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2015 के ये एड लोगों के गले नहीं उतरे

    • आईचौक
    • Updated: 31 दिसम्बर, 2015 03:40 PM
  • 31 दिसम्बर, 2015 03:40 PM
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एड इस तरह से बनाए जाते हैं कि प्रोडक्ट के प्रचार के साथ-साथ समाज को एक मैसेज भी दिया जाए. इस साल कुछ एड बहुत ही मजबूती से अपनी बात रख पाए, वहीं कुछ एसे एड भी रहे, जो लोगों के गले नहीं उतरे.

इस साल टीवी पर दिखाए जाने वाले विज्ञापन देखकर लगा, जैसे विज्ञापन बनाने वाले लोग कुछ ज्‍यादा ही क्रिएटिव हो गए हैं. एड इस तरह से बनाए जाते हैं कि प्रोडक्ट के प्रचार के साथ-साथ समाज को एक मैसेज भी दिया जाए. भले ही कंट्रोवर्सी पैदा करके क्‍यों न हो. इस साल कुछ एड बहुत ही मजबूती से अपनी बात रख पाए, वहीं कुछ एसे एड भी रहे, जो लोगों के गले नहीं उतरे.

कुछ बोल्ड कंटेट की वजह से विवादों में आए, तो कुछ उस संदेश की वजह से जो वो देना चाहते थे, कुछ एड्स से महिलाएं नाराज रहीं, तो कुछ एसे थे कि देखकर सिर्फ खीज होती थी. ऐसे प्रोडक्ट भी कम नहीं थे जिन्होंने खुद की छवि सुधारने के लिए जमीन आसमान एक कर दिया. नजर डालते हैं 2015 के कुछ ऐसे ही विज्ञापनों पर जिन्होंने सुर्खियां तो बहुत बटोरीं, लेकिन लोगों के दिलों में उतर नहीं पाए.

1. चेंज इज ब्यूटीफुल-

बदलाव जरूरी होते हैं, अच्छे होते हैं, इस एड में यही बताया गया है. सोच तो बहुत अच्छी है लेकिन लोगों ने यही कहा कि 'ऐसे बदलाव आने में तो सदियां बीत जाएंगी.' लड़का अपनी शादी के लिए खाना बनाना सीखेगा, ताकि उसकी होने वाली बीवी नूडल्स पर जिंदा न रहे.

2. बोल्ड इज ब्यूटीफुल

बोल्ड ब्यूटीफुल हो सकता है, पर हर किसी के लिए नहीं. ये दो विज्ञापन अपनी बोल्डनेस की वजह से विवादों में रहे. एक एड में लेस्बियन कपल को दिखाया गया जो एक दूसरे को अपने परिवारवालों से मिलवाना चाहते थे. एड जगत का पहला लेस्बियन एड बन गया. 

दूसरे विज्ञापन में राधिका आप्टे को गर्भवती दिखाया गया है, जिसे सिर्फ इसलिए प्रोजेक्ट नहीं मिला क्यों वो गर्भवती थी. इस एड को सराहा भी गया और आलोचना भी की गई. कि एक गर्भवती महिला को क्‍या जरूरत है खुद को साबित करने के लिए ऐसे समय काम करने की, जबकि उसके शरीर को आराम की जरूरत है.

3. मैगी का इमोशनल अत्याचार

मैगी पर बैन लगा और दोबारा लॉन्च होने से पहले इनके मिस यू मैगी...

इस साल टीवी पर दिखाए जाने वाले विज्ञापन देखकर लगा, जैसे विज्ञापन बनाने वाले लोग कुछ ज्‍यादा ही क्रिएटिव हो गए हैं. एड इस तरह से बनाए जाते हैं कि प्रोडक्ट के प्रचार के साथ-साथ समाज को एक मैसेज भी दिया जाए. भले ही कंट्रोवर्सी पैदा करके क्‍यों न हो. इस साल कुछ एड बहुत ही मजबूती से अपनी बात रख पाए, वहीं कुछ एसे एड भी रहे, जो लोगों के गले नहीं उतरे.

कुछ बोल्ड कंटेट की वजह से विवादों में आए, तो कुछ उस संदेश की वजह से जो वो देना चाहते थे, कुछ एड्स से महिलाएं नाराज रहीं, तो कुछ एसे थे कि देखकर सिर्फ खीज होती थी. ऐसे प्रोडक्ट भी कम नहीं थे जिन्होंने खुद की छवि सुधारने के लिए जमीन आसमान एक कर दिया. नजर डालते हैं 2015 के कुछ ऐसे ही विज्ञापनों पर जिन्होंने सुर्खियां तो बहुत बटोरीं, लेकिन लोगों के दिलों में उतर नहीं पाए.

1. चेंज इज ब्यूटीफुल-

बदलाव जरूरी होते हैं, अच्छे होते हैं, इस एड में यही बताया गया है. सोच तो बहुत अच्छी है लेकिन लोगों ने यही कहा कि 'ऐसे बदलाव आने में तो सदियां बीत जाएंगी.' लड़का अपनी शादी के लिए खाना बनाना सीखेगा, ताकि उसकी होने वाली बीवी नूडल्स पर जिंदा न रहे.

2. बोल्ड इज ब्यूटीफुल

बोल्ड ब्यूटीफुल हो सकता है, पर हर किसी के लिए नहीं. ये दो विज्ञापन अपनी बोल्डनेस की वजह से विवादों में रहे. एक एड में लेस्बियन कपल को दिखाया गया जो एक दूसरे को अपने परिवारवालों से मिलवाना चाहते थे. एड जगत का पहला लेस्बियन एड बन गया. 

दूसरे विज्ञापन में राधिका आप्टे को गर्भवती दिखाया गया है, जिसे सिर्फ इसलिए प्रोजेक्ट नहीं मिला क्यों वो गर्भवती थी. इस एड को सराहा भी गया और आलोचना भी की गई. कि एक गर्भवती महिला को क्‍या जरूरत है खुद को साबित करने के लिए ऐसे समय काम करने की, जबकि उसके शरीर को आराम की जरूरत है.

3. मैगी का इमोशनल अत्याचार

मैगी पर बैन लगा और दोबारा लॉन्च होने से पहले इनके मिस यू मैगी वाले विज्ञापन दिखाए गए. इनका पूरा प्रयास था कि दर्शक मैगी के लिए रोने लग जाएं.  लोग रोए तो, मगर इनसे इरीटेट होकर. इस तरह से पेश किए गए ये एड जैसे मैगी के बिना सब बेकार है.

और लॉंन्च होने के बाद मां को टार्गेट करके ऐसे एड बनाए गए कि मां का विश्वास सिर्फ और सिर्फ इसी नूडल के पैक पर है.

एक नूडल के लिए क्या कोई इतना खुश होता है..

4. जलाना इतना भी आसान नहीं

लोगों को ये बात गले नहीं उतरी कि पति डिक्टेटर की तरह पत्नी को कहे कि तुम्हें ऐसे रहना है और ऐसे नहीं. इनका 'मंगलसूत्र' वाला आइडिया फ्लॉप रहा.

दूसरा एड भी यही दिखाता है कि एक पत्नी अपने पति से ज्यादा फिट हुई तो पति उस पर ध्यान देने लगा.  

5. सीमेंट का एड है या फैशन परेड

सीमेंट के एड में दीवारें बनाने वाले कारीगर कोई और नहीं बल्कि मॉडल्स थे, यहां तक कि लड़कियां और लड़के सिडक्टिव लुक दे रहे थे. ये एड लोगों को जरा भी पसंद नहीं आया, उनके हिसाब से इस एड में मेहनतकश मजदूरों का मजाक बनाया गया.

6. ये डिऑडरेंट के एड नहीं सुधरेंगे

इस एड में दिखाया गया है कि एक दुलहन डिओ की खुशबू से बहक जाती है, वो सिर्फ खुशबू के लिए अपनी मर्यादाएं भूल जाती है. लोगों ने विरोध किया कि ये एड महिलाओं की गलत छवि पेश कर रहा है.











इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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