच और घटिया मानसिकता का परिचय देते रहते हैं. ये नेता वो हैं जिनका काम देश की उन्नति में योगदान देना और समाज की सेवा करना होता है. लेकिन अपने बयानों से अपनी ओछी मानसिकता दिखाकर ये स्वयं सिद्ध करते हैं कि ये किस लायक हैं. इनके ऐसे ही बयानों पर जनता खुद शर्मिंदा होती है कि इन्हें वोट क्यों दिया.

बाकियों को आज छोड़ देते हैं, आज बात सिर्फ शिक्षा मंत्रियों की करेंगे. हमारे देश के शिक्षा मंत्रियों के बयान अक्सर उनकी खुद की शिक्षा पर ही सवाल खड़े कर देते हैं. नजर डालिए कुछ ऐसे ही बयानों पर और खुद आंकलन कीजिए हमारे मंत्रियों का. 

1. मार्च 2015, उज्जैन में 1 से 12वीं तक की परीक्षाएं चल रही थीं. ऐसे में जलप्रदाय के दौरान बिजली कटौती से शहर के करीब 75 हजार विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी. इसपर मध्यप्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री पारस जैन ने परीक्षा के दौरान हो रही बिजली कटौती पर कहा कि "पानी के लिए बिजली बंद हो रही है तो परीक्षार्थी चिमनी में पढ़े. पानी नहीं आएगा तो विद्यार्थी नहाकर कैसे परीक्षा देने जा पाएंगे। हम भी तो अपने बचपन में चिमनी में पढ़े हैं. बिजली बंद करेंगे तो ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पानी नहीं पहुंच पाएगा".

ये वही पारस जैन हैं जो अक्सर अपने विवादित बयानों के बारे में जाने जाते हैं. हिंदुत्व को लेकर भी इन्होंने कहा था कि- 'देश में रहने वालों को भारत को हिंदू राष्ट्र मानना चाहिए.'

2. जून 2015, स्कूलों में सूर्य नमस्कार पर चल रहे विवादों में राजस्थान के शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने भी एक विवादित बयान दिया. उन्होंने कहा 'मुस्लिम चाहे नमाज पढ़ें या सूर्य नमस्कार करें, एक ही बात है'. उनके इस बयान पर मुस्लिम संगठनों ने जमकर विरोध किया.

3. जुलाई 2015 में यूपी के बलिया में रिटायर्ड शिक्षक सम्मान समारोह में बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी की मौजूदगी में स्कूल की छुट्टी होने के बावजूद स्कूली छात्राओं से मजदूरी कराई गई. छोटी-छोटी बच्चियों से खाने के पैकेट बंटवाए गए. इसपर मंत्री जी ने कहा- 'स्कूल के कार्यक्रम में बच्चे नहीं बाटेंगे, तो क्या हम और मजदूर बांटेंगे?' 

4. जून 2015 में यूपी के लखनऊ में छात्रों को लैपटॉप वितरण कार्यक्रम के दैरान शिक्षा मंत्री विजय बहादुर ने छात्रों के सामने ही ये कहा- 'जो अगर तुम चिल्लाए राम नाम, तो हो जाएगा काम तमाम'

5. मई 2015 में, पंजाब के मोगा में बस में कुछ लोगों ने कथित रूप से कंडक्टर और खलासी के साथ मिलकर एक नाबालिग लडकी के साथ छेडछाड की. विरोध करने पर उन लोगों लडकी और उसकी मां को बस से धक्का दे दिया था जिससे मौके पर ही लड़की की मौत हो गयी थी. इसपर पंजाब के शिक्षा मंत्री सुरजीत सिंह राखरा ने कहा कि 'किशोरी मौत भगवान की मर्जी से हुई. भगवान की मर्जी के आगे किसी की नहीं चलती. यहां तक कार और विमान में दुर्घटना का शिकार होते हैं. हमें सबकुछ भगवान पर छोड़ देना चाहिए'.

6. उत्तर प्रदेश में रेप और सांप्रदायिक हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर 2014 में राज्य के शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने कहा था कि -' इन घटनाओं के लिए जनता ही जिम्मेदार है और सरकार इन्हें रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकती. जनता को खुद ही इस दिशा में काम करना होगा'.

7. दिसंबर 2014 में मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने एक बेहद विवादित बयान दे डाला. लड़कियों की कम होती संख्या पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 'लड़कियों की संख्या बहुत कम हो रही है. हालात बहुत खराब हैं और अगर ऐसे ही हालात रहे तो भविष्य में लड़कियां ब्लैक में मिलेंगीं.'

8. अगस्त 2015 में रांची की शिक्षा मंत्री ने राजनीति विषय पर चर्चा के दौरान बिहार को अलग देश कहकर हंगामा मचा दिया था. ये वही शिक्षा मंत्री नीरा यादव हैं जो पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को निधन से पहले माल्यार्पण करने को लेकर विवादों में रही थी.

9. सितंबर 2014 में राजस्थान में सरकारी स्कूलों का समय बदलकर सुबह 8 बजे से 1:00 बजे तक करने की मांग कर रहीं छात्राओं से शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ ने उन्हें दो टूक कहा, "स्कूल का समय नहीं बदलेगा. पढ़ना है तो पढ़ो, नहीं तो घर बैठ जाओ".

10. शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ ये भी कह कर विवादों में आ गए थे कि 'राजस्थान में पढ़ाई करने वाला छात्र कभी भी आईएएस, आईआईटी और सीए आदि में टॉपर नहीं कर सकता, बहुत ही शर्मनाक है'. 

ये सब पढ़कर, क्या आपको भी यही लगता है कि IAS और PCS की तरह हमारे शिक्षा मंत्रियों का भी टेस्ट होना चाहिए. ऐसा हो तो देश को कम से कम काबिल और सुशिक्षित शिक्षामंत्री मिलेंगे. पर काश ये हो पाता...


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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