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दाग अच्छे हैं... इसीलिए बाजार में बिक रहा कौमार्य

    • चंदन कुमार
    • Updated: 16 दिसम्बर, 2015 04:55 PM
  • 16 दिसम्बर, 2015 04:55 PM
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अपने देश में दाग अच्छे हैं कह कर सर्फ एक्सेल बेचा जाता है... जर्मनी विकसित देश है, यानी हमसे एक कदम आगे! वहां भी दाग बेचा जा रहा है लेकिन एक कदम आगे बढ़कर - कौमार्य के नाम पर!!!

अपने देश में सर्फ एक्सेल का एक विज्ञापन आता है. हिंदी में उसका पंच लाइन है - दाग अच्छे हैं. जिस दाग के लिए हम सभी अपने-अपने बचपन में डांट या मार खाते थे, बाजार ने आज उसे अच्छा बना दिया है. दाग के प्रति हिंदुस्तानी दादा-दादी, पापा-मम्मा सब के नजरिये को बाजार ने बदल कर रख दिया है. बाजार की यह ताकत जर्मनी में भी है और वहां भी दाग बेचा जा रहा है - कौमार्य के नाम पर.

कौमार्य बिक रहा है!
चौंकिए मत, कौमार्य ही बिक रहा है - वो भी जर्मनी में, एक ऐसे देश में जो विकसित होने का दंभ भरता है - वहां कौमार्य बिक रहा है. चोरी-छिपे नहीं, खुलेआम. अन्य सामानों की भांति. कीमत भी आम खरीदार के पॉकेट के अनुसार - मात्र 49.50 यूरो (लगभग 3613 रुपये, 73 रु./यूरो के हिसाब से). चूंकि कोई चीज बिक रही है तो निश्चित ही इसका एक खरीदार वर्ग भी होगा. है न! अच्छी-खासी संख्या में जर्मनी आ रहे सीरियाई शरणार्थियों की 'आधी आबादी' इस प्रोडक्ट का टारगेट है.

सोच में लोचा, तभी बिजनेस चोखा
अरबी में एक शब्द है - नामुस (Nāmūs). परिवार के सदस्यों खासकर महिलाओं की यौन अखंडता के रूप में नामुस की अवधारणा इस्लाम, यहूदी धर्म और ईसाई धर्म से बहुत पहले की है... हालांकि अभी तक चली आ रही है. इसके तहत शादी से पहले महिलाओं का कौमार्य भंग न हो, इस पर बहुत जोर दिया जाता है. महिलाएं भी क्या करें! कैसे समझाएं कि मेरे कौमार्य से मेरी शादी का कोई लेना-देना नहीं है. और तो और, मेरे कौमार्य से मेरे शारीरिक संबंध का भी कोई लेना-देना नहीं है. और इसी न समझा पाने की स्थिति को एक बिजनेस आइडिया के रूप में वर्जिनिया केयर भंजा रहा है.

वर्जिनिया केयर से वर्जिनिटी तक का सफर
मुस्लिम महिलाओं को टारगेट कर वर्जिनिया केयर ने 49.50 यूरो का पैक मार्केट में लॉन्च कर दिया. इस पैक में कृत्रिम हाइमन मेंब्रेन होता है, जिसे आसानी से सुहागरात के पहले दुल्ह न अपने प्राइवेट पार्ट के अंदर डाल सकती हैं. फ्रीज ड्रायड ब्लड पाउडर से युक्त यह मेंब्रेन...

अपने देश में सर्फ एक्सेल का एक विज्ञापन आता है. हिंदी में उसका पंच लाइन है - दाग अच्छे हैं. जिस दाग के लिए हम सभी अपने-अपने बचपन में डांट या मार खाते थे, बाजार ने आज उसे अच्छा बना दिया है. दाग के प्रति हिंदुस्तानी दादा-दादी, पापा-मम्मा सब के नजरिये को बाजार ने बदल कर रख दिया है. बाजार की यह ताकत जर्मनी में भी है और वहां भी दाग बेचा जा रहा है - कौमार्य के नाम पर.

कौमार्य बिक रहा है!
चौंकिए मत, कौमार्य ही बिक रहा है - वो भी जर्मनी में, एक ऐसे देश में जो विकसित होने का दंभ भरता है - वहां कौमार्य बिक रहा है. चोरी-छिपे नहीं, खुलेआम. अन्य सामानों की भांति. कीमत भी आम खरीदार के पॉकेट के अनुसार - मात्र 49.50 यूरो (लगभग 3613 रुपये, 73 रु./यूरो के हिसाब से). चूंकि कोई चीज बिक रही है तो निश्चित ही इसका एक खरीदार वर्ग भी होगा. है न! अच्छी-खासी संख्या में जर्मनी आ रहे सीरियाई शरणार्थियों की 'आधी आबादी' इस प्रोडक्ट का टारगेट है.

सोच में लोचा, तभी बिजनेस चोखा
अरबी में एक शब्द है - नामुस (Nāmūs). परिवार के सदस्यों खासकर महिलाओं की यौन अखंडता के रूप में नामुस की अवधारणा इस्लाम, यहूदी धर्म और ईसाई धर्म से बहुत पहले की है... हालांकि अभी तक चली आ रही है. इसके तहत शादी से पहले महिलाओं का कौमार्य भंग न हो, इस पर बहुत जोर दिया जाता है. महिलाएं भी क्या करें! कैसे समझाएं कि मेरे कौमार्य से मेरी शादी का कोई लेना-देना नहीं है. और तो और, मेरे कौमार्य से मेरे शारीरिक संबंध का भी कोई लेना-देना नहीं है. और इसी न समझा पाने की स्थिति को एक बिजनेस आइडिया के रूप में वर्जिनिया केयर भंजा रहा है.

वर्जिनिया केयर से वर्जिनिटी तक का सफर
मुस्लिम महिलाओं को टारगेट कर वर्जिनिया केयर ने 49.50 यूरो का पैक मार्केट में लॉन्च कर दिया. इस पैक में कृत्रिम हाइमन मेंब्रेन होता है, जिसे आसानी से सुहागरात के पहले दुल्ह न अपने प्राइवेट पार्ट के अंदर डाल सकती हैं. फ्रीज ड्रायड ब्लड पाउडर से युक्त यह मेंब्रेन सेक्स के दौरान शारीरिक गर्मी और नमी के कारण खून के रूप में प्राइवेट पार्ट से बाहर आता है. और इस तरह से आपके कौमार्य को भंग करने की 'जीत' को आपके 'पतिदेव' या समाज जश्न के रूप में मना पाने में सक्षम हो जाते हैं. अरे हां, वर्जिनिया केयर प्रोडक्ट फेल ही हो जाए अगर वो आपको यह न बताए कि सेक्स के दौरान आपको दर्द का नाटक करते रहना है - हां, तो यह सब कुछ पॉकेट पर लिख दिया गया है.

'आधी आबादी' के यौन जीवन पर लगाम लगाए रखने को कहीं नामुस कहा जाता है तो कहीं कुछ और. दुनिया के और हिस्सों, अन्य धर्मों में भी अलग-अलग नामों से यह जाना जाता है. अपने भारत में होने वाली ऑनर कीलिंग्स भी नामुस जैसे ही किसी शब्द या अवधारणा की परिणती है. मंगल पर कॉलोनी बसाने की सोच रखने वाली इस दुनिया में कुछ जगह ऐसे भी हैं, जहां सुहागरात के अगले दिन बेडशीट पर खून के धब्बे को देखकर शानदार पार्टी तक देने का चलन है. स्पष्ट है कि जब तक कौमार्य को कमर से नीचे तक देखा और समझा जाता रहेगा, वर्जिनिया केयर का बिजनेस फलता-फूलता रहेगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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