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रोमांटिक नहीं, जानलेवा हैं ये डेटिंग एप

    • आईचौक
    • Updated: 01 दिसम्बर, 2019 05:18 PM
  • 01 दिसम्बर, 2016 09:04 AM
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दुनिया भर में एचआईवी (World AIDS Day) संक्रमित लोगों की संख्या में गिरावट आई है लेकिन अभी भी एड्स दुनिया भर के किशोरों की मौत की दूसरे सबसे बड़ी वजह है. कारण हैं डेटिंग एप्स?

घातक बीमारी एड्स को 2030 तक खत्म करने के सयुंक्त राष्ट्र संघ के प्रयासों को झटका लगा है. विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) के दिन जारी की गई यूएन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण-पूर्व एशिया में डेटिंग एप का इस्तेमाल करने वाले युवाओं के बीच एचआईवी संक्रमण का खतरा बढ़ा है. यूएन द्वारा दो वर्ष तक किए गए इस अध्ययन से पता चलता है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 10 से 19 वर्ष के युवाओं के एचआईवी संक्रमित होने का खतरा बढ़ा है. आइए जानें क्या कहती है ये रिपोर्ट.

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 1.2 अरब युवा रहते हैं जो कि दुनिया के कुल युवाओं की आबादी का आधे से ज्यादा है, जिनमें यहां एचआईवी संक्रमित युवाओं की संख्या 2 लाख 20 हजार है. हालांकि इनकी वास्तविक संख्या इससे भी ज्यादा हो सकती है. सबसे ज्यादा खतरनाक बात ये है कि एचआईवी संक्रमित आधे से भी कम लोग ही इलाज के लिए जाते हैं. यही वजह है कि एशिया में एड्स के कारण होने वाली युवाओं की मौत की संख्या पिछले दशक के दौरान हर साल बढ़ती गई है.

दरअसल ज्यादातर एचआईवी संक्रमित युवा इलाज करवाने से कतराते हैं क्योंकि एशिया के ज्यादातर देशों में एचआईवी के टेस्ट के लिए माता-पिता की सहमति जरूरी होती है और इसीलिए ये युवा इलाज से कतराते हैं क्योंकि उन्हें अपनी सेक्शुअल्टी के जाहिर होने का डर रहता है.

डेटिंग ऐप सिर्फ मौज मस्ती का जरिया नहीं, एड्स की वजह भी बन रहे हैं.

डेटिंग एप्स बढ़ा रहे हैं एचआईवी का खतराः

यूएन की इस रिपोर्ट के मुताबिक डेटिंग एप युवाओं को कैजुअल सेक्स के अवसर उपलब्ध करवाकर एचआईवी संक्रमण का खतरा बढ़ाने का काम कर रहे हैं. यूएन ने इस महामारी के फैलने के लिए गे सेक्स को सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना है. एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 18 देशों में समलैंगिक सेक्स...

घातक बीमारी एड्स को 2030 तक खत्म करने के सयुंक्त राष्ट्र संघ के प्रयासों को झटका लगा है. विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) के दिन जारी की गई यूएन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण-पूर्व एशिया में डेटिंग एप का इस्तेमाल करने वाले युवाओं के बीच एचआईवी संक्रमण का खतरा बढ़ा है. यूएन द्वारा दो वर्ष तक किए गए इस अध्ययन से पता चलता है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 10 से 19 वर्ष के युवाओं के एचआईवी संक्रमित होने का खतरा बढ़ा है. आइए जानें क्या कहती है ये रिपोर्ट.

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 1.2 अरब युवा रहते हैं जो कि दुनिया के कुल युवाओं की आबादी का आधे से ज्यादा है, जिनमें यहां एचआईवी संक्रमित युवाओं की संख्या 2 लाख 20 हजार है. हालांकि इनकी वास्तविक संख्या इससे भी ज्यादा हो सकती है. सबसे ज्यादा खतरनाक बात ये है कि एचआईवी संक्रमित आधे से भी कम लोग ही इलाज के लिए जाते हैं. यही वजह है कि एशिया में एड्स के कारण होने वाली युवाओं की मौत की संख्या पिछले दशक के दौरान हर साल बढ़ती गई है.

दरअसल ज्यादातर एचआईवी संक्रमित युवा इलाज करवाने से कतराते हैं क्योंकि एशिया के ज्यादातर देशों में एचआईवी के टेस्ट के लिए माता-पिता की सहमति जरूरी होती है और इसीलिए ये युवा इलाज से कतराते हैं क्योंकि उन्हें अपनी सेक्शुअल्टी के जाहिर होने का डर रहता है.

डेटिंग ऐप सिर्फ मौज मस्ती का जरिया नहीं, एड्स की वजह भी बन रहे हैं.

डेटिंग एप्स बढ़ा रहे हैं एचआईवी का खतराः

यूएन की इस रिपोर्ट के मुताबिक डेटिंग एप युवाओं को कैजुअल सेक्स के अवसर उपलब्ध करवाकर एचआईवी संक्रमण का खतरा बढ़ाने का काम कर रहे हैं. यूएन ने इस महामारी के फैलने के लिए गे सेक्स को सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना है. एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 18 देशों में समलैंगिक सेक्स संबंधों की इजाजत नहीं है.इसलिए इन देशों में गे सेक्स में शामिल ज्यादातर पुरुष एचआईवी से बचाने वाले प्रोटेक्शन का इस्तेमाल नहीं करते हैं. फिलिपींस में 2011 से किशोरों में नए एचआईवी संक्रमण के मामले दोगुने हो गए हैं, जबकि थाईलैंड की राजधानी में हर तीन में से एक किशोर के एचआईवी संक्रमित होने का खतरा रहता है.यूनीसेफ की एचआईवी सलाहकार विंग-सी चेंग ने कहा,'युवा गे पुरुषों ने खुद ही यह बात स्वीकार की है कि वे सेक्स के लिए लोगों से मिलने के लिए डेटिंग एप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसका नतीजा कई लोगों के साथ कैजुअल सेक्स के रूप में सामने आ रहा है.हम जानते हैं कि युवाओं का यह खतरनाक कदम एचआईवी का खतरा बढ़ा रहा है.

इसलिए यूएन ने इसलिए हमें मोबाइल एप्स के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि एचआईवी के संक्रमण से बचाव के बारे में युवाओं के बीच जानकारी फैलाई जा सके.यूएन ने सुझाव दिया कि डेटिंग एप्स एचआईवी के बारे में जानकारी फैलाने का बढ़िया माध्यम हो सकते हैं.वर्ष 2014 में चीनी गे सेक्स डेटिंग एप ब्लूड में यूजर्स ने अपने प्रोफाइल पिक्चर पर रेड रिबन लगाया था जिसमें एचआईवी टेस्टिंग सेंटर्स की जानकारी दी गई थी.

ग्रिंडर और ऑनलाइन बडीज जैसे एप्स का कहना है कि वे पहले से ही यूजर्स को यौन स्वास्थ्य सलाह और संसाधनों की पेशकश कर रहे हैं.हालांकि आलोचकों का कहना है कि ऐसे उपायों से कोई खास फायदा नहीं होता है.

हालांकि दुनिया भर में एचआईवी संक्रमित लोगों की संख्या में गिरावट आई है लेकिन अभी भी एड्स दुनिया भर के किशोरों की मौत की दूसरे सबसे बड़ी वजह है. अफ्रीका में किशोरों की मौत का सबसे बड़ा कारण एड्स ही है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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