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समाज

...तो क्‍या मोदी अपना निशाना चूक गए हैं?

    • आशुतोष मिश्रा
    • Updated: 14 दिसम्बर, 2016 04:12 PM
  • 14 दिसम्बर, 2016 04:12 PM
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आजतक के एक स्टिंग ऑपरेशन में तमाम नेता 20 प्रतिशत से लेकर 40 प्रतिशत के कमीशन पर पुराने नोट बदलने से लेकर काले धन को सफेद करने का दावा कर रहे हैं. तो क्‍या मोदी अपना निशाना चूक गए हैं?

आपको याद होगा किस तरह 8 नवंबर के बाद जब प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की, तो उसके अगले दिन से बीजेपी के नेता, कार्यकर्ता और केंद्र के मंत्री बडे-बडे दावे करने लगे. कोई कहता था कि मायावती का सारा काला धन अब बर्बाद हो जाएगा, कोई कहता था कि मुलायम सिंह का पैसा रद्दी हो जाएगा. किसी ने ममता बनर्जी के लिए नोटबंदी को झटका कहा तो किसी ने केजरीवाल के लिए पंजाब चुनावों में नुकसान करार दे दिया. 

लेकिन क्या ऐसा हुआ? नोटबंदी को ना सिर्फ काले धन के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक कहा गया बल्कि ये भी दावा किया गया कि अब देश से भ्रष्टाचार भी खत्म होगा. लेकिन जरा देश के कोने-कोने से आने वाली तस्वीरों पर गौर कीजिए. हर दिन बडी मात्रा में नए नोट जब्त हो रहे हैं. बैंकों में काले धन के खिलाड़ी रोज खेल कर रहे हैं. इतना ही नहीं हाल ही में रिजर्व बैंक का एक कर्मचारी भी करोड़ो रुपए के पुराने नोटों को नए नोटों से बदलने के आरोप में धरा गया. यानि नोटबंदी से करप्शन खत्म करने का दावा फिसड्डी निकला.

काले धन पर नहीं लग रही लगाम

फिर सवाल उठता है कि अगर पुराने बडे नोट बंद हो गए तो कालाधन जो कि अमूमन बडे नोटों की शक्ल में ही दबाकर रखा जाता है, खत्म हो गया होगा. देश के सबसे बड़े खबरिया चैनल आज तक ने कुछ स्टिंग ऑपरेशन दिखाए. वीडियो में सपा, बसपा, जेडीयू, कांग्रेस जैसी पार्टियों के जिला स्तर के नेता मोटी रकम बतौर कमीशन के बदले लाखों-करोडों के काले धन को गुलाबी करने के लिए तैयार हो गए. दरअसल गुलाबी अब नया काला धन है.

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आपको याद होगा किस तरह 8 नवंबर के बाद जब प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की, तो उसके अगले दिन से बीजेपी के नेता, कार्यकर्ता और केंद्र के मंत्री बडे-बडे दावे करने लगे. कोई कहता था कि मायावती का सारा काला धन अब बर्बाद हो जाएगा, कोई कहता था कि मुलायम सिंह का पैसा रद्दी हो जाएगा. किसी ने ममता बनर्जी के लिए नोटबंदी को झटका कहा तो किसी ने केजरीवाल के लिए पंजाब चुनावों में नुकसान करार दे दिया. 

लेकिन क्या ऐसा हुआ? नोटबंदी को ना सिर्फ काले धन के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक कहा गया बल्कि ये भी दावा किया गया कि अब देश से भ्रष्टाचार भी खत्म होगा. लेकिन जरा देश के कोने-कोने से आने वाली तस्वीरों पर गौर कीजिए. हर दिन बडी मात्रा में नए नोट जब्त हो रहे हैं. बैंकों में काले धन के खिलाड़ी रोज खेल कर रहे हैं. इतना ही नहीं हाल ही में रिजर्व बैंक का एक कर्मचारी भी करोड़ो रुपए के पुराने नोटों को नए नोटों से बदलने के आरोप में धरा गया. यानि नोटबंदी से करप्शन खत्म करने का दावा फिसड्डी निकला.

काले धन पर नहीं लग रही लगाम

फिर सवाल उठता है कि अगर पुराने बडे नोट बंद हो गए तो कालाधन जो कि अमूमन बडे नोटों की शक्ल में ही दबाकर रखा जाता है, खत्म हो गया होगा. देश के सबसे बड़े खबरिया चैनल आज तक ने कुछ स्टिंग ऑपरेशन दिखाए. वीडियो में सपा, बसपा, जेडीयू, कांग्रेस जैसी पार्टियों के जिला स्तर के नेता मोटी रकम बतौर कमीशन के बदले लाखों-करोडों के काले धन को गुलाबी करने के लिए तैयार हो गए. दरअसल गुलाबी अब नया काला धन है.

ये भी पढ़ें- अभी भी कई रोड़े हैं काले धन के खिलाफ अभियान में

वीडियो में तमाम नेता 20 प्रतिशत से लेकर 40 प्रतिशत के कमीशन पर पुराने नोट बदलने से लेकर काले धन को सफेद करने का दावा कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत देश के पांच महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव करीब हैं. चुनाव आयोग को इन राज्यों में काले धन के बेहिसाब इस्तेमाल की आशंका है, खासकर उत्तर प्रदेश और पंजाब में कालेधन का जोर चल सकता है.

देखिए वीडियो

अंदाजा लगाइए कि अगर छुटभैये नेता इस तरीके से काला पैसा ठिकाने लगा रहे हैं तो बडे मगरमच्छों ने क्या किया होगा? कोई बडा नेता बैंक या एटीएम की लाइन में नहीं दिखा, और आम आदमी के लिए बैंकों के बाहर लंबी कतारों के सिवा कुछ भी नहीं है.

ये भी पढ़ें- आखिर कहां गायब हो गए हैं 500 - 2000 के नोट?

नोटबंदी के बाद उम्मीद थी कि काले धन के कागज हो जाने के बाद चुनाव में इसका में प्रभाव नहीं पडेगा. लेकिन देश भर से आ रही खबरों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि काले कुबेरों को तो शायद होम डिलीवरी हो रही है. पकडे गए लोगों के पास से लाखों-करोडों रुपए के नए नोट बरामद हो रहे हैं, जबकि आम आदमी घंटों लाइनों में लगने के बाद भी अपने गुजर बसर के लिए कुछ हजार रुपए भी नहीं निकाल पा रहा. हालात सामान्य होने के ठीक उलट बिगडते जा रहे हैं. ऐसे में रोज काले धन के खिलाडियों द्वारा खेल के खुलासे में जनता में सरकार के खिलाफ रोष बढ रहा है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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