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बिना कैश के चल पड़े ये 5 देश

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 07 मार्च, 2017 04:25 PM
  • 07 मार्च, 2017 04:25 PM
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दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां लोगों को कैश की जरूरत ही नहीं पड़ती. यहां लोग कैशलेस ट्रांजेक्शन का ही इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, ये पूरी तरह से कैशलेस नहीं हैं, लेकिन कैशलेस होने की दिशा में हैं.

एसबीआई, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंक ने फैसला लिया है कि वे अपने अकाउंट होल्डर्स से कैश ट्रांजैक्शन्स करने की तय सीमा से अधिक बार ट्रांजैक्शन करने पर अतरिक्त चार्ज वसूलेंगे. पहले नोटबंदी फिर बैंकों ने भी कैश ट्रांजैक्शन्स पर ज्यादा चार्ज वसूलने का फैसला ले लिया. नोटबंदी और बैंक के एक्स्ट्रा चार्ज के चलते आम लोगों से लेकर बिजनेसमैन तक सबकी हालत बिगड़ गई है. छोटे-बड़े काम के लिए लोग कैश की समस्या से जूझ रहे हैं.

ऐसे माहौल में लोगों की परेशानियों को कम करने के लिए सरकार लोगों से कैशलेस लेनदेन को अपनाने को कह रही है. सवाल यह कि भारत क्या सचमुच कैशलेस इकोनॉमी के लिए तैयार है ? क्या सच में भारत कैशलेस सोसाइटी हो सकता है. कुछ देश तो ऐसे हैं जहां पैसों की जरूरत ही नहीं पड़ती. आइए सबसे पहले जानते हैं कैशलेस सोसाइटी क्या होती है....

क्या है कैशलेस सोसाइटी?

इसका मतलब ऐसे देश, शहर के लोगों से होता है जहां के लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भुगतान कैश के रूप में नहीं बल्कि ऑनलाइन तरीकों से करते हैं. इसलिए ऐसे समाज में रहने वाला कोई भी व्यक्ति कैशलैस सोसाइटी का सदस्य होता है.

ऐसा नहीं है कि भारत में कोई ऐसा शहर या क्षेत्र हो जो कैशलेश न हो, बता दें तमिलनाडु के ऑरोविले और गुजरात अकोदरा में नोटों का चलन बंद है, यहां सबसे कम पढ़ा-लिखा इंसान भी मोबाइल से पेमेंट करता है. ये तो हुई हमारे देश के दो गांव की बात, लेकिन बता दें, दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां लोगों को कैश की जरूरत ही नहीं पड़ती. यहां लोग कैशलेस ट्रांजेक्शन का ही इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, ये पूरी तरह से कैशलेस नहीं हैं, लेकिन कैशलेस होने की दिशा में हैं.

एसबीआई, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंक ने फैसला लिया है कि वे अपने अकाउंट होल्डर्स से कैश ट्रांजैक्शन्स करने की तय सीमा से अधिक बार ट्रांजैक्शन करने पर अतरिक्त चार्ज वसूलेंगे. पहले नोटबंदी फिर बैंकों ने भी कैश ट्रांजैक्शन्स पर ज्यादा चार्ज वसूलने का फैसला ले लिया. नोटबंदी और बैंक के एक्स्ट्रा चार्ज के चलते आम लोगों से लेकर बिजनेसमैन तक सबकी हालत बिगड़ गई है. छोटे-बड़े काम के लिए लोग कैश की समस्या से जूझ रहे हैं.

ऐसे माहौल में लोगों की परेशानियों को कम करने के लिए सरकार लोगों से कैशलेस लेनदेन को अपनाने को कह रही है. सवाल यह कि भारत क्या सचमुच कैशलेस इकोनॉमी के लिए तैयार है ? क्या सच में भारत कैशलेस सोसाइटी हो सकता है. कुछ देश तो ऐसे हैं जहां पैसों की जरूरत ही नहीं पड़ती. आइए सबसे पहले जानते हैं कैशलेस सोसाइटी क्या होती है....

क्या है कैशलेस सोसाइटी?

इसका मतलब ऐसे देश, शहर के लोगों से होता है जहां के लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भुगतान कैश के रूप में नहीं बल्कि ऑनलाइन तरीकों से करते हैं. इसलिए ऐसे समाज में रहने वाला कोई भी व्यक्ति कैशलैस सोसाइटी का सदस्य होता है.

ऐसा नहीं है कि भारत में कोई ऐसा शहर या क्षेत्र हो जो कैशलेश न हो, बता दें तमिलनाडु के ऑरोविले और गुजरात अकोदरा में नोटों का चलन बंद है, यहां सबसे कम पढ़ा-लिखा इंसान भी मोबाइल से पेमेंट करता है. ये तो हुई हमारे देश के दो गांव की बात, लेकिन बता दें, दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां लोगों को कैश की जरूरत ही नहीं पड़ती. यहां लोग कैशलेस ट्रांजेक्शन का ही इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, ये पूरी तरह से कैशलेस नहीं हैं, लेकिन कैशलेस होने की दिशा में हैं.

स्वीडन

कैशलेस पेमेंट- 89%

डेबिट कार्ड पेमेंट- 96%

स्वीडन के बैंकों में डकैती घटनाएं 2008 में 110 दर्ज हुई थी, जो 2011 तक 16 ही रह गईं. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह स्वीडिश बैंकों में कैश की कम मात्रा है. ये दुनिया का अकेला ऐसा देश है, जहां कैश का सर्कुलेशन सबसे कम है. कई एक्सपर्ट्स के मुताबिक, स्वीडन दुनिया का पहला कैशलेस देश बन सकता है.

बेल्जियम

कैशलेस पेमेंट- 93%

डेबिट कार्ड- 86%

बेल्जियम में भी ऐसा कानून लागू है, जिसके तहत कैश पेमेंट की लिमिट सिर्फ 3000 यूरो ही है. इतना ही नहीं, इस कानून को तोड़ने पर 2 लाख 25 हजार रुपए तक का चार्ज लग सकता है.

फ्रांस

कैशलेस पेमेंट- 92%

डेबिट कार्ड- 69%

बेल्जियम की ही तरह फ्रांस में भी 3000 यूरो से ज्यादा का कैश में ट्रांजेक्शन करना गैरकानूनी है. कार खरीदने के लिए अगर कैश के तौर पर 1500 यूरो दे रहे हैं तो इस भुगतान को साबित करने के लिए कानूनी तौर पर बिल जरूरी है.

कनाडा

कैशलेस पेमेंट- 90%

डेबिट कार्ड- 88%

फरवरी 2013 से कनाडा ने सिक्के बनाना और इनका ड्रिस्ट्रीब्यूशन बंद कर दिया. इससे हर साल देश की तकरीबन 11 मिलियन डॉलर की बचत होती है. कनाडा ऐसे देशों में है जहां प्रैक्टिकली ट्रांजेक्शन कैशलेस है. यहां कई बार लोगों को याद करना मुश्किल हो जाता है कि उन्होंने नोट और क्वाइन का इस्तेमाल आखिरी बार कब किया.

ब्रिटेन

कैशलेस पेमेंट- 89%

डेबिट कार्ड- 88%

2014 जुलाई में ही यहां की बसों में कैश पेमेंट मना हो गया था. बस में सफर के लिए यहां ओएस्टर कार्ड और प्रीपेड टिकट जरूरी है. ब्रिटिश रीटेल कनसोर्टियम के मुताबिक, खरीदारी के लिए कैश का इस्तेमाल साल दर साल घटता जा रहा है. ब्रिटेन कैशलेस देश होने की दिशा में हैं, लेकिन कई तबकों में बंटे होने के चलते दिक्कते हैं.

ये 5 देश तो कैशलैस देश होने के और आगे बढ़ चुके हैं. भारत को अगर कैशलेस सोसाइटी में आना है तो उन्हें भी पर्स के पैसों को निकालकर कार्ड में डालकर पूरी तरह से कैशलेस होना पड़ेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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