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क्या आप सेना में शामिल होना चाहते हैं, सिर्फ युद्ध के लिए?

    • शुभम गुप्ता
    • Updated: 15 अगस्त, 2018 11:14 AM
  • 24 जुलाई, 2017 04:06 PM
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अगर चीन या पाकिस्तान से युद्ध होता है तो आप सेना की मदद करेंगे? क्या आप भी जंग के मैदान में जाना चाहेंगे?

पाकिस्‍तान और चीन के साथ तनाव के बाद सोशल मीडिया से लेकर चाय की चौपाल तक हर तरफ लोग एक ही बात कर रहे हैं कि क्‍या युद्ध होकर रहेगा ? लेकिन क्या आप तैयार हैं? अगर युद्ध होता है तो आप सेना की मदद करेंगे? क्या आप भी जंग के मैदान में जाना चाहेंगे?  

 नौकरी के साथ-साथ सेना में भर्ती हो सकते हैं

बहुत से लोग तैयार सेना में शामिल होने के लिए. लेकिन पता नहीं है कि करना क्या है. प्रादेशिक सेना यानी टेरिटोरियल आर्मी में आप शामिल होकर देश सेवा कर सकते हैं. इसमें ऐसा नहीं है कि आपको सब काम छोड़कर हमेशा के लिए सेना में शामिल होना होगा. आप जहां भी नौकरी कर रहे हैं, करते रहिये. लेकिन जब सेना बुलाएगी तो जाना होगा. इसके लिये आर्मी 2 वर्षों की ट्रेनिंग भी देती है.

ये भी पढ़ें- सेना प्रमुख का फिटनेस फॉर्मूला, 10 किलोमीटर दौड़ो रोज

क्या है प्रादेशिक सेना

प्रादेशिक सेना यानी टेरिटोरियल आर्मी एक स्वैच्छिक अंशकालिक नागरिक सेवा है. युद्ध काल में नियमित भारतीय सेना के बाद यह हमारी दूसरी रक्षापंक्ति रही है. यह भारत के आम नागरिकों के लिए सेना को शौकिया अपनाने का जरिया है. यह प्रोफेशन, करियर या स्थायी नौकरी का स्रोत नहीं है. प्रादेशिक सेना के लिए यह अवधारणा काम करती है कि युद्ध के समय तैनाती के लिए इसका उपयोग हो सकेगा. नियमित सेना के संसाधनों के पूरक के रूप में समाज के हर क्षेत्र से...

पाकिस्‍तान और चीन के साथ तनाव के बाद सोशल मीडिया से लेकर चाय की चौपाल तक हर तरफ लोग एक ही बात कर रहे हैं कि क्‍या युद्ध होकर रहेगा ? लेकिन क्या आप तैयार हैं? अगर युद्ध होता है तो आप सेना की मदद करेंगे? क्या आप भी जंग के मैदान में जाना चाहेंगे?  

 नौकरी के साथ-साथ सेना में भर्ती हो सकते हैं

बहुत से लोग तैयार सेना में शामिल होने के लिए. लेकिन पता नहीं है कि करना क्या है. प्रादेशिक सेना यानी टेरिटोरियल आर्मी में आप शामिल होकर देश सेवा कर सकते हैं. इसमें ऐसा नहीं है कि आपको सब काम छोड़कर हमेशा के लिए सेना में शामिल होना होगा. आप जहां भी नौकरी कर रहे हैं, करते रहिये. लेकिन जब सेना बुलाएगी तो जाना होगा. इसके लिये आर्मी 2 वर्षों की ट्रेनिंग भी देती है.

ये भी पढ़ें- सेना प्रमुख का फिटनेस फॉर्मूला, 10 किलोमीटर दौड़ो रोज

क्या है प्रादेशिक सेना

प्रादेशिक सेना यानी टेरिटोरियल आर्मी एक स्वैच्छिक अंशकालिक नागरिक सेवा है. युद्ध काल में नियमित भारतीय सेना के बाद यह हमारी दूसरी रक्षापंक्ति रही है. यह भारत के आम नागरिकों के लिए सेना को शौकिया अपनाने का जरिया है. यह प्रोफेशन, करियर या स्थायी नौकरी का स्रोत नहीं है. प्रादेशिक सेना के लिए यह अवधारणा काम करती है कि युद्ध के समय तैनाती के लिए इसका उपयोग हो सकेगा. नियमित सेना के संसाधनों के पूरक के रूप में समाज के हर क्षेत्र से इच्छुक, अनुशासित व समर्पित नागरिकों को लेकर, कम लागत वाली इस सेना की तैयारी होती है. प्रादेशिक सेना में शामिल होने वाले नागरिकों को थोड़े समय के लिए कड़ा प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वह सक्षम सैनिक बन सकें.

क्या है चयन प्रक्रिया?

इसके लिये आपको अपनी कुछ जानकारी देनी होती है. लड़कों की स्क्रीनिंग प्रीलिमिनरी इंटरव्यू बोर्ड (पीआईबी) विभिन्न टीए ग्रुप हैडक्वार्टर्स करते हैं. पीआई के सफल कैंडीडेट को अपना संक्षिप्त ब्यौरा देना होता है. इसमें केंन्द्र सरकार/अर्ध सरकारी/ प्राइवेट फर्म/अपने व्यवसाय की सूचना देनी होती है. साथ में सभी स्त्रोतों से प्राप्त मासिक आय भी लिखनी होती है. यहां के सफल उम्मीदवार को सर्विस सिलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) व मेडिकल की स्क्रीनिंग पास करनी होती है. पूर्व सैन्य अफसरों की स्क्रीनिंग आर्मी हैडक्वार्टर सलेक्शन बोर्ड द्वारा होती है. सफल अभ्यर्थियों को केवल मेडिकल बोर्ड की प्रक्रिया से गुजरना होता है. बस इसके बाद एक छोटी से ट्रेनिंग और बन गए आप सैनिक.

 कपिल देव भी सेना का हिस्सा रहे हैं

1962, 1965 व 1971 के युद्धों में इसकी अहम भूमिका रही

‘इंडियन आर्मी’ के हिस्से के रूप में प्रादेशिक सेना का उपयोग नियमित सेना को आराम देने, नागरिक-प्रशासन को सहयोग देने में होता है. 1962, 1965 व 1971 के युद्धों में इसकी सक्रिय भूमिका रही है. भूकंप/साइक्लोन व विभिन्न ऑपरेशन में भी इसका उपयोग हुआ है.

ये भी पढ़ें- जानिए जंग के अलावा और क्या है पाकिस्तान का इलाज

कपिल देव से लेकर मुख्यमंत्री तक ले चुके है ट्रेनिंग

देश के कई प्रसिद्ध लोग जैसे पूर्व कैबिनेट मंत्री ब्रिगेडियर केपी सिंह देव, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन राव वीरेन्द्र सिंह और भारत को पहला क्रिकेट विश्व कप दिलाने वाले प्रसिद्ध ऑलराउंडर क्रिकेटर कपिल देव एवं दक्षिण भारत के लोकप्रिय कलाकार मोहनलाल प्रादेशिक सेना की शान रहे हैं. वे टेरिटोरियल आर्मी का हिस्सा रहे हैं.

तो बस आप भी तैयार हो जाइये, क्योंकि बातों से काम नहीं होगा. अब तो आपको भी हर पल तैयार रहना होगा. क्या पता आप कब काम आ जाएं देश के.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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